भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक विजयादशमी हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की और देवी दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया। यही कारण है कि दशहरा भारतीय संस्कृति और आस्था में विशेष स्थान रखता है।
विजयादशमी (Vijayadashami)
जब अश्विन शुक्ल दशमी तिथि का दिन उजाला फैलाता है, तब पूरे भारत में दशहरा/विजयादशमी का पर्व उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार दो महान युद्धों—रामलला के रावण पर विजय और माँ दुर्गा के महिषासुर पर विजय—का प्रतिक है, जो अधर्म पर धर्म की शाश्वत जीत का संदेश देता है। दशहरा/विजयादशमी का आध्यात्मिक स्वरूप शक्ति, सत्य और साहस का स्मरण करवाता है, जो हमारे भीतर भी जागृति लाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
विजयादशमी का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
दशहरे के पीछे दो प्रमुख कथाएँ जुड़ी हैं। पहली कथा त्रेतायुग में भगवान राम द्वारा रावण का वध और सीता माता की मुक्ति का वर्णन करती है। दूसरी कथा शारदीय नवरात्रि के अंत में देवी दुर्गा का महिषासुर संहार दर्शाती है। दोनों ही घटनाएँ अधर्म पर धर्म की विजय और शक्ति की महिमा को उजागर करती हैं। इसलिए इसे ‘विजयादशमी’ कहा जाता है, जिसमें ‘विजय’ का अर्थ है सफलता और ‘दशमी’ दसवीं तिथि।
विजयादशमी तिथि और शुभ मुहूर्त 2025
वर्ष 2025 में दशहरा/विजयादशमी का उत्सव गुरुवार, 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दिल्ली सहित अधिकांश भारतीय शहरों में दशमी तिथि 1 अक्टूबर शाम 7:01 बजे आरंभ होकर 2 अक्टूबर शाम 7:10 बजे समाप्त होगी।
- विजया मुहूर्त: दोपहर 2:09 से 2:56 बजे तक (47 मिनट)।
- अपराह्न पूजा समय: दोपहर 1:21 से 3:44 बजे तक (2 घंटे 23 मिनट)।
इस मुहूर्त में शस्त्र पूजा, शमी पूजा, अपराजिता पूजा और सीमा अवलांगन जैसे अनुष्ठान पूरे विधिवत किए जाते हैं।
प्रमुख समारोह और पूजा विधियाँ
शस्त्र पूजा (आयुध पूजा)
राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही प्रथा के अनुसार, इस दिन सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र, उपकरण और वाहन भगवान की ललाट पर तिलक लगाकर पूजा किए जाते हैं। यह परंपरा आज भी जारी है और इसे विजय प्राप्ति का आशीर्वाद माना जाता है।
शमी पूजा
शमी वृक्ष (सोरसो की शाखा) को योद्धाओं का वरदान देने वाली मान्यता से पूजनीय माना गया है। प्रभातकाल में इसकी पूजा से परिवार में समृद्धि, साहस और विजय के सूत्र स्मरण होते हैं।
अपराजिता पूजा
देवी अपराजिता की आराधना से शक्ति, दृढ़ता और सभी बाधाओं पर विजय प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। माना जाता है कि भगवान राम ने रावण के समक्ष विजय प्राप्ति से पूर्व अपराजिता का पूजन किया था।
सीमा अवलांगन
विजयादशमी को सीमाएँ पार कर हम नए आरंभ का संकल्प लेते हैं। यह अनुष्ठान क्षेत्रीय परंपरा के अनुसार प्रतिक रूप में कहीं से कहीं तक चलकर सीमाओं का उल्लंघन कर सफलता प्राप्ति का प्रतीक है।
विजयादशमी की आध्यात्मिक शिक्षा
विजयादशमी सिखाता है कि सत्य और साहस से भरा मन कभी पराजित नहीं होता। राम और दुर्गा दोनों ही जीवन में कर्तव्यनिष्ठा, त्याग और भक्ति का उदाहरण देते हैं। यह पर्व हमें आत्मा के अंधकार (अहंकार, क्रोध, लोभ) का दहन कर अंतर्ज्ञान के प्रकाश (सत्य, करुणा, धैर्य) को जगाने का संकेत देता है।
विजयादशमी का आधुनिक संदर्भ
आज विजयादशमी आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नए आरंभ, व्यवसाय या शिक्षा के नए चरण का शुभारंभ करने का दिन है। इस दिन नवदीक्षा, स्कूलों में विद्यारंभ, नए कार्य-स्थलों में उद्घाटन और सामाजिक-राजनीतिक समारोह होते हैं।
विजयादशमी केवल त्योहार नहीं, बल्कि मनुष्य के भीतर की अपराजेय शक्ति और सच्चाई की अनुभूति है। इस दिन शस्त्र-पूजा, शमी-पूजा, अपराजिता-पूजा और रावण-दहन के साथ अपने जीवन के सभी अंधकारों का संहार कर सत्य-सिद्धि की ओर अग्रसर हों। पूरी श्रद्धा और विश्वास से इस पावन अवसर पर अपने कर्तव्यों का पालन करें और विजयादशमी के उत्सव का आत्मिक आनंद अनुभूत करें।
विजयादशमी की शुभकामनाएं संदेश
असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की और बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है विजयादशमी। आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ!

