अंतिम और नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना के लिए समर्पित है। मां का यह स्वरूप भक्तों को सिद्धियां और आध्यात्मिक शक्तियां प्रदान करता है। जो साधक श्रद्धा और भक्ति से मां की पूजा करते हैं, उन्हें सांसारिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है।
- नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री
- माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप
- नवरात्रि 2025 की तिथियाँ
- नवरात्रि का नौवां दिन 2025 में
- सिद्धियों की धात्री – माँ सिद्धिदात्री की कथा
- नवरात्रि में माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि
- माँ सिद्धिदात्री की कृपा और लाभ
- शक्तिशाली मंत्र और ध्यान
- जीवन में माँ सिद्धिदात्री की शिक्षाएं
- माँ सिद्धिदात्री की आरती
- नवरात्रि नवमी के दिन 9 शुभकामना संदेश
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री
नवरात्रि का अंतिम दिन समर्पित है माँ सिद्धिदात्री को, जो भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाली हैं। जब शारदीय नवरात्रि का उज्जवल उत्सव समापन की ओर बढ़ता है, तब माँ सिद्धिदात्री की पूजा से जीवन के सभी सुख—समृद्धि, ज्ञान, शक्ति और मोक्ष—की प्राप्ति का द्वार खुलता है। नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना से मन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और आत्मा में दिव्यता का संचार होता है।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप
माँ सिद्धिदात्री का वर्ण स्वर्ण-सदृश श्वेत होता है, जो दिव्य प्रकाश का प्रतीक है। वे चार भुजाएँ धारण करती हैं, जिनमें विभिन्न शस्त्र और वस्त्र त्रिशूल, चक्र, गदा और शंख हैं। एक हाथ में वरमुद्रा और दूसरे में अभयमुद्रा से माँ अपनी कृपा और सुरक्षा का आश्वासन देती हैं। माँ के मुख पर दयालु मुस्कान रहती है, जो भक्तों के हृदय को श्रद्धा और भक्ति से भर देती है। नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की शीतल छाया में भक्त अपना हृदय खोलकर माँ से सभी सिद्धियाँ मांग सकते हैं।
नवरात्रि 2025 की तिथियाँ
नवरात्रि प्रकार | प्रारंभ तिथि | समापन तिथि | विशेष पर्व / उत्सव |
---|---|---|---|
चैत्र नवरात्रि 2025 | 30 मार्च 2025 (रविवार) | 7 अप्रैल 2025 (सोमवार) | रामनवमी (7 अप्रैल 2025) |
नवरात्रि का नौंवा दिन माँ सिद्धिदात्री | 6 अप्रैल 2025 रविवार | – | – |
शारदीय नवरात्रि 2025 | 22 सितंबर 2025 (सोमवार) | 30 सितंबर 2025 (मंगलवार) | विजयादशमी / दशहरा (1 अक्टूबर 2025) |
नवरात्रि का नौंवा दिन माँ सिद्धिदात्री | 1 अक्टूबर 2025 बुधवार | – | – |
नवरात्रि का नौवां दिन 2025 में
नवरात्रि का पर्व हिंदू संस्कृति का गहना है, जो साल में दो बार भक्तों को माँ दुर्गा की भक्ति और साधना में डुबो देता है। वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल को रामनवमी के दिन समाप्त होगी, और शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से 30 सितंबर तक मनाई जाएगी। इन दोनों नवरात्रियों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है, जो जीवन में शक्ति, भक्ति और शांति का संचार करते हैं।
शारदीय नवरात्रि 2025 में नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा 1 अक्टूबर 2025, बुधवार को होगी। नवमी तिथि प्रारंभ शाम 5:02 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 4:30 बजे तक रहेगी। इस दिन भक्तगण विशेष श्रद्धा से माँ सिद्धिदात्री को याद करें और उनसे सभी सिद्धियां प्राप्त करने का आशीर्वाद मांगें।

सिद्धियों की धात्री – माँ सिद्धिदात्री की कथा
पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि जब नवरात्रि के पहले आठ स्वरूपों ने शत्रुओं का संहार कर तीनों लोकों को शुद्ध किया, तब सर्वोच्च ऊर्जा ब्रह्मांड में समाहित होकर अंतिम स्वरूप सिद्धिरूपिणी के रूप में प्रकट हुई। उन्होंने देवी माँ दुर्गा के सभी साधनों और मंत्रों को आत्मसात किया और भक्तों को वैदिक, वैराग्य, शक्तिशाली उर्जा और मोक्ष देने का वरदान लिया।
इस प्रकार नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री का अवतरण हुआ और उन्होंने सभी साधकों को चारों सिद्धियाँ—अनिमा (सूक्ष्मता), ऋद्विमा (दृढ़ता), लघिमा (सौम्यता), पिंडब्रह्म (पर परमात्मा का ज्ञान)—प्रदान करने की प्रतिज्ञा की।
नवरात्रि में माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि
शुभ स्नान और वस्त्र
नवमी तिथि आरंभ से पूर्व शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान करें। साधारणतः सफेद या हल्का पीला वस्त्र धारण करना अनुकूल होता है क्योंकि ये रंग माँ की शीतलता का प्रतीक हैं।
कलश स्थापना
