माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि नौवां दिन
नवरात्रि के नवम दिन मां के सिद्धिदात्री रूप की पूजा होती है। आज के पावन दिन में मां सिद्घिदात्री सदा कमल पुष्प पर विराजमान रहती हैं। माता की चार भुजाएं हैं जिनमे क्रमश: गदा, चक्र, शंख और कलम पुष्प रहता है । मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होने पर भक्तों को मनोवांछित फल एवं सिद्धियां प्रदान करती हैं। ऐसा मान्यता है कि भगवान महादेव को अष्टसिद्धियां, देवी सिद्धिदात्री से ही मिली हैं।
कथाओं और शास्त्रों में कहा गया है कि भक्तों को माता सिद्धिदात्री से सिद्धियां पाने के लिए प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मां के सभी नौ रूपों की पूजा करनी चाहिए। माँ भगवती के प्रसन्न होने पर ही वह आपको प्राप्त होगी इसी कारण से नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है।
देवी माँ सिद्धिदात्री की पूजा से प्राप्त होने वाले फल
देवी सिद्धिदात्री की पूजा का मुख्य उद्देश्य सिद्धियों को प्राप्त करना और भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है. वे भक्तों को आध्यात्मिक जागरूकता, समर्पण, और प्राणी जीवन की सफलता की दिशा में मदद करती हैं और उन्हें अपने जीवन में सुखमय और समृद्धि भरा जीवन जीने की दिशा में मदद मिलती है। देवी सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व आत्मा के आद्यात्मिक साक्षराता और सफलता की दिशा में होता है, और उनके आशीर्वाद से भक्त अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करते हैं।
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तो आइये जानते है माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि, शुभ मुहर्त, भोग, सामग्री इत्यादि के बारे में।
चैत्र नवरात्र मुहूर्त 2024:
चैत्र नवरात्रि नौवां दिन( नवमी ), 17 अप्रैल 2024, बुधवार – मां सिद्धिदात्री पूजा, महानवमी और रामनवमी
शारदीय नवरात्र मुहूर्त 2023:
11 अक्टूबर 2024 – महानवमी माँ सिद्धिदात्री, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
क्या पहनें और क्या प्रसाद चढ़ाएं
आज के पवित्र दिन में मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाएं, इससे माता रानी आपकी किसी भी प्रकार की अनहोनी से हमेशा रक्षा करेंगी। महानवमी के दिन हवन और कन्या पूजन भी करना चाहिए।
माँ सिद्धिदात्री का मंत्र
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
माँ सिद्धिदात्री की स्तुति
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
माँ सिद्धिदात्री की प्रार्थना
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
माँ सिद्धिदात्री का ध्यान
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
माँ सिद्धिदात्री का स्तोत्र
कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
माँ सिद्धिदात्री की आरती:
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता, तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि, तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम, जब हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है, तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो, तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे, कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया, रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली, जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा, महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता, भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता, तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
Note : जानिए मां दुर्गा के नौ रूप कौन-कौन से हैं और नौ विशेष भोग, उनकी पूजा विधि इत्यादि के बारे में।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। Publicreact.in इसकी पुष्टि नहीं करता है।)