- माँ दुर्गा का शंख, चक्र और त्रिशूल आपके जीवन को सुरक्षित रखें,
उनके आशीर्वाद से आपके सभी प्रयास अवश्य सिद्ध हों। - पंडाल की बत्ती की तरह जगमग हो माँ का आशीर्वाद,
दुर्गा की महिमा से जीवन बने मंगलमय साध। - दुर्गा माता के चरणों में मिले आपको हर संभव आनंद,
उनके आशिर्वाद से सफल हो हर कठिनतम कार्य भी निर्वानद।
- विजयादशमी का यह पावन पर्व आपके जीवन में खुशियाँ, सफलता और शांति का प्रकाश लेकर आए। शुभ विजयादशमी!
- विजयादशमी हमें यह संदेश देती है कि चाहे कठिनाई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, विजय हमेशा सत्य और धर्म की ही होती है।
- या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
माता दुर्गा की विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं - सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।
आपको और आपके पूरे परिवार को
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं - माता दुर्गा आपको शक्ति और ज्ञान प्रदान करें
इस विजयादशमी आपके जीवन पथ पर सफलता की विजय हो
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं - शक्ति और सुरक्षा के संदेश
माता दुर्गा का दिव्य आशीर्वाद
आपके और आपके परिवार के साथ सदैव बना रहे
राक्षसी शक्तियों से आपकी रक्षा करें मां भवानी
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं - माता दुर्गा के नौ रूपों का आशीर्वाद
यश, नाम, धन, सुख, समृद्धि, शिक्षा, स्वास्थ्य, शक्ति और समर्पण
आप सभी को प्राप्त हो
शुभ विजयादशमी - मां दुर्गा की दिव्य शक्ति
आपको जीवन की हर चुनौती से लड़ने का साहस दे
बुराई पर अच्छाई का विजय आपके साथ हो
विजयादशमी की शुभकामनाएं
Vijayadashami Wishes in Hindi Text
- मां दुर्गा और भगवान राम की कृपा से आपके जीवन में साहस, शांति और समृद्धि बनी रहे। शुभ विजयादशमी!
- इस पावन पर्व पर भगवान श्रीराम का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे। विजयादशमी की मंगलकामनाएँ!
- विजयादशमी का पर्व आपके जीवन में नई ऊर्जा और नए सपनों को साकार करने की शक्ति दे।
- अच्छाई की जीत का संदेश देने वाली विजयादशमी आपके परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद लेकर आए।
- इस विजयादशमी पर हम सब यह प्रण लें कि जीवन में सत्य और धर्म के मार्ग पर चलेंगे। शुभकामनाएँ!
- विजयादशमी का पावन दिन आपके जीवन से अंधकार मिटाकर उजाले और नई उम्मीदों से भर दे।
दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
- सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वालों की सदैव विजय होती है। शुभ दशहरा!

- विजयादशमी का पर्व आपको हर कठिनाई पर जीत दिलाए। हैप्पी दशहरा!
- राम जी की तरह आप भी हर समस्या का समाधान धैर्य और विवेक से करें। शुभ दशहरा!
- दशहरा का पर्व हमें जीवन में विनम्रता और सद्गुणों का महत्व याद दिलाता है।
- रावण का अंत हमें सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य की ही विजय होती है।
- इस दशहरे पर आपके जीवन से दुख, भय और असफलता दूर होकर सुख, शांति और सफलता का प्रवेश हो।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. दशहरा और विजयादशमी में क्या अंतर है?
दशहरा (Dussehra) आमतौर पर राम-रावण युद्ध के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जबकि विजयादशमी माँ दुर्गा के महिषासुर संहार के रूप में मनाई जाती है।
2. विजय मुहूर्त और अपराह्न पूजा समय क्या है?
विजया मुहूर्त दोपहर 2:09 से 2:56 बजे तक और अपराह्न पूजा समय 1:21 से 3:44 बजे तक रहेगा।
3. शस्त्र पूजा क्यों की जाती है?
शस्त्र पूजा से जीवन के सभी अस्त्र-शस्त्रों और साधनों को भगवान की सुरक्षा और विजय का आशीर्वाद मिलता है।
4. शमी पूजा का महत्व क्या है?
शमी वृक्ष को वीरता और विजय का प्रतीक माना जाता है; इसकी पूजा से सम्मान, साहस और समृद्धि प्राप्त होती है।
5. रावण दहन का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?
रावण दहन अहंकार, क्रोध, लोभ और मोह के अंधकार का प्रतीकात्मक संहार है, जिससे मनुष्य में शुद्धि और आत्मबल का विकास होता है।
6. अपराजिता पूजा किस समय करनी चाहिए?
अपराह्न मुहूर्त (1:21–3:44 PM) के दौरान अपराजिता पूजा विधिवत की जाती है।
7. सीमा अवलांगन क्या है?
यह अनुष्ठान सीमाएँ पार कर नए आरंभ और विजय की भावना का प्रतीक है; पुरातन काल में योद्धा इससे युद्ध क्षेत्र में प्रवेश करते थे।
8. दशहरा के अवसर पर नया कार्य कब प्रारंभ करें?
दशमी तिथि के विजया मुहूर्त के दौरान नया कार्य आरंभ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
9. विजयादशमी किस-किस राज्य में अलग रूप में मनाई जाती है?
उत्तर भारत में रावण दहन; गुजरात-महाराष्ट्र में गरबा-डांडिया; पूर्वोत्तर में दशैं; दक्षिण भारत में विद्यारंभ आदि परंपराएँ प्रचलित हैं।
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