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वृंदावन के 41 दिव्य मंदिर: श्री राधा-कृष्ण की लीला भूमि की आध्यात्मिक यात्रा

वृंदावन धाम: वृंदावन के 41 प्रमुख मंदिर जहाँ हर मंदिर सुनाता है श्री राधा-कृष्ण की अनंत प्रेमकथा

श्री यमुना जी  के पावन तट पर बसा वृंदावन, भक्ति और प्रेम का अद्वितीय संगम है। यह वही भूमि है जहाँ श्री राधा-कृष्ण की अमर प्रेम-लीलाएँ घटित हुईं। यहाँ के प्रत्येक गली, प्रत्येक मंदिर और प्रत्येक घाट में श्री राधा-कृष्ण के भक्ति की सुगंध बसी है। यह स्थान केवल तीर्थ या धाम नहीं, बल्कि आत्मा को शांति और मन को आनंद देने वाला आध्यात्मिक अनुभव है।

यहां हर साल करोड़ो  श्रद्धालु आते हैं, कुछ दर्शन के लिए, कुछ ध्यान के लिए और कुछ भक्ति के उस रस को चखने के लिए जो केवल वृंदावन में मिलता है।

हम इस लेख में आपको वृंदावन के 41 प्रमुख मंदिरों से परिचित कराएंगे जिससे आपको और आपके प्रियजनों को कभी भी वृंदावन जाने का अवसर प्राप्त हो तो वो वहां के प्रमुख मंदिरो के दर्शनों से वंचित न रह जाये और वो वृंदावन के सभी मंदिरो के दर्शन आसानी से कर सके।

Vrindavan the spiritual place in India

वृंदावन के दिव्य 41 मंदिर

1. श्री बांके बिहारी मंदिर

श्री बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का हृदय माना जाता है। 1864 में स्वामी हरिदास जी ने इस मंदिर की स्थापना की, जब उन्होंने अपने ध्यान में भगवान श्री कृष्ण को त्रिभंग मुद्रा में प्रकट होते देखा। यहां भगवान के दर्शन का अद्भुत नियम है विग्रह के सामने परदा बार-बार हटाया और डाला जाता है। मान्यता है कि उनकी मोहिनी छवि में भक्त इतने खो जाते हैं कि समय का ध्यान ही नहीं रहता। मंदिर में कोई घंटा या शंख नहीं बजाया जाता, ताकि भगवान् को किसी तरह की को परेशानी न हो।  होली और जन्माष्टमी के समय मंदिर फूलों और रोशनी से सजाया जाता है।

2. इस्कॉन मंदिर (श्री कृष्ण बलराम मंदिर)

1975 में ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा स्थापित, यह मंदिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्री कृष्ण-भक्ति का केंद्र है। मंदिर में संगमरमर से बने विशाल प्रांगण, स्वच्छ वातावरण और लगातार होने वाला हरिनाम संकीर्तन मन को भक्ति में डुबो देता है। गर्भगृह में श्रीकृष्ण-बलराम, राधा-श्यामसुंदर और गौरा-निताई की सुंदर विग्रह विराजमान हैं। यहाँ की गोविंद आरती और रात्रि भजन संध्या अद्वितीय हैं।

3. प्रेम मंदिर

2012 में जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा निर्मित प्रेम मंदिर, वृंदावन के सबसे भव्य और आकर्षक मंदिरों में से एक है। सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर दिन और रात दोनों समय अलग-अलग रूप में चमकता है। मंदिर की दीवारों पर श्री राधा-कृष्ण की लीलाओं को दर्शाती सुंदर नक्काशियाँ हैं। शाम को यहाँ का लाइट-एंड-साउंड शो विशेष आकर्षण है, जिसमें रंग-बिरंगी रोशनी के बीच मंदिर मानो जीवंत हो उठता है।