पूजा स्थल पर साफ स्थान चुन कर मिट्टी या सफेद कपड़े पर कलश स्थापित करें। कलश में जल, दूर्वा, अक्षत, सिंदूर, और पुष्प अर्पित करें।
दुर्गा सप्तशती पाठ
नौवमी के दिन दुर्गा सप्तशती का नौवां अध्याय एवं महिषासुर मोचन की कथा का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है, जो माँ सिद्धिदात्री के स्वरूप की महिमा का बखान करता है।
मन्त्र जाप
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। इस मंत्र से सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और मनोदशा स्थिर होती है।
पूजा सामग्री
लाल और पीले पुष्प, अक्षत, नारियल, फलों का भोग, हलवा–पूड़ी, शहद, फल और दूध-दही से बने व्यंजन अर्पित करें।
दीप-आरती
शाम को धूप-दीप जलाकर माँ सिद्धिदात्री की आरती करें। आरती के साथ “जय दैदीप अम्बे जय सिद्धिदात्री” जैसे सत्संग भजन गाने से वातावरण दिव्य हो जाता है।

माँ सिद्धिदात्री की कृपा और लाभ
सभी सिद्धियों की प्राप्ति
माँ सिद्धिदात्री भक्त को अणिमा (छोटा होना), गरिमा (महानता), प्रासाद (इतिहास में उल्लेखनीय प्रभाव) जैसी सभी अष्ट सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।
जीवन में स्थिरता
विषम परिस्थितियों में धैर्य व शांति देने वाली माँ की उपासना से मन की अस्थिरता दूर होती है।
आत्मिक विकास:
ज्ञान, विवेक, वैराग्य और मोक्ष सभी गुणों का विकास होता है, जिससे व्यक्ति सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है।
परिवार में सौहार्द
माँ सिद्धिदात्री की पूजा से परिवार में प्रेम, सौहार्द और समृद्धि बनी रहती है तथा मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
प्रिय भोग और रंग
माँ सिद्धिदात्री को सफेद चावल, शहद, हलवा और पीले रंग के पुष्प जैसे गेंदा अर्पित करना शुभ होता है। पीला रंग सूर्यदेवता का प्रतीक है और माँ की लौकिक उर्जा का द्योतक है। सफेद रंग आत्मा की शुद्धि का संदेश देता है, इसलिए दोनों रंगों का समन्वय सर्वोत्तम माना जाता है।
शक्तिशाली मंत्र और ध्यान
सिद्धिदात्री मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
ध्यान मंत्र:
“वन्दे विद्याम देवं वाञ्छितफलप्रदाम्।
आकूलकल्मषानां निवारिणीं तथात्मनाम्।”
इस ध्यान से साधक का चित्त शांत होता है और माँ की अनुग्रह-आवृत्ति अनुभव होती है।
जीवन में माँ सिद्धिदात्री की शिक्षाएं
माँ सिद्धिदात्री हमें सिखाती हैं कि सभी शक्तियाँ और सिद्धियाँ आंतरिक साधना से ही प्राप्त होती हैं। भौतिक साधन-संपदा से अधिक महत्वपूर्ण है आत्मा का शुद्धिकरण और ज्ञान का विकास। जीवन में सत्कर्म, संयम, सत्य और समर्पण के मार्ग पर चलने पर ही माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री का दिन है जब सभी भक्त अपनी मनोकामनाओं को माँ की चरणों में निवेदित करते हैं। उनकी कृपा से मनुष्य को दिव्य शक्तियाँ, मानसिक शांति, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस अंतिम दिन, पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से माँ सिद्धिदात्री की पूजा करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करके जीवन को पूर्णता की ओर ले जाएँ।
माँ सिद्धिदात्री का मंत्र
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
माँ सिद्धिदात्री की स्तुति
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
माँ सिद्धिदात्री की प्रार्थना
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
माँ सिद्धिदात्री का ध्यान
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
माँ सिद्धिदात्री का स्तोत्र
कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
माँ सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता, तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि, तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम, जब हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है, तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो, तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे, कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया, रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली, जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा, महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता, भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता, तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
नवरात्रि नवमी के दिन 9 शुभकामना संदेश
नवरात्रि के नवें और अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्वपूर्ण दिन है। इस पावन दिन पर अपने प्रियजनों को भेजने के लिए यहां भक्तिमय शुभकामना संदेश हैं
- माँ सिद्धिदात्री की कृपा से आपका जीवन सुख, समृद्धि और शांति से भर जाए। 🌺🙏 शुभ नवमी!

