बरसाना, उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक दिव्य नगरी है जो श्री राधारानी की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। यह भूमि न केवल श्री राधा–कृष्ण के दिव्य प्रेम की साक्षी है, बल्कि ब्रज संस्कृति और हिंदू आध्यात्म की अमूल्य धरोहर भी है। बरसाना के प्रसिद्ध मंदिर केवल पूजा–अर्चना के स्थान नहीं हैं, बल्कि वे लाखो करोड़ो वर्षों की भक्ति परंपरा, कलात्मक वैभव और आध्यात्मिक अनुभूति के जीवंत केंद्र हैं।
आइए जानते हैं बरसाना के प्रमुख मंदिरों के बारे में जो इस पावन भूमि को विशिष्ट बनाते हैं।
बरसाना के प्रसिद्ध मंदिर
श्री राधा रानी मंदिर (लाड़ली जी मंदिर)
बरसाना का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मंदिर श्री राधा रानी मंदिर है, जिसे स्थानीय लोग प्रेम से “लाड़ली जी मंदिर” कहते हैं। यह मंदिर ब्रह्मांचल पर्वत (भानुगढ़ पहाड़ी) की चोटी पर स्थित है।
ऐतिहासिक महत्व
मान्यता है कि इस मंदिर की पहली स्थापना श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी। वर्तमान भव्य भवन का निर्माण राजा बीर सिंह देव ने 1675 ईस्वी में कराया था।
विशेषताएं
- मंदिर तक पहुंचने के लिए 200 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं
- यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां राधा रानी को मुख्य देवी के रूप में पूजा जाता है
- लाल और सफेद पत्थरों से निर्मित यह मंदिर राधा–कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाता है
दर्शन समय
- गर्मी: सुबह 5:00–2:00, शाम 4:30–9:00
- सर्दी: सुबह 5:30–2:00, शाम 4:30–8:30

श्री मान मंदिर
मान मंदिर बरसाना की मानगढ़ पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यह श्री राधा–कृष्ण की लीलाओं में राधा रानी के ‘मान’ (रूठने) से जुड़ा हुआ है।
कथा और महत्व
मान्यता है कि जब श्री राधा रानी श्रीकृष्ण से नाराज होती थीं, तो वे इसी स्थान पर आकर रूठ जाती थीं। तब श्री कृष्ण उन्हें मनाने के लिए अनेक उपाय करते थे। इसीलिए इस स्थान को “मान मंदिर” कहा जाता है।
विशेष मान्यता
स्थानीय मान्यता है कि यह मंदिर प्रेम और पारस्परिक समझ को बढ़ाने में सहायक है। प्रेमी युगल यहां आकर अपने रिश्ते में मधुरता लाने की प्रार्थना करते हैं।
कीर्ति मंदिर
कीर्ति मंदिर राधारानी की माता कीर्ति देवी के नाम पर बनाया गया है। यह मंदिर अत्यंत सुंदर और कलात्मक है।
मंदिर की विशेषताएं
- यहां राधा रानी अपनी माता कीर्ति की गोद में विराजमान हैं
- मंदिर में विभिन्न प्रकार की झांकियां देखने को मिलती हैं
- एक विशेष झांकी में भगवान श्री कृष्ण-राधा रानी को झुलाते हुए दिखाए गए हैं
दर्शन समय
- दोपहर 1:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक मंदिर बंद रहता है
- शाम के समय विशेष भीड़ रहती है और वातावरण अधिक भक्तिमय हो जाता है
श्री जी मंदिर
श्री जी मंदिर राधा रानी को समर्पित एक और महत्वपूर्ण मंदिर है जहां श्री राधा रानी अपनी सखियों ललिता और विशाखा के साथ विराजमान हैं।
विशेषताएं
- मंदिर की वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है
- दूर–दूर से श्री कृष्ण भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं
- यह श्री राधा रानी की सखी–भावना का प्रतीक है
दान बिहारी मंदिर
दान बिहारी मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और यह बरसाना का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है, जो लगभग 800 वर्ष पुराना है।
धार्मिक महत्व
- यह मंदिर दान की भावना के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है
- होली और जन्माष्टमी जैसे त्योहारों पर यहां विशेष उत्सव मनाए जाते हैं
- यहां भक्तों को श्री राधा–कृष्ण की कथाएं सुनने का अवसर मिलता है
श्री कुशल बिहारी मंदिर
श्री कुशल बिहारी मंदिर श्री राधा रानी मंदिर के बिल्कुल निकट स्थित है और इसका निर्माण महाराजा सवाई माधव सिंह द्वारा कराया गया था।
विशेषताएं
- मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है
- राधा रानी मंदिर के दर्शन करने आने वाले भक्त यहां भी आते हैं
- यह मंदिर भी निःशुल्क दर्शन के लिए खुला रहता है
मोर कुटीर मंदिर
मोर कुटीर मंदिर लाल ईंटों से बना एक विशिष्ट मंदिर है जो श्री कृष्ण और मोर के बीच हुई प्रतियोगिता की कथा से जुड़ा है।
पौराणिक कथा
- मंदिर में श्रीकृष्ण की एक तस्वीर है जिसमें वे मोर की तरह नृत्य कर रहे हैं