यात्रा टिप: शाम 7 बजे के आसपास आएं, ताकि दिन और रात दोनों रूपों का आनंद ले सकें।

4. श्री राधा रमण मंदिर

16वीं शताब्दी में गोस्वामी गोकुलानंद द्वारा स्थापित, श्री राधा रमण मंदिर अपनी विशिष्ट विग्रह के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें श्री राधा जी की मूर्ति नहीं है—माना जाता है कि स्वयं श्रीकृष्ण राधा के स्वरूप में यहाँ विराजमान हैं। यह मंदिर वृंदावन के सबसे पुराने और आध्यात्मिक वातावरण वाले मंदिरों में से एक है।

5 . श्री गोविंद देव जी मंदिर

गोविंद देव जी मंदिर का निर्माण 1590 में राजा मानसिंह ने करवाया था और यह वृंदावन के प्राचीनतम एवं भव्यतम मंदिरों में से एक है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर मुगल स्थापत्य और हिंदू कला का अद्वितीय संगम है। कभी यह सात मंज़िला था, लेकिन औरंगज़ेब के समय ऊपरी मंज़िलें नष्ट कर दी गईं। आज भी मंदिर का विशाल हॉल और नक्काशीदार स्तंभ इसकी भव्यता का प्रमाण हैं।

6 . श्री गोपीनाथ मंदिर

श्री गोपीनाथ मंदिर 16वीं शताब्दी में मदन मोहन जी के सहयोगी मदन मोहन गोस्वामी द्वारा स्थापित किया गया था। यहाँ का विग्रह श्रीकृष्ण के उस रूप की प्रतीक है जो गोपियों के साथ रास लीला में रमते थे। मंदिर का वातावरण शांत और आध्यात्मिक है, जहां बैठकर भजन या ध्यान करना मन को अत्यंत सुखद अनुभव देता है।

7 . श्री मदन मोहन मंदिर

श्री मदन मोहन मंदिर वृंदावन का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है, जिसे 1580 में श्री संतान गोस्वामी ने स्थापित किया। यह मंदिर यमुना के किनारे एक ऊँचे टीले पर स्थित है, जहां से पूरे नगर का सुंदर दृश्य दिखता है। मंदिर का विग्रह श्रीकृष्ण के उस रूप की है जो मदन (कामदेव) को भी मोहित कर लेते हैं।

यात्रा टिप: सूर्योदय के समय मंदिर की सीढ़ियों से यमुना दर्शन का आनंद लें।

8 . श्री शाहजी मंदिर

शाहजी मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला और संगमरमर की कलाकारी के लिए प्रसिद्ध है। 19वीं शताब्दी में लखनऊ के एक व्यापारी शाह कुण्डनलाल ने इसे बनवाया। यहाँ के ‘बासंती कमरा’ में रंगीन कांच और झूमरों की सजावट अद्भुत है।

यात्रा टिप: सुबह के समय जाएं, जब सूरज की रोशनी संगमरमर पर गिरती है और मंदिर और भी सुंदर लगता है।

9. श्री रंगजी मंदिर (श्री रंगनाथजी जी मंदिर)

1851 में दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित यह मंदिर रघुनाथ जी (श्रीराम) को समर्पित है, लेकिन यहां राधा-कृष्ण के दर्शन भी होते हैं। मंदिर में गोपुरम, विशाल प्रांगण और ऊँची दीवारें इसे दक्षिण भारत के मंदिरों की याद दिलाती हैं। सालाना ‘रथ यात्रा’ यहां का प्रमुख आकर्षण है।

यात्रा टिप: मार्च-अप्रैल में आने पर रथ यात्रा का आनंद लें।

10. श्री राधा वल्लभ मंदिर

श्री राधा वल्लभ मंदिर राधा-कृष्ण की अद्वितीय भक्ति के लिए जाना जाता है। यहां श्री राधा जी की मूर्ति नहीं है, बल्कि उनके स्थान पर एक रजत (चांदी) का मुकुट रखा जाता है, जो दर्शाता है कि श्री राधा जी सदैव कृष्ण के हृदय में विराजमान हैं। मंदिर में भजन और कीर्तन की धारा निरंतर बहती रहती है।

