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Maa Shailputri: नवरात्रि का प्रथम दिन माँ शैलपुत्री – पवित्रता, शक्ति, सुख, और समृद्धि का स्रोत

शारदीय नवरात्रि 2025 का पहला दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री और शक्ति का प्रथम स्वरूप मानी जाती हैं। Navratri 2025 Day 1 Goddess Maa Shailputri in Hindi. (Updated September 2025)

नवरात्रि के पहले दिन प्रभात के समय, जब सूरज की पहली किरण धरती पर पड़ती है, तो मन में एक नई उमंग जगती है। नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की आराधना से हमें यह एहसास होता है कि जीवन के हर नए आरंभ में माँ की सरलता, शक्ति और धैर्य हमारे साथी हैं। “नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री” सिर्फ पर्व का पहला दिन नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और आध्यात्म का दिन है। आइये जानते है नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री के बारे में विस्तार से इस लेख में:

नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री

जब प्रकृति अपने सबसे मनमोहक रूप में खिलखिलाती है, तब आता है नवरात्रि का पावन पर्व। नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा से इस दिव्य यात्रा की शुरुआत होती है, जो भक्तों के जीवन में अद्भुत परिवर्तन लाती है। माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की कन्या हैं, जो अपने भक्तों को शक्ति, स्थिरता और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं।

माँ का स्वरूप अत्यंत मनमोहक और शांत है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में सुंदर कमल पुष्प सुशोभित है। वे नंदी बैल पर विराजमान होकर हमें जीवन में दृढ़ता और संकल्प का संदेश देती हैं। मेरे व्यक्तिगत अनुभव में, जब भी जीवन में अस्थिरता या भटकाव का समय आया है, तब नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री का स्मरण करने से मन में अपार शांति और दिशा मिली है।

देवी शैलपुत्री की पूजा का मुख्य उद्देश्य माँ पार्वती की प्राकृतिक और दिव्य सौन्दर्य का समर्पण करना है। माँ पर्वत की पुत्री होने के साथ ही महादेव शिव की पत्नी भी हैं, इसलिए इनकी पूजा विवाह और सौंदर्य के परिपेक्ष्य में आत्म-साक्षराता के रूप में भी की जाती है। नवरात्रि के प्रतिपदा दिन को मां शैलपुत्री की पूजा करने से सभी भक्त अपने जीवन में खुशी, समृद्धि, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं।

माँ शैलपुत्री

माँ शैलपुत्री की कथा अत्यंत मार्मिक और प्रेरणादायक है। पूर्व जन्म में वे प्रजापति दक्ष की पुत्री सती थीं। जब दक्ष ने महान यज्ञ का आयोजन किया तो सभी देवताओं को आमंत्रित किया, परंतु अपने जामाता भगवान शिव को अपमानित करने के उद्देश्य से उन्हें नहीं बुलाया।

माता सती का हृदय अपने पति के अपमान को सहन नहीं कर सका। उन्होंने योगाग्नि से स्वयं को भस्म कर दिया। इस दुखदायी घटना के बाद वे अगले जन्म में पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। इस जन्म में भी उनका विवाह भगवान शिव से हुआ।

नवरात्रि 2025 की तिथियाँ

नवरात्रि 2025 का प्रथम दिन 22 सितंबर (सोमवार) को है, जो कि माता दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना को समर्पित रहेगा। इस दिन प्रातः काल पवित्रता और श्रद्धा के साथ घट स्थापना की जाती है, जो नवरात्रि की आध्यात्मिक यात्रा का प्रारंभ मानी जाती है।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 22 सितंबर को सुबह 6:09 बजे से 8:06 बजे तक है। इस समय किया गया संकल्प और पूजन विशेष फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस काल में की गई पूजा से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है तथा भक्त के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल का संचार होता है।

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आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व: चंद्र दोष निवारण

नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री का आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक गहरा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माँ शैलपुत्री चंद्रमा की स्वामिनी हैं। चंद्रमा मन, भावनाओं और अंतर्ज्ञान का कारक है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में चंद्र दोष है या मानसिक अशांति रहती है, उनके लिए माँ शैलपुत्री की पूजा अमृत के समान है।

