लेह लद्दाख टूरिस्ट प्लेस
लेह लद्दाख आपकी रूचि और आपकी क्षमता पर निर्भर करता है। लद्दाख अपनी खूबसूरती की वजह से भारतीय पर्यटकों की ट्रैवल लिस्ट में अपनी जगह जरूर सुनिश्चित कर लेता है। लद्दाख की प्राकृतिक खूबसूरती अपने आप में बेहद अनोखी है। चूंकि लद्दाख एक बेहद ठंडा स्थान है इसलिए आप अपने शरीर की क्षमता और रूचि के मुताबिक ही लद्दाख घूमने का विचार बना सकते हैं। लद्दाख में गर्मियों का न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस तक रहता है तथा सर्दियों का तापमान -10 से -15 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। लद्दाख में मुख्यताः अप्रैल में टूरिस्ट सीजन शुरू होता है जब लद्दाख में दिन का तापमान 25 डिग्री के आसपास रहता है हालांकि सर्दी में माइनस -15 डिग्री तापमान होने के बावजूद भी पर्यटक यहां आते हैं।
लद्दाख का इतिहास लगभग दो हज़ार साल से भी ज़्यादा पुराना है और यहाँ की भगौलिक स्तिथि के हिसाब से हिमालय व काराकोरम पर्वत शृंखला के बीच बसे इस भूभाग पर समय समय पर ताकतवर रहे तमाम देशों की नज़र इसे अपने में विलय करने की रही है। 17वीं सदी के अंत में तिब्बत के साथ विवाद के चलते लद्दाख ने खुद को भूटान के साथ जोड़ा था और फिर कश्मीर के डोगरा वंश के शासकों ने लद्दाख को 19वीं सदी में हासिल किया जिसके बाद तिब्बत, भूटान, चीन, बाल्टिस्तान और कश्मीर के साथ कई संघर्ष के बाद 19वीं सदी से लद्दाख कश्मीर का ही हिस्सा रहा। वर्तमान में लद्दाख भारत का एक अभिन्न अंग है।
आइये जानते है लद्दाख के कुछ प्रसद्धि जगहों के बारे में जहाँ आप अपने प्रेमी जानो के साथ जाकर प्राकृतिक सौंदर्यता का भरपूर लुप्त उठा सकते है।
1. पैंगोंग झील
मनमोहक खूबसूरत ब्लू पैंगोंग झील (Pangong Tso Jheel) हिमालय के लेह-लद्दाख के पास स्थित है जो 12 किलोमीटर लंबी और भारत से तिब्बत तक फैली हुई है। यह खूबसूरत झील करीब समुद्री ताल से करीब 43,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति है, जिसकी वजह से यहाँ का तापमान -5 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। इस बेहद आकर्षित झील को पैंगॉन्ग त्सो के रूप में भी जाना जाता है। इस झील का आकर्षण इतना अधिक है कि कई फिल्म निर्दोषको ने इसे अपनी फिल्मों में शामिल किये बिना नहीं रह सके। आप सभी ने बॉलीवुड की प्रसद्धि फिल्म 3 इडियट्स में इसको सबसे अंत में तो देखा ही होगा। पैंगोंग झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता, क्रिस्टल जल और मनमोहक पहाड़ियाँ क्षेत्र के सुंदर परिदृश्य की वजह से यह स्थान लोगो के पर्यटन स्थल की लिस्ट में हमेशा शामिल रहता है।
2. त्सोमोरिरी झील
त्यो मोरीरी झील (Tsomoriri lake ) पैंगोंग झील की जुड़वां झील है जो चांगटांग वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित है। यह सुन्दर लुभावनी मनमोहक मोरीरी झील घाटी में लेह से 250 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में है। लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में त्सो मोरीरी झील भारत में सबसे सुंदर, और शांत झीलों में से एक है। गगनचुम्बी औरसुन्दर पहाड़ों से घिरी यह शांत और खूबसूरत झील समुद्र तल से लगभग 4,000 मीटर ऊपर स्तिथि है। त्सो मोरीरी लगभग 29 किलोमीटर लम्बी और 8 किलोमीटर चौड़ी है। यह झील वन्यजीवों की एक श्रृंखला को अपनी तरफ अत्यधिक आकर्षित करता है, जिसमें प्रवासी पक्षी, मर्मोट्स और तिब्बती भेड़िये शामिल हैं।
3. चुंबकीय हिल