यात्रा टिप: सुबह की मंगला आरती अवश्य देखें।

11. जयपुर मंदिर

जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने 1917 में इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया। लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर में श्री राधा-कृष्ण, अनंग मंजरी और लालिता जी की मूर्तियां विराजमान हैं। इसकी कलात्मक नक्काशी और विशाल आंगन इसे अद्वितीय बनाते हैं।

यात्रा टिप: वास्तुकला प्रेमियों के लिए यह मंदिर सुबह के समय फोटोग्राफी के लिए आदर्श है।

12. श्री कात्यायनी पीठ

कात्यायनी पीठ वृंदावन की शक्ति पीठों में से एक है और इसे देवी कात्यायनी का निवास माना जाता है। नवरात्रि में यहां विशेष पूजा-अर्चना और भंडारे का आयोजन होता है। यह मंदिर केवल कृष्ण-भक्ति ही नहीं, बल्कि शक्ति-उपासना का भी केंद्र है।

यात्रा टिप: नवरात्रि के समय आने पर अद्भुत सजावट और भक्ति का अनुभव मिलता है।

13. श्री राधा दामोदर मंदिर

1569 में श्री जीव गोस्वामी ने इस मंदिर की स्थापना की थी। यह मंदिर गौड़ीय वैष्णव परंपरा में विशेष स्थान रखता है। मान्यता है कि यहां की परिक्रमा करने से गोवर्धन पर्वत (गिरिराज महाराज जी) की परिक्रमा का फल मिलता है।

यात्रा टिप: मंदिर की परिक्रमा अवश्य करें, इसे आधा घंटा लगता है।

14. पागल बाबा मंदिर

20वीं सदी के मध्य में पागल बाबा (श्री रामकृष्ण दास जी महाराज) द्वारा स्थापित, यह मंदिर अपनी बहुमंज़िला संरचना और रात्रि समय की रोशनी के लिए प्रसिद्ध है। यहां रामायण और महाभारत की झांकियां देखने लायक होती हैं।

यात्रा टिप: रात में मंदिर की लाइटिंग जरूर देखें।

15. सेवा कुंज और निधिवन

यह स्थान मंदिर नहीं, बल्कि एक पवित्र उपवन है, जहां मान्यता है कि श्री राधा-कृष्ण रात्रि में रास रचाते हैं। यहां रात में कोई नहीं रुकता और सुबह पुजारी को ताजे फूल, उलझे बिस्तर और महकते परिधान मिलते हैं। सेवा कुंज में राधा-कृष्ण की मूर्तियां भव्य श्रृंगार में देखी जा सकती हैं।

यात्रा टिप: शाम के समय भ्रमण करें, ताकि उपवन का शांत और रहस्यमय वातावरण महसूस कर सकें।

16. श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर

यह मंदिर 16वीं शताब्दी में श्री श्यामानंद प्रभु द्वारा स्थापित किया गया था। यहां विराजमान राधा-श्यामसुंदर की मूर्ति अत्यंत ललित और आकर्षक है। मान्यता है कि यह मूर्ति स्वयं श्री राधारानी ने श्यामानंद प्रभु को प्रदान की थी। मंदिर का वातावरण अत्यंत शांत और भक्ति से ओत-प्रोत है।

यात्रा टिप: वसंत पंचमी के समय आने पर यहां की सजावट और भजन-कीर्तन अद्वितीय होते हैं।

17. श्री राधा गोकुलानंद मंदिर

गोस्वामी लोकनाथ द्वारा स्थापित यह मंदिर वृंदावन के प्रमुख वैष्णव स्थलों में से एक है। यहां राधा-गोकुलानंद के साथ-साथ चैतन्य महाप्रभु और गोपाल भट्ट गोस्वामी की मूर्तियां भी विराजमान हैं। मंदिर का आंगन छोटा है, लेकिन अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक महत्व का है।

यात्रा टिप: यहां प्रातःकाल की आरती में शामिल होना विशेष अनुभव देता है।

18. श्री राधा गोपीनाथ मंदिर

यह मंदिर गौड़ीय वैष्णव परंपरा में महत्वपूर्ण है और गोपीनाथ भगवान की भव्य मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यहां की मूर्ति की विशेषता है कि उनका रूप भक्तों को सहजता और अपनापन का अनुभव कराता है। मंदिर का स्थापत्य साधारण लेकिन अत्यंत भव्य है।