चंद्र दोष के कारण होने वाली समस्याएं जैसे मानसिक तनाव, भावनात्मक अस्थिरता, नींद की कमी, और निर्णय लेने में कठिनाई आदि माँ शैलपुत्री की कृपा से दूर हो जाती हैं।

पूजा विधि और अनुष्ठान की पूर्ण प्रक्रिया

नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। पूजा की शुरुआत प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में करनी चाहिए। सर्वप्रथम स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। घर में गंगाजल का छिड़काव करके वातावरण को शुद्ध बनाएं।

घटस्थापना का मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माँ शैलपुत्री की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। कलश में गंगाजल, पंच रत्न, सुपारी, और दूर्वा घास रखकर उस पर नारियल स्थापित करें।

माँ को सफेद फूल विशेष रूप से प्रिय हैं, इसलिए चमेली, गुलाब और कमल के फूल अर्पित करें। भोग में घी, खीर, सफेद मिठाई और फल चढ़ाएं। धूप-दीप प्रज्ज्वलित करके माँ की आरती करें और शंख ध्वनि के साथ घंटी बजाएं।

नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा

शक्तिशाली मंत्र और उनके चमत्कारिक प्रभाव

माँ शैलपुत्री के मुख्य मंत्र अत्यंत शक्तिशाली हैं। मूल मंत्र “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” का जाप 108 बार करना चाहिए। इसके साथ ध्यान मंत्र का भी जाप करना चाहिए:

“वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥”

यह मंत्र इच्छाओं की पूर्ति के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली है। बीज मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः” का जाप करने से माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

नियमित मंत्र जाप से मानसिक शक्ति बढ़ती है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और जीवन की समस्याओं का समाधान स्वयं ही हो जाता है। मैंने व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया है कि प्रतिदिन इन मंत्रों का जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।

व्यावहारिक जीवन में माँ शैलपुत्री के आशीर्वाद

नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा का प्रभाव केवल आध्यात्मिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। व्यावहारिक जीवन में भी इसके अनगिनत लाभ हैं। माँ शैलपुत्री स्थिरता की देवी हैं, इसलिए उनकी पूजा से व्यापार में सफलता, नौकरी में स्थिरता और पारिवारिक जीवन में सुख-शांति आती है।

विवाहित जोड़ों के लिए माँ का आशीर्वाद विशेष रूप से फलदायी है। उनकी कृपा से दांपत्य जीवन में प्रेम और समझदारी बनी रहती है। अविवाहित युवक-युवतियों को उपयुक्त जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी माँ शैलपुत्री का आशीर्वाद महत्वपूर्ण है। मानसिक तनाव, अवसाद और चिंता जैसी समस्याओं में उनकी पूजा अत्यंत लाभकारी है। हार्मोनल संतुलन बना रहता है और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।

मैंने अपने आसपास के लोगों में देखा है कि जो परिवार नियमित रूप से माँ शैलपुत्री की पूजा करते हैं, उनके घर में सदैव सुख-शांति बनी रहती है और संकट के समय में माँ का विशेष संरक्षण मिलता है।

रंग चिकित्सा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

नवरात्रि के प्रथम दिन नारंगी रंग का विशेष महत्व है। यह रंग ऊर्जा, उत्साह और सकारात्मकता का प्रतीक है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो नारंगी रंग हमारे मूड को बेहतर बनाता है और रचनात्मकता बढ़ाता है।

इस दिन नारंगी रंग के वस्त्र धारण करने से माँ शैलपुत्री की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नारंगी फूल, नारंगी मिठाई और नारंगी रंग के फल चढ़ाने से पूजा का प्रभाव और भी बढ़ जाता है।

आधुनिक युग में माँ शैलपुत्री की प्रासंगिकता

आज के तनावपूर्ण युग में नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। डिजिटल युग की भागदौड़, सोशल मीडिया का दबाव और अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के कारण मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ रही हैं।