लद्दाख के मैग्नेटिक हिल (Magnetic Hill) को ग्रेविटी हिल के नाम से भी जाना जाता है, जहां वाहन गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से अपने आप ही पहाड़ी की तरफ बढ़ने लगते हैं। यहाँ का ऑप्टिकल भ्रम या वास्तविकता, लद्दाख में मेगनेटिक हिल का रहस्य पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यह स्थान ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में लेह-कारगिल-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर चुंबकीय हिल स्थित है। इसके पूर्व में पवित्र सिंधु नदी बहती है, जो सभी के लिए अत्यधिक आकर्षण का केंद्र है। इस झील के चारों तरफ सुन्दर परिदृश्य के साथ नीले रंग के साथ प्राकृतिक सुंदरता इस जगह को एक बेहद रोमांटिक और लुभावनी बनती है।
4. चादर ट्रैक
चादर ट्रैक (Chadar Trek) लेह-लद्दाख के कठिन ट्रैकों में से है। यह ट्रैक जांस्कर नदी सर्दियों में बर्फ की सफेद चादर में बदल जाती है इस लिए इसे चादर ट्रैक कहा जाता है। चदर फ्रोजन रिवर ट्रेक दूसरे ट्रेकिंग वाली जगहों से काफी भिन्न है।
5. शांति स्तूप
शांति स्तूप (Shanti Stupa) लेह लद्दाख का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो बौद्ध धर्म का सफेद गुंबद वाला स्तूप है। शांति स्तूप, जम्मू एवं कश्मीर में लेह के चंग्स्पा के कृषि उपनगर के ऊपर स्थित है, जिसका निर्माण जापानी बौद्ध भिक्षु ग्योम्यो नाकामुरा ने किया था। यह स्तूप अपने आधार पर बुद्ध के अवशेष रखता है और यहां के चारोतरफ के परिदृश्य का मनोरम दृश्य प्रदान करता है। शांति स्तूप समुद्र तल से 4,267 मीटर की ऊंचाई और सड़क मार्ग से 5 किलोमीटर दूरी पर स्तिथ है। यहां पर आप वैकल्पिक रूप से लेह शहर से 500 सीढ़ियां चढ़कर स्तूप तक पहुंच सकते हैं।
6. लेह पैलेस
लेह पैलेस (Leh Palace) जिसे लचकन पालकर के नाम से भी जाना जाता है। यह लेह-लद्दाख का प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। भारत की ऐतिहासिक समृद्ध संपदाओं में से एक है। इस आकर्षक और मनमोहक संरचना को 17 वीं शताब्दी में राजा सेंगगे नामग्याल ने शाही महल के रूप में निर्मित करवाया था। यह नौ मंजिला महल है। यह अपने समय में ऊंची इमारत में सुमार थी। इस महल में राजा और उनका पूरा राजसी परिवार रहता था।
7. फुगताल मठ
फुगताल मठ (Phuktal Math) लद्दाख के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मठ फुगताल गोम्पा के नाम से भी जाना जाता है। यह शांतिपूर्ण निवास मठ लद्दाख में जंस्कार क्षेत्र के दक्षिणी और पूर्वी भाग में स्थित है। मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में यह स्थान उपदेशकों और विद्वानों की रहने की प्रमुख जगह थी। यह मठ आज भी कई विद्वान और शिक्षक बौद्ध धर्म की उत्कृष्ट विरासत व रहस्य को सहेजे हुए हैं। यह स्थान ध्यान करने और ज्ञान प्राप्त के लिए प्रसद्धि थी। यहाँ गुफा के अंदर चट्टान में एक रहस्यमय खोखला है जिससे निरंतर पानी निकलता रहता है जो आश्चर्य जनक है। इसका बहाव न तो कभी अधिक होता है और न ही कम यह निरतर सामान वेग से बहता रहता है। ऐसी मान्यता है कि इस पानी में हर बीमारी के उपचार की शक्तियां हैं। यह मठ 2250 साल पुराना है। यह एकमात्र ऐसा मठ है जहां पैदल यात्रा करके पहुंचा जा सकता है।
8. स्टोक पैलेस
स्टोक पैलेस (Stok Palace) सिंधु नदी के करीब स्थित लेह-लद्दाख के प्रमुख पर्यटन स्थान में से एक है। इस महल का निर्माण 1825 ईस्वी में राजा त्सेपाल तोंदुप नामग्याल द्वारा करवाया गया था। यह आकर्षक महल वास्तुकला, डिजाइन, सुंदर उद्यानों और अद्भुत दृश्यों के लिए व्यख्यात है। यह सुन्दर महल शाही पोशाक, मुकुट और अन्य शाही सामग्रियों के लिए संग्रह करने का स्थान भी है। आप यहाँ जाके शाही रहन सहन का अनुभव कर सकते सकते है।
