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सीता नवमी 2024 पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती और महत्व

आएये जानते है सीता नवमी 2024 पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती और महत्व.के बारे में विस्तार से। Sita Navmi 2024.

सीता नवमी 2024

जैसा आप सभी जानते है की माँ सीता को त्रेतायुग में लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। भगवान शिव का धनुष तोड़कर विष्णुजी के अवतार श्रीराम ने स्वयंवर में माँ सीता का वरण किया था। इसके बाद उन्होंने पतिव्रत धर्म निभाया और वनवास में भी अपने पति के साथ गईं।

सीता मां के जन्म से जुड़ी कथा का रामायण और रामचरित्र मानस में उल्लेख किया गया है। कथाओ के अनुसार एक बार मिथिला राज्य में वर्षो से बारिश नहीं हो रही थी जिससे वहां की प्रजा अत्यंत भयभीत थी कहीं वर्षा न होने के अभाव से मिथिला के निवासी और राजा जनक बहुत चिंतित थे। उन्होंने अपनी इस चिंता को ऋषियों से इस विषय़ पर मंत्रणा की तो उन्होंने कहा कि यदि राजा जनक स्वयं खेत में हल चलाएं तो इन्द्र देव प्रसन्न होंगे और बारिश होगी। राजा जनक ने ऋषियों की बात मानकर खेत में हल चलाया। हल चलाते समय उनका हल एक कलश से टकराया जिसमें एक सुंदर कन्या थी। राजा निःसंतान थे इसलिए वह पुत्री प्राप्त कर बहुत हर्षित हुए और उन्होंने उस कन्या का नाम सीता रखा। सीता को जानकी और मिथिलेश कुमारी आदि नामों से भी जाना जाता है। इस प्रकार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता प्रकट हुईं थीं। इसलिए सीता नवमी को सीता जयंती के नाम से जानते हैं। 

वैसे तो माँ सीता जी की जयंती वैशाख शुक्ल नवमी को मनाया जाता है लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को भी सीता जयंती के रूप में जाना जाता है। रामायण में दोनों ही तिथियां माँ सीता के जन्म के लिए शुभ मानी जाती हैं। सीता नवमी भारत के साथ ही नेपाल में भी बहुत धूमधाम से मनायी जाती है।

सीता नवमी 2024 पर पूजा की विधि

सीता नवमी के दिन लोग व्रत रखकर भगवान् श्रीराम और माँ सीता की पूजा करते हैं। कथाओं के अनुसार माँ सीता की पूजा करने से पृथ्वी दान करने के बराबर फल मिलता है। सीता नवमी की पूजा करने हेतु अष्टमी के दिन ही तैयारियां शुरु कर दें। अष्टमी के दिन घर में साफ-सफाई कर लें। घर में पवित्रता के एक स्थल पर मण्डप बनाएं। उस मण्डप में श्रीराम-जानकी को स्थापित करें। विविध प्रकार के फल और प्रसाद से भोग लगाएं। उसके बाद नवमी को विधिवत पूजन कर दशमी को मण्डप विसर्जित कर दें। इस प्रकार राम जानकी जी की पूजा और उपासना करने  से भक्तों पर सियाराम की कृपा हमेशा बनी रहती है।

सीता नवमी का महत्व

देवी सीता पवित्रता, त्याग, समर्पण, साहस और धैर्य के प्रतीक के रूप में पूजनीय हैं।सीता नवमी के दिन माँ सीता की पूजा करना विशेष लाभदायी है, भक्तों के लिए, मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं के लिए सीता नवमी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। ऐसा माना जाता है कि सीता नवमी के व्रत का पालन करने वाली महिलाओं को देवी के दिव्य आशीर्वाद के साथ लम्बी और सुखी विवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

माता सीता की कथा और उनके जीवन के बारे अधिक जानने के लिए आप महाकवि वाल्मिकी जी की ‘रामायण’, महाकवि तुलसीदास की ‘रामचरित्र मानस’ को पढ़े।

सीता नवमी 2024 में

गुरुवार, 16 अप्रैल 2024

सीता नवमी मध्यान मुहर्त – 10:56 AM to 01:39 PM
अवधि – 02 Hours 43 Mins
सीता नवमी मध्यान पल – 12:18 PM
नवमी तिथि प्रारम्भ – 6:22 Am on अप्रैल 16, 2024
नवमी तिथि समाप्त – 8:48 PM on अप्रैल 17, 2024

नोट – यदि आप सीता नवमी को English में पढ़ना चाहते है तो आप आगे दिए गये लिंक पर क्लिक करें Sita Navami

माता सीता जी का मंत्र-

श्री सीतायै नमः,

श्री सीता-रामाय नमः ||

माता सीता जी की आरती

आरती श्री जनक दुलारी की ।

सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

जगत जननी जग की विस्तारिणी,

नित्य सत्य साकेत विहारिणी,

परम दयामयी दिनोधारिणी,

सीता मैया भक्तन हितकारी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।

सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

सती शिरोमणि पति हित कारिणी,

पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,

पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,

त्याग धर्म मूर्ति धरी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।

सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

विमल कीर्ति सब लोकन छाई,

नाम लेत पवन मति आई,

सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,

शरणागत जन भय haari की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।

सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

नोट: मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम नवमी के बारे में जानना चाहते है तो सामने लिंक पर क्लिक करें ✔ रामनवमी 2024

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। Publicreact.in इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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