श्री कृष्ण जन्माष्टमी: प्रेम, भक्ति और उत्सव की एक पावन रात
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत उनके हर भक्त और सभी सनातनी के के लिए विशेष महत्व रखता है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी… मथुरा के राजा कंस की कारागार में पहरेदार खड़े थे, दरवाजे पर ताले जड़े थे, और चारों ओर अंधेरा था। तभी मध्यरात्रि में वह दिव्य क्षण आया जब नन्हे कान्हा ने जन्म लिया। उनका आगमन केवल माता देवकी-वासुदेव के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए आशा और प्रेम का संदेश था। यही स्मृति हमें हर साल जन्माष्टमी के रूप में उस पावन रात से जोड़ देती है, जब ब्रह्मांड में भक्ति और आनंद का नया अध्याय लिखा गया। यही कारण है कि हर वर्ष इस दिन को हम श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के रूप में बड़े उत्साह और भक्ति भाव से मनाते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2025 का व्रत कब है?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 में, रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि का संयोग एक साथ नहीं बन रहा है। द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तब यह अद्भुत संयोग विद्यमान था। इस वर्ष 15 अगस्त 2025 को अष्टमी तिथि थोड़े समय के लिए रहेगी, जबकि 16 अगस्त को यह सूर्योदय से लेकर पूरे दिन तक बनी रहेगी। उदयकालीन तिथि के महत्व को देखते हुए, जन्माष्टमी का पर्व शनिवार, 16 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह वृद्धि योग के बाद ध्रुव योग का संयोग रहेगा। शनिवार की सुबह से रविवार की भोर तक कृतिका नक्षत्र और उसके बाद रोहिणी नक्षत्र का क्रम आएगा।
जन्माष्टमी पर खीरा क्यों काटते हैं?
श्रीकृष्ण खीरा काटने की परंपरा एक प्रतीकात्मक रस्म
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात खीरा काटने की परंपरा भगवान श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ी एक गहन प्रतीकात्मक क्रिया है। मध्य रात, जब श्रीकृष्ण इस पावन धरा में अवतरति होते है, तब खीरा काटकर उसके बीज निकाले जाते हैं। यह क्रिया नाभि-छेदन (गर्भनाल काटने) का प्रतीक है। खीरे का डंठल गर्भनाल का प्रतीक माना जाता है, और इसे काटकर माता देवकी के गर्भ से भगवान को “अलग” करने की रस्म निभाई जाती है। यह मान्यता है कि जैसे जन्म के समय शिशु को मां से अलग करने के लिए गर्भनाल काटी जाती है, वैसे ही खीरा काटकर भगवान के जन्म का उत्सव मनाया जाता है।
पूजन का उत्तम मुहूर्त
- जन्माष्टमी तिथि: 16 अगस्त 2025
- अष्टमी तिथि: 15 अगस्त, रात 11:49 बजे से 16 अगस्त, रात 9:34 बजे तक
- पूजा मुहूर्त: 16 अगस्त, रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक
- रोहिणी नक्षत्र: 17 अगस्त, सुबह 4:38 बजे से
- व्रत पारण का समय: 17 अगस्त, सुबह 9:24 बजे के बाद
जन्माष्टमी की पूजा के लिए क्या सामग्री चाहिए?
- लड्डू गोपाल प्रतिमा/फोटो
- पीत वस्त्र, मोर पंख, बांसुरी
- फूल, माला, धूप-दीप
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- माखन, मिश्री, तुलसी
- पालना, नवीन वस्त्र ,
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर घर पर सजावट करें ?
फूलों का मंडप: गेंदा और गुलाब से झूला सजाएं
दीपमालिका: छोटे दीयों को घर के प्रवेशद्वार और मंदिर के चारों ओर रखें
झूला सजावट: रंगीन कपड़े, मोर पंख और LED लाइट्स इत्यादि
रंगोली: मंदिर के सामने श्रीकृष्ण के पदचिह्न की रंगोली बनाएं
भक्ति कोना: एक कोना सिर्फ भजन-कीर्तन के लिए अलग करें
जन्माष्टमी के दिन भजन और मंत्र अवश्य करे
लोकप्रिय भजन:
- “मेरा कोई नहीं है तेरे सिवा”
- “श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी”
- “कान्हा कान्हा कब से पुकारूँ “
मंत्र:
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” (108 बार जप)
“ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः ॥”
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे”

कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं कैसे दें?
- “आपके जीवन में श्रीकृष्ण की मुरली की मधुर धुन गूंजे और हर दुःख दूर हो जाए। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!”
- “कन्हैया की माखन-सी मिठास और मुरली-सी मधुरता आपके जीवन में बनी रहे। जन्माष्टमी की शुभकामनाएं!”
- “हर दिल में प्रेम, हर शब्द में सत्य और हर कर्म में धर्म बस जाए — जय श्रीकृष्ण!”
- “भगवान कृष्ण आपके जीवन में आनंद, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद बरसाएं।”
- “इस जन्माष्टमी पर कान्हा आपके जीवन की गीता बनें और हर कठिनाई में मार्गदर्शन दें।”
- “माखन चुराने वाले नंदलाला आपके घर खुशियों का भंडार भर दें।”
- “राधा-कृष्ण के अमर प्रेम से आपका जीवन भी सुगंधित हो।”
- “कृष्ण की बांसुरी की तान आपकी आत्मा को भक्ति में डुबो दे।”
- “कन्हैया के आशीर्वाद से आपका जीवन प्रेम, प्रकाश और सत्य के मार्ग पर अग्रसर हो।”
- “जन्माष्टमी का यह पर्व आपके जीवन में सद्भाव और आध्यात्मिक शक्ति का संचार करे।”
- “गोविंद के चरणों में आपका मन सदैव स्थिर और शांत रहे।”
- “श्री कृष्ण की लीलाओं की तरह आपका जीवन भी आनंदमय और प्रेरणादायक हो।”
- “हर कठिनाई में श्रीकृष्ण आपकी सारथी बनकर रक्षा करें।”
“भक्ति, प्रेम और करुणा का संगम ही जीवन की सच्ची संपत्ति है — यही श्रीकृष्ण का संदेश है।”
जन्माष्टमी केवल एक पर्व नहीं, यह जीवन में प्रेम, धर्म और आशा को जगाने का अवसर है। जब हम भक्ति में डूबकर श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं, तो यह केवल रस्म नहीं रहती यह आत्मा का उत्सव बन जाता है। इस पावन दिन, मुरली की धुन और राधे-श्याम के नाम से अपने घर और मन दोनों को सजाएं।
“जय श्रीकृष्ण” के साथ जीवन में प्रेम, आनंद और सत्य की रोशनी फैलाएं।
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