कहा जाता है, “बृज की धूल में भी श्री कृष्ण नाम गूंजता है।” जब आप पहली बार वृंदावन की पवित्र गलियों में कदम रखते हैं, तो आपके कानों में “श्री राधे-राधे” की मधुर ध्वनि घुल जाती है। यमुना जी की मंद बहती धारा, बैंके बिहारी के मंदिर की घंटियां, और गोवर्धन की पावन परिक्रमा यह सब एक आध्यात्मिक संसार का अनुभव कराते हैं।
लेकिन इस दिव्य भूमि में कुछ आचरण ऐसे हैं जो आपकी यात्रा को और अधिक पवित्र बना सकते हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जिनसे बचना ही उचित है।
आइए, इस आध्यात्मिक यात्रा में जानते हैं कि वृंदावन में क्या करें और क्या न करें जिससे आपकी यात्रा अत्यधिक सफल रहें।
वृंदावन में क्या करें: भक्तिभाव से जुड़ने के तरीके
1. बृजवासियों को प्रणाम करें
वृंदावन के हर निवासी को “श्री राधे-राधे” कहकर अभिवादन करें। यह सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि प्रेम और सम्मान का संदेश है। यहां के लोग इसे भगवान और भक्त के बीच का पावन सेतु मानते हैं।
2. बृज के हर वृक्ष को प्रणाम करें
यहां का हर वृक्ष भगवान की लीलाओं का साक्षी है। माना जाता है कि इन पेड़ों की छांव में श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाई, रास रचाया। इसलिए इनसे पत्ते तोड़ना नहीं, बल्कि आदरपूर्वक प्रणाम करना चाहिए।
3. गायों और बंदरों को प्रणाम करें
बृज में गाय कामधेनु के रूप में पूजनीय है और बंदर भगवान हनुमान के प्रतीक माने जाते हैं। उन्हें स्नेह से देखें, भोजन कराएं, और हृदय से प्रणाम करें।
4. यमुना जी को प्रणाम करें
यमुना जी के दर्शन मात्र से पाप नष्ट होते हैं। जल में स्नान करने से पहले हाथ जोड़कर प्रार्थना करें “हे यमुनाजी, मुझे अपनी कृपा से शुद्ध करें।”
5. किसी से भी बात करने से पहले “श्री राधे–राधे” कहें
वृंदावन में यह एक सुंदर परंपरा है। यह न केवल संवाद को मधुर बनाता है, बल्कि आपके और सामने वाले के बीच एक आध्यात्मिक संबंध जोड़ता है।

वृंदावन में क्या न करें, इन गलतियों से बचें
1. शराब और मांसाहार से दूर रहें
वृंदावन को “निर्मल आहार” की भूमि कहा जाता है। यहां मद्यपान और मांसाहार वर्जित है, क्योंकि यह भक्ति भाव को कलुषित करता है।
2. यहाँ के पावन पत्ते और पौधे न तोड़ें
बृज का हर पौधा, हर पत्ता भगवान की लीलाओं का साक्षी है। इन्हें तोड़ना मानो उस पवित्र स्मृति को चोट पहुंचाना है।
3. गायों और बंदरों को नुकसान न पहुंचाएं
यहां उन्हें मारना, डराना या सताना पाप माना जाता है। वे बृज की आत्मा का हिस्सा हैं।
4. गोवर्धन से शिला न उठाएं
गोवर्धन पर्वत स्वयं श्रीकृष्ण का स्वरूप है। यहां से पत्थर या शिला उठाना भगवान के स्वरूप को अपमानित करना है।
5. यमुना और परिक्रमा मार्ग को गंदा न करें
यमुना जी को पवित्र रखें, यहां थूकना, कचरा फेंकना या गंदगी करना बड़ा अपराध माना जाता है।
6. बृजभूमि में कचरा न फैलाएं
हर जगह स्वच्छता बनाए रखें। कचरा केवल निर्धारित स्थानों पर ही डालें।
7. झगड़ा या ऊँची आवाज़ में बात न करें
वृंदावन शांति, भक्ति और प्रेम की भूमि है। यहां ऊँची आवाज़ में बोलना या विवाद करना इसकी पवित्रता को भंग करता है।
भक्ति में लीन होने का मार्ग
वृंदावन कोई साधारण शहर नहीं, यह एक जीवंत आध्यात्मिक अनुभव है। यहां की हर गली, हर घाट, हर वृक्ष आपको भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम और लीला का स्मरण कराता है। यदि आप यहां के नियमों और परंपराओं का सम्मान करेंगे, तो आपको केवल दर्शनीय आनंद ही नहीं, बल्कि आत्मिक शांति भी प्राप्त होगी।
जब भी आप वृंदावन आएं, अपने हृदय में यह संकल्प लें, “मैं इस भूमि का आदर करूंगा, इसके जीव-जंतुओं और प्रकृति की रक्षा करूंगा, और प्रेम, भक्ति और सेवा के मार्ग पर चलूंगा।”

वृंदावन यात्रा से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQ)
1. वृंदावन घूमने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
उत्तर: सालभर वृंदावन की आध्यात्मिक ऊर्जा बनी रहती है, लेकिन शरद ऋतु (अक्टूबर से मार्च) और झूलन उत्सव, राधाष्टमी या होली के समय यहां का माहौल और भी दिव्य हो जाता है।
2. क्या वृंदावन में मांसाहार और शराब की अनुमति है?
उत्तर: नहीं। यह भगवान श्रीकृष्ण की पावन भूमि है, जहां केवल सात्विक भोजन ही करना उचित है।
3. क्या यमुना में स्नान करना जरूरी है?
उत्तर: जरूरी नहीं, लेकिन यमुना जी में स्नान या जल का आचमन करने से मन और आत्मा दोनों शुद्ध होते हैं। स्नान से पहले प्रणाम करना न भूलें।
4. वृंदावन में बंदरों से कैसे बचें?
उत्तर: बंदरों को यहां भगवान हनुमान का रूप माना जाता है। उनसे डरने की बजाय प्रेमभाव रखें, और चमकदार वस्तुएं खुली न रखें।
5. क्या गोवर्धन से पत्थर ले जाना पाप है?
उत्तर: हां, गोवर्धन पर्वत स्वयं श्रीकृष्ण का स्वरूप है। यहां से कोई पत्थर या शिला उठाना अनुचित और धार्मिक दृष्टि से अपमानजनक है।
6. क्या वृंदावन में किसी को “नमस्ते” कह सकते हैं?
उत्तर: यहां परंपरा है कि अभिवादन “राधे-राधे” कहकर किया जाए। यह केवल नमस्ते नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संबंध जोड़ने का माध्यम है।