माँ शैलपुत्री की पूजा प्राकृतिक चिकित्सा के समान है। नियमित पूजा और मंत्र जाप से मन की शांति आती है, तनाव कम होता है और जीवन में संतुलन आता है। आज के समय में जब लोग अवसाद और चिंता से परेशान हैं, तब माँ की शरण में जाना सबसे उत्तम समाधान है।

कार्यक्षेत्र में भी माँ का आशीर्वाद चमत्कारिक परिणाम देता है। नेतृत्व क्षमता का विकास होता है, निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है और सहयोगियों के साथ बेहतर संबंध बनते हैं।

भोग और प्रसाद का महत्व

माँ शैलपुत्री को विशेष रूप से सफेद रंग की वस्तुएं प्रिय हैं। घी, दूध, खीर, मिश्री, नारियल और सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए। ये सभी चीजें पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक हैं।

भोग लगाते समय मन में पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव होना आवश्यक है। भोग के रूप में चढ़ाई गई वस्तुओं को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से माँ का आशीर्वाद मिलता है और शरीर-मन दोनों की शुद्धता होती है।

नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह जीवन को सफल, संतुलित और खुशहाल बनाने का दिव्य माध्यम है। माँ शैलपुत्री का आशीर्वाद हमारे जीवन में स्थिरता, शांति और समृद्धि लाता है। आइए इस पावन दिन पर माँ के चरणों में अपना सब कुछ समर्पित करें और उनकी असीम कृपा का अनुभव करें। माँ शैलपुत्री की जय!

माँ शैलपुत्री की स्तुति 

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माँ शैलपुत्री का मंत्र

वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥

अर्थात् मैं मनोवांछित लाभ के लिये अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने वाली, वृष पर सवार रहने वाली, शूलधारिणी और यशस्विनी माँ शैलपुत्री की वंदना करता हूं।

नवरात्रि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री का ध्यान

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
पूणेन्दु निभाम् गौरी मूलाधार स्थिताम् प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥

माँ शैलपुत्री स्तोत्र

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।
मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

माँ शैलपुत्री की आरती

शैलपुत्री मां बैल असवार |

करें देवता जय जय कार ||

शिव-शंकर की प्रिय भवानी |

तेरी महिमा किसी ने न जानी ||

पार्वती तूं उमा कहलावे |

जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें ||

रिद्धि-सिद्धि परवान करे तू |

दया करे धनवान करे तू ||

सोमवार को शिव संग प्यारी |

आरती जिसने तेरी उतारी ||

उसकी सगरी आस पुजा दो

सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो ||

घी का सुंदर दीप जला के |

गोला-गरी का भोग लगा के ||

श्रद्धा भाव से मंत्र जपायें |

प्रेम सहित फिर शीश झुकायें ||

जय गिरराज किशोरी अम्बे |

शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे ||

मनोकामना पूर्ण कर दो |

चमन सदा सुख संम्पति भर दो!!

नवरात्रि के पहले दिन की हार्दिक शुभकामनाएं और सन्देश

  • नवरात्रि के इस पावन पर्व पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ। माँ शैलपुत्री आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और आरोग्य की वर्षा करें। जय माता दी!
  • इस नवरात्रि, माँ शैलपुत्री का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे। आपका जीवन सुखमय हो और आपके सपने साकार हों। शुभ नवरात्रि!
  • नवरात्रि के प्रथम दिन, माँ दुर्गा आपको शक्ति, बुद्धि, और धैर्य प्रदान करें। आपके हर कदम पर उनकी कृपा बनी रहे। शुभ नवरात्रि!
  • नवरात्रि का यह पवित्र पर्व आपके लिए नई उमंग और ताजगी लेकर आए। माँ शैलपुत्री की कृपा से आपके सभी दुख दूर हों और आपको जीवन में सफलता मिले। शुभ नवरात्रि!
  • माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री के आशीर्वाद से आपका हर दिन शुभ और मंगलमय हो। नवरात्रि की ढेर सारी शुभकामनाएँ।