9. खारदुंग ला पास
यह स्थान सियाचिन ग्लेशियर में महत्वपूर्ण स्ट्रेटेजिक पास है। खारदुंग ला पास (Khardung La Pass) को लद्दाख क्षेत्र में नुब्रा और श्योक घाटियों के प्रवेश द्वार के रूप में सुप्रशिद्ध है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, स्वच्छ वतावरण और हवा आपको दुनिया के शीर्ष पर होने का आभास कराती है। पिछले कुछ सालों में खारदुंग ला पास लेह लद्दाख का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन के उभरा है।
10. कारगिल
आपने कारगिल (kargil) का जिक्र भारत और पकिस्तान के बीच हुए युद्ध में सुना ही होगा। कारगिल लद्दाख का दूसरा सबसे बड़ा क़स्बा है। कारगिल को अगास की भूमि के नाम से भी जाना जाता है। कारगिल, अपने सुन्दर मठों, खूबसूरत घाटियों और छोटे और सुन्दर टाउन के लिए काफी लोकप्रिय है। इस स्थाान पर कुछ महत्व,पूर्ण पर्यटन आकर्षण और बौद्ध धर्म के धार्मिक केंद्र जैसे सनी मठ, मुलबेख मठ और शरगोल मठ स्थित हैं। आप यहाँ आके प्राकृतिक की सुंदरता और भी करीब से देख सकते हैं।
लेह लद्दाख के प्रमुख उत्सव और त्यौहार
यहाँ के प्रमुख त्यौहार और उत्सव गाल्डन नमछोट, बुद्ध पूर्णिमा, दोसमोचे और लोसर पूरे लद्दाख में बड़ी धूम-धाम से मनाए जाते है और इसी दौरान यहाँ पर्यटकों की भरी भीड़ उमड़ पड़ती है। दोसमोचे नामक प्रसद्धि त्यौहार यहाँ दो दिनों तक चलता है जिसमें बौद्ध भिक्षु नृत्य करते हैं, प्रार्थनाएँ करते हैं और इस क्षेत्र को दुर्भाग्य और बुरी आत्माओं से दूर रखने के लिए भब्य अनुष्ठान करते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है ‘साका दावा’ जिसमें गौतम बुद्ध का जन्मदिन, बुद्धत्व और उनके नश्वर शरीर के ख़त्म होने का जश्न मनाया जाता है। इसे तिब्बती कैलेंडर के अनुसार चौथे महीने में, और सामान्यतः मई या जून में मनाया जाता है जो पूरे एक महीने तक चलता है।
लेह लद्दाख कैसे और कब जायें
कैसे जायें
आप लेह लद्दाख तीनो मार्ग द्वारा रेल मार्ग, हवाई मार्ग, और सड़क मार्ग द्वारा समयानुसार जा सकते हैं। जम्मू हवाई अड्डा के अलावा लद्दाख हवाई अड्डा, गंतव्य तक पहुँचने के लिए सबसे निकटवर्ती एयर बेस है जो राज्य के सभी महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है। रेल मार्ग से जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ‘जम्मू तवी’ रेलवे स्टेशन है क्योंकि लद्दाख में कोइ भी रेलवे स्टेशन नहीं है। यह रेलवे स्टेशन लद्दाख से करीब 680 किमी की दूरी पर है। सड़क मार्ग द्वारा लेह शहर तक पहुँचने के लिए श्रीनगर से बस सेवायें आसानी से आपके लिए उपलब्ध हैं। दोनों शहरों की बीच की दूरी करीब 438 किलोमीटर है। श्रीनगर और लेह के बीच का सड़क मार्ग से आपका सफर लगभग दो दिनों में पूर्ण होता है।
कब जायें
यह स्थान शर्दियों में अत्यधिक ठंडा रहता है जिससे यहाँ की यात्रा शर्दियों में करना काफी कठिन हो सकती है। आप यहाँ पर गर्मियाँ की यात्रा करने का विचार अवश्य बना सकते है जबकि यहाँ मई जून की छुट्टियों से लेकर नवम्बर माह तक जाया जा सकता है। इन्हीं दिनों में लद्दाख के प्रमुख उत्सव भी संपन्न होते है।
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नोट – कोरोना काल के समय में आप कोई भी यात्रा भारत सरकार द्वारा प्रदान की हुई गाइडलाईन को ध्यान में रखकर करें।