19. श्री राधा गोविंदाजी मंदिर (ऐतिहासिक अवशेष एवं सक्रिय मंदिर)

यह मंदिर वृंदावन के ऐतिहासिक रत्नों में से एक है। मूल मंदिर 1590 में बनाया गया था, लेकिन औरंगज़ेब के समय इसे आंशिक रूप से नष्ट कर दिया गया। आज भी इसका कुछ भाग सक्रिय पूजा के लिए उपयोग होता है और शेष अवशेष इतिहास के साक्षी हैं।

यात्रा टिप: इतिहास प्रेमियों के लिए यह मंदिर अवश्य देखने योग्य है।

20. श्री राधा मोहन मंदिर

श्री राधा मोहन मंदिर श्री राधा-कृष्ण की मधुर लीलाओं का प्रतीक है। यहां की मूर्तियां सुंदर श्रृंगार और अलंकरण से सजी रहती हैं। मंदिर का वातावरण भक्तिमय गीतों और मृदंग की धुन से गूंजता रहता है।

यात्रा टिप: शाम की संध्या आरती में अवश्य शामिल हों।

21. श्री राधा मदनमोहन मंदिर (नया)

यह मंदिर प्राचीन मदन मोहन मंदिर का आधुनिक संस्करण है। यहां की विग्रह  और अलंकरण प्राचीन शैली में ही बनाए गए हैं, ताकि भक्त पुरानी भक्ति परंपरा का अनुभव कर सकें।

यात्रा टिप: होली के समय यहां की फूलों की होली देखने योग्य होती है।

22. श्री राधा तिलक विहारी मंदिर

यह मंदिर अपनी अद्वितीय मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण के माथे पर तिलक का विशेष चिन्ह है। यहां की भक्ति-सेवा में स्थानीय लोगों की गहरी भागीदारी होती है।

यात्रा टिप: कार्तिक मास की संध्याओं में यहां का दीपदान अवश्य देखें।

23. श्री राधा रास बिहारी अष्ट सखी मंदिर

यह मंदिर राधा-कृष्ण और उनकी आठ प्रमुख सखियों को समर्पित है। यहां की सजावट और अलंकरण में रासलीला की झलक मिलती है। मंदिर में वर्ष भर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

यात्रा टिप: रास उत्सव के समय यहां आना विशेष रूप से लाभकारी है।

24. श्री राधा आनंद बिहारी मंदिर

श्री राधा आनंद बिहारी मंदिर अपनी सुंदर और हंसमुख मूर्तियों के लिए जाना जाता है, जो भक्तों के मन में आनंद का संचार करती हैं। यहां का भजन और कीर्तन वातावरण को अत्यंत सुखद बनाते हैं।

यात्रा टिप: रविवार की संध्या में यहां का भजन कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय है।

25. श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर (पुराना)

यह मंदिर वृंदावन की प्राचीन धरोहरों में से एक है, जहां की मूर्ति सैकड़ों वर्ष पुरानी है। यहां की दीवारों और स्तंभों पर पुराने समय की कलाकारी झलकती है।

यात्रा टिप: सुबह-सुबह यहां का दर्शन और भजन एक अलग ही शांति प्रदान करता है।

26. श्री राधा स्नेह बिहारी मंदिर

श्री राधा स्नेह बिहारी मंदिर का नाम ही इसकी विशेषता बताता है यह मंदिर राधा-कृष्ण के मधुर स्नेह को समर्पित है। यहां की मूर्तियां अत्यंत भावपूर्ण हैं, जो भक्तों के हृदय में प्रेम और भक्ति का संचार करती हैं। मंदिर का वातावरण शांत और सात्विक है, जहां भजन-कीर्तन निरंतर होते रहते हैं।