Navratri 1st Day Wishes in Hindi Text

  • नवरात्रि के पावन अवसर पर, माँ शैलपुत्री आपके जीवन को सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य से भर दें। शुभ नवरात्रि!
  • माँ दुर्गा के आशीर्वाद से आपका हर दिन आनंदित और शांतिपूर्ण हो। नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
  • इस नवरात्रि, माँ शैलपुत्री आपको उत्साह और ऊर्जा से भर दें। आपके घर में सदा खुशियाँ रहें। शुभ नवरात्रि!
नवरात्रि प्रथम दिन की हार्दिक शुभकामनाएं

नवरात्रि के प्रथम दिन की माँ के भक्तो को मंगलमय बधाई

माँ की भक्ति और आशीर्वाद से आपका जीवन सफलता और खुशहाली से भर जाए। नवरात्रि की शुभकामनाएँ!

नवरात्रि के सुअवसर पर, माँ शैलपुत्री की कृपा से आपकी हर मनोकामना पूर्ण हो। शुभ नवरात्रि!

इस नवरात्रि, माँ दुर्गा आपके जीवन से सभी बाधाओं को दूर करें और आपको खुशी और समृद्धि प्रदान करें। शुभ नवरात्रि!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1: नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा का क्या महत्व है?

उत्तर: माँ शैलपुत्री नवदुर्गा की पहली देवी हैं। उनकी पूजा से आध्यात्मिक यात्रा की मजबूत नींव रखी जाती है और चंद्र दोष दूर होकर मानसिक शांति मिलती है।

प्रश्न 2: माँ शैलपुत्री के मुख्य मंत्र कौन से हैं?

उत्तर: मुख्य मंत्र “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” है। ध्यान मंत्र “वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्” और बीज मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः” हैं।

प्रश्न 3: प्रथम दिन कौन सा रंग पहनना चाहिए?

उत्तर: नवरात्रि के प्रथम दिन नारंगी रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। यह रंग ऊर्जा, उत्साह और सकारात्मकता का प्रतीक है।

प्रश्न 4: माँ शैलपुत्री को कौन सा भोग प्रिय है?

उत्तर: माँ को सफेद रंग की वस्तुएं प्रिय हैं – घी, दूध, खीर, मिश्री, नारियल और सफेद मिठाई विशेष रूप से चढ़ानी चाहिए।

प्रश्न 5: घटस्थापना का सही समय कब है?

उत्तर: घटस्थापना प्रातःकाल शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। आमतौर पर सुबह 6:00 से 11:00 बजे तक का समय शुभ माना जाता है।

प्रश्न 6: चंद्र दोष कैसे दूर होता है?

उत्तर: माँ शैलपुत्री चंद्रमा की स्वामिनी हैं। उनकी नियमित पूजा और मंत्र जाप से चंद्र दोष दूर होकर मानसिक शांति और स्थिरता आती है।

प्रश्न 7: व्रत रखते समय क्या नियम हैं?

उत्तर: व्रत के दौरान सात्विक भोजन लें, मांस-मदिरा से दूर रहें, सच बोलें और पूर्ण श्रद्धा के साथ माँ का स्मरण करते रहें।

प्रश्न 8: माँ शैलपुत्री की कथा क्यों पढ़ना जरूरी है?

उत्तर: कथा पढ़ने से व्रत पूर्ण होता है और माँ की कृपा प्राप्त होती है। कथा से जीवन की सीख भी मिलती है कि धर्म और सत्य की जीत होती है।

प्रश्न 9: आधुनिक जीवन में माँ शैलपुत्री की पूजा के क्या लाभ हैं?

उत्तर: तनाव कम होना, मानसिक स्थिरता, बेहतर निर्णय क्षमता, कार्यक्षेत्र में सफलता, पारिवारिक सुख-शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

Note – If you wish to know, all about Navratri in English then visit here Maa Shailputri 1st Form Of Goddess Durga

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। Publicreact.in इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

नोट: हमारे द्वारा उपरोक्त लेख में अगर आपको कोई त्रुटि दिखे या फिर लेख को बेहतर बनाने के आपके कुछ सुझाव है तो कृपया हमें कमेंट या फिर ईमेल के द्वारा बता सकते है हम आपके सुझावों को प्राथिमिकता के साथ उसे अपनाएंगे धन्यवाद !

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