- नवमी के इस पावन दिन माँ दुर्गा आपके सभी कष्ट हर लें और घर में सुख-शांति का वास करें।
- माँ सिद्धिदात्री की असीम कृपा से आपका जीवन सफलता और आनंद से जगमगाए। 🚩🌺 शुभ नवरात्रि नवमी!
- माँ दुर्गा की नौ शक्तियाँ आपके जीवन को शक्ति, भक्ति और समृद्धि से भर दें। 🌼🪔 शुभ नवमी!
- मां सिद्धिदात्री की कृपा से आपके जीवन में सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों। नवरात्रि नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
- आठों सिद्धियों की दाता मां सिद्धिदात्री आपको सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें। महा नवमी की मंगलकामनाएं!
- नव शक्ति, नव चेतना, नव उत्थान, नव भक्ति, नव आराधना, नव कल्याण। महा नवमी की शुभकामनाएं!
Navratri 9th Day Wishes in Hindi Text
- मां की ज्योति से प्रेम मिलता है, सबके दिलों को आनंद मिलता है। जो भी जाता है माता के द्वार, उसे कुछ न कुछ जरूर मिलता है! महा दुर्गा नवमी की शुभकामनाएं!
- या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ महानवमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
- लाल रंग की चुनरी से सजा मां का दरबार, हर्षित हुआ मन, पुलकित हुआ संसार। नन्हें-नन्हें कदमों से मां आए आपके द्वार। महानवमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
- आप पर माँ सरस्वती का हाथ हो, मां गौरा का साथ हो, गणेश जी का निवास हो। मां दुर्गा के आशीष से आपके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो। महा नवमी की बहुत बधाई एवं मंगलकामनाएं!
- सारी दुनिया है जिनकी शरण में, नमन है उस मां के चरण में। हम सभी हैं उस मां के चरणों की धूल, आओ मिलकर चढ़ाएं मां को श्रद्धा के फूल! महा नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
- मां करती सबका उद्धार है, मां करती सबकी बेड़ा पार है। मां सबके कष्टों को हरती है, मां भक्तों के लिए कितना कुछ करती है। मां सिद्धिदात्री को नमस्कार है।
- नए दीप जले, नए फूल खिले, मिले मां का आशीर्वाद। इस महा नवमी आपको वो सब मिले जो आपका दिल चाहे। महा नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
ये संदेश नवरात्रि के नवें दिन मां सिद्धिदात्री की कृपा और आशीर्वाद पाने की भावना से भरे हुए हैं। मां सिद्धिदात्री सभी आठ सिद्धियों (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व) की दाता मानी जाती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?
नवमी तिथि में माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप प्रकट हुआ था, जिनसे सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और साधक का ज्ञान एवं मोक्षीय मार्ग प्रशस्त होता है।
2. माँ सिद्धिदात्री को कौन सा मंत्र सबसे प्रभावकारी है?
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
3. नवमी तिथि का शुभ मुहूर्त क्या है?
शारदीय नवरात्रि 2025 में नवमी तिथि 1 अक्टूबर की संध्या से आरंभ होकर अगले दिन प्रातः 4:30 बजे तक रहेगी।
4. माँ सिद्धिदात्री को कौन सा रंग प्रिय है?
सफेद एवं पीला रंग माँ सिद्धिदात्री के प्रिय हैं; सफेद आत्मा की शुद्धि का और पीला लौकिक उर्जा का प्रतीक है।
5. नवमी के दिन कौन सा भोग सर्वोत्तम है?
हलवा–पूड़ी, शहद, फल और सफेद चावल का भोग अर्पित करना उत्तम माना जाता है।
6. मां सिद्धिदात्री की आरती कैसे की जाए?
धूप-दीप जलाकर “जय दैदीप अम्बे जय सिद्धिदात्री” आरती गाएं और भजन करें जिससे वातावरण दिव्य हो जाए।
7. माँ सिद्धिदात्री से क्या लाभ होते हैं?
सभी सिद्धियाँ, मानसिक शांति, आत्मिक विकास, परिवार में सौहार्द एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
8. क्या नवमी व्रत करना आवश्यक है?
नवमी व्रत रखने से माँ सिद्धिदात्री की कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है; यदि व्रत संभव न हो तो ही उपवास रखकर पूजा करें।
9. नवमी के दिन कौन-सी कथा पढ़नी चाहिए?
नवरात्रि के नौवें दिन दुर्गासप्तशती का नवम अध्याय या महिषासुर वध कथा का पाठ अत्यंत फलदायी होता है।
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