यात्रा टिप: सावन मास में यहां की सजावट और भक्ति उत्सव का आनंद लें।

27. श्री राधा विजय गोविंद मंदिर

यह मंदिर श्री राधा-कृष्ण की विजय और प्रेम की प्रतीक है। यहां की मूर्तियां भव्य वस्त्रों और आभूषणों से अलंकृत रहती हैं। मंदिर का स्थापत्य अपेक्षाकृत नया है, लेकिन भक्ति वातावरण प्राचीन मंदिरों की तरह ही गहरा है।

यात्रा टिप: जन्माष्टमी के समय यहां आने पर विशेष झांकियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को मिलते हैं।

28. श्री राधा दामोदर नया मंदिर

यह मंदिर पुराने श्री राधा दामोदर मंदिर का विस्तारित रूप है। यहां भक्तों के लिए अधिक जगह और सुविधाएं बनाई गई हैं, लेकिन पूजा-पद्धति और भक्ति परंपरा वैसी ही रखी गई है जैसी सदियों से चली आ रही है।

यात्रा टिप: यहां दर्शन के बाद नजदीक के पुराने दामोदर मंदिर के दर्शन भी अवश्य करें।

29. श्री राधा मनोहर मंदिर

श्री राधा मनोहर मंदिर अपनी अलौकिक मूर्तियों और सुंदर श्रृंगार के लिए प्रसिद्ध है। यहां श्री राधा-कृष्ण का वह रूप देखने को मिलता है जो भक्त के मन को तुरंत मोहित कर लेता है। मंदिर का प्रांगण छोटा है, लेकिन भक्ति की ऊर्जा गहरी है।

यात्रा टिप: कार्तिक पूर्णिमा की रात यहां दीपमालिका सजावट अद्भुत होती है।

30. श्री राधा प्रिया वल्लभ मंदिर

यह मंदिर राधा-कृष्ण की मधुर लीलाओं और प्रेम की चरम अभिव्यक्ति को दर्शाता है। यहां की मूर्तियों का श्रृंगार प्रतिदिन बदलता है, जिससे हर दिन नया अनुभव मिलता है। मंदिर में रासलीला और भजन कार्यक्रम वर्ष भर चलते रहते हैं।

31  . श्री गोपेश्वर महादेव मंदिर

यह मंदिर भगवान शिव के उस रूप की स्मृति है जब वे गोपियों के वेश में श्रीकृष्ण के रास में सम्मिलित होने आए थे। यहाँ का शिवलिंग विशेष रूप से पूजनीय है, और कार्तिक मास में यहाँ का वातावरण अत्यंत आध्यात्मिक हो जाता है।

32  . श्री गौरी शंकर मंदिर

श्री गौरी शंकर मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य संगम का पावन स्थल है। यह मंदिर भक्तों को भगवान शिव की भक्ति, त्याग और करुणा का संदेश देता है। श्रावण मास और महाशिवरात्रि के समय यहां विशेष पूजा और रुद्राभिषेक का आयोजन होता है, जिसमें शिवभक्त गंगा जल और बेलपत्र अर्पित करते हैं। शांत वातावरण और गूंजते मंत्रों की ध्वनि भक्तों को गहरे ध्यान में ले जाती है।

33. श्री गोविंद कुंड

श्री गोविंद कुंड एक पवित्र जलाशय है जो भगवान गोविंद देव जी से जुड़ा है। श्रद्धालु मानते हैं कि यहाँ स्नान करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है। कुंड के आसपास का क्षेत्र शांत और ध्यान के लिए उपयुक्त है।

34. श्री गौर-नीताई मंदिर

श्री गौर-नीताई मंदिर भगवान चैतन्य महाप्रभु और नित्यानंद प्रभु की दिव्य लीलाओं को समर्पित है। यहाँ भक्तों को हरिनाम संकीर्तन, भजन और प्रवचनों के माध्यम से भक्ति का अमृत पिलाया जाता है। मंदिर का वातावरण अत्यंत आनंदमय और प्रेममयी होता है, जो गौड़ीय वैष्णव परंपरा की आत्मा को सजीव करता है।