- मान्यता है कि इस स्थान पर श्री कृष्ण और मोर के बीच नृत्य प्रतियोगिता हुई थी
- इस प्रतियोगिता में श्री कृष्ण मोर से हार गए थे
संकरी खोर
संकरी खोर ब्रह्मगिरी पर्वत और विष्णु पर्वत के बीच का संकीर्ण मार्ग है जहां श्री कृष्ण की दान लीला हुई थी।
ऐतिहासिक महत्व
- यहां से गोपियां दूध–दही बेचने बाजार जाती थीं
- श्री कृष्ण अपने मित्रों के साथ गोपियों को रोककर कर दूध–दही माँगा करते थे
- जो गोपी कर देने से मना करती, उसकी मटकी फोड़ दी जाती थी
रंगीली महल
रंगीली महल का निर्माण 1996 में जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा कराया गया था।
आकर्षण
- यहां श्री राधा–कृष्ण की लीलाओं का चित्रण किया गया है
- सुंदर बाग और झरने इसकी शोभा बढ़ाते हैं
- एक सत्संग हॉल भी है जहां धार्मिक प्रवचन होते हैं
प्रिया कुंड (पीली पोखर)
प्रिया कुंड को पीली पोखर भी कहा जाता है। मान्यता है कि श्री राधा रानी ने विवाह के बाद यहां मेहंदी धोई थी, जिससे इस कुंड का पानी आज भी मेहंदी के रंग का दिखाई देता है।
बरसाना के मंदिरों की विशेष बातें
- निःशुल्क दर्शन
- बरसाना के सभी मंदिरों में भारतीय और विदेशी दोनों पर्यटकों के लिए निःशुल्क दर्शन की व्यवस्था है।
- त्योहारी उत्सव
- राधाष्टमी पर विशेष सजावट और छप्पन भोग
- लठमार होली जो विश्वप्रसिद्ध है
- जन्माष्टमी पर भव्य उत्सव
- भक्ति और संस्कृति
बरसाना के मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि वे ब्रज संस्कृति, श्री राधा–कृष्ण भक्ति और भारतीय आध्यात्मिकता के जीवंत केंद्र हैं।
बरसाना के प्रसिद्ध मंदिर भारतीय धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिकता की अमूल्य धरोहर हैं। ये मंदिर न केवल श्री राधा–कृष्ण के प्रेम की अमर कहानी कहते हैं, बल्कि भक्तों को आत्मिक शुद्धता और दिव्य अनुभव भी प्रदान करते हैं। चाहे आप धार्मिक आस्था के कारण आएं या ब्रज की सांस्कृतिक विरासत को समझने के लिए, बरसाना के ये मंदिर आपके जीवन में एक अविस्मरणीय अध्याय जोड़ेंगे। “राधे राधे” की मधुर ध्वनि के साथ यहां का हर कोना भक्ति और प्रेम से गुंजायमान रहता है।
बरसाना के प्रसिद्ध मंदिर: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
बरसाना कहाँ स्थित है?
बरसाना उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है, जो ब्रजभूमि का हिस्सा है और श्री राधारानी की जन्मभूमि मानी जाती है।
लाड़ली जी मंदिर किस पर्वत पर स्थित है?
श्री राधा रानी (लाड़ली जी) मंदिर भानुगढ़ पर्वत (ब्रज के चारों गढ़ों में से एक) की चोटी पर स्थित है।
लाड़ली जी मंदिर का निर्माण कब और किसने करवाया?
मंदिर की मौलिक स्थापना भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र राजा वज्रनाभ ने की थी; वर्तमान इमारत का पुनर्निर्माण 1675 ईस्वी में राजा बीर सिंह देव ने करवाया।
मान मंदिर का इतिहास क्या है?
मान मंदिर वह स्थान है जहाँ श्री राधारानी श्री कृष्ण से रूठकर आती थीं; श्री कृष्ण उन्हें मनाने के लिए अनेक व्यूह रचते थे।
कीर्ति मंदिर किसे समर्पित है?
यह मंदिर राधारानी की माता कीर्ति देवी के नाम पर समर्पित है, जहाँ राधा माता की गोद में विराजमान दिखाई देती हैं।
दान बिहारी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
दान बिहारी मंदिर लगभग 800 वर्ष पुराना है और यह दान की भावना के लिए विख्यात है; यहाँ जन्माष्टमी व होली पर भव्य उत्सव होते हैं।
मोर कुटीर मंदिर की पौराणिक कथा क्या है?
मोर कुटीर में कृष्ण और मोर के बीच नृत्य प्रतियोगिता हुई थी, जिसमें कृष्ण मोर से हार गए थे, इस कथा को दर्शाया गया है।
बरसाना के मंदिरों में दर्शन का शुल्क कितना है?
बरसाना के अधिकांश मंदिरों में दर्शन भारतीय व विदेशी पर्यटकों के लिए निःशुल्क हैं।
लठमार होली कब मनाई जाती है?
लठमार होली फाल्गुन महीने में आती है; बरसाना में महिलाएँ लठ लेकर नंदगांव के पुरुषों पर प्रहार करती हैं, जो विश्वप्रसिद्ध कार्यक्रम है।
बरसाना यात्रा के दौरान और क्या देखना चाहिए?
बरसाना में रंगीली महल, संकरी खोर, प्रिया कुंड आदि भी दर्शनीय स्थल हैं जो ब्रज संस्कृति की विविधता दिखाते हैं
नोट: हमारे द्वारा उपरोक्त लेख में अगर आपको कोई त्रुटि दिखे या फिर लेख को बेहतर बनाने के आपके कुछ सुझाव है तो कृपया हमें कमेंट या फिर ईमेल के द्वारा बता सकते है हम आपके सुझावों को प्राथिमिकता के साथ उसे अपनाएंगे धन्यवाद !