35 . श्री राधा पार्थसारथी जी मंदिर

राधा पार्थसारथी जी मंदिर में भगवान कृष्ण के अर्जुन के सारथी स्वरूप की पूजा होती है। यह मंदिर भक्तों को महाभारत के उपदेश और भगवद्गीता के ज्ञान की याद दिलाता है।

36. श्री राधा गिरिधारी जी मंदिर

यह मंदिर उस दिव्य घटना की याद दिलाता है जब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर व्रजवासियों की रक्षा की थी। यहां राधा और गिरिधारी जी की पूजा विशेष श्रद्धा से की जाती है।

37. राधा गोपाल जी मंदिर

राधा गोपाल जी मंदिर में भगवान गोपाल के बाल स्वरूप की पूजा होती है। भक्त यहां गोपाल जी को अपने बालक के समान मानकर सेवा करते हैं, जिससे मंदिर में वात्सल्य रस की अनुभूति होती है।

38 . श्री लोटस मंदिर

पद्माकार आकार का यह आधुनिक मंदिर शांति, ध्यान और भक्ति के लिए उपयुक्त स्थान है। यहाँ का वातावरण अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है।

39. श्री वंशीवट

यह वह स्थान है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी की मधुर तान से गोपियों को रास के लिए बुलाया था। वृंदावन की लीलाओं का यह स्थान अत्यंत पवित्र है।

40. श्री द्वारकाधीश मंदिर

श्रीकृष्ण के द्वारका-स्वरूप की भव्य पूजा यहाँ की जाती है। जन्माष्टमी और होली के समय यहाँ की सजावट और उत्सव अनुपम होते हैं।

41 . श्री केशव देव मंदिर

श्रीकृष्ण के जन्मस्थान से जुड़े इस पवित्र स्थल का आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। यह मंदिर श्रद्धा और इतिहास का अनूठा संगम है, जहाँ भक्त ध्यान और भक्ति में लीन हो जाते हैं।

यात्रा टिप: बसंत पंचमी के समय यहां की पीली फूलों से सजावट देखने योग्य होती है।

यात्रा सुझाव (Practical Tips)

  • सबसे अच्छा समय: कार्तिक मास (अक्टूबर-नवंबर) और होली-फाल्गुन का महीना यात्रा के लिए उत्तम हैं।
  • कैसे पहुँचें: मथुरा जंक्शन से वृंदावन लगभग 12 किमी है; ऑटो, टैक्सी या ई-रिक्शा आसानी से मिलते हैं।
  • आचार-संहिता: मंदिरों में मर्यादित वस्त्र पहनें, फोटोग्राफी केवल अनुमति मिलने पर ही करें।
  • भ्रमण क्रम: बांके बिहारी, इस्कॉन, प्रेम मंदिर से शुरुआत करें और फिर अन्य मंदिरों की ओर जाएं।
  • खाद्य व्यवस्था: सात्विक भोजन के लिए इस्कॉन का ‘गोविंदा रेस्टोरेंट’ या स्थानीय प्रसादालयों का रुख करें।

श्री वृंदावन धाम केवल एक नगर नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम की जीवंत कथा है, जो हर गली, हर मंदिर और हर घाट में सुनाई देती है। यहां का हर मंदिर एक अलग अध्याय है, जिसमें इतिहास, कला और भक्ति का अद्भुत संगम है। चाहे आप आध्यात्मिक साधक हों, इतिहास प्रेमी हों या सांस्कृतिक खोजी, वृंदावन आपको अपने दिव्य आकर्षण में बांध लेगा। अब समय है कि आप भी इस पवित्र नगरी की यात्रा की योजना बनाएं और श्री राधा-कृष्ण की कृपा का अनुभव करें। जय श्री राधे! 🙏

नोट: हमारे द्वारा उपरोक्त लेख में अगर आपको कोई त्रुटि दिखे या फिर लेख को बेहतर बनाने के आपके कुछ सुझाव है तो कृपया हमें कमेंट या फिर ईमेल के द्वारा बता सकते है हम आपके सुझावों को प्राथिमिकता के साथ उसे अपनाएंगे धन्यवाद !

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