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Maa Kalratri: नवरात्रि का सातवां दिन – मां कालरात्रि की पूजा विधि, कथा और महत्व

maa kalratri. नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है, जिनका स्वरूप भयानक होते हुए भी भक्तों के लिए कृपालु और रक्षक है। मां कालरात्रि की पूजा से भय, बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। (Updated September 2025)

जब धरती पर अत्याचार अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है और दुष्ट शक्तियों का आतंक अपना सिर उठाता है, तब माँ आदिशक्ति अपने सबसे भयंकर परंतु कल्याणकारी रूप में प्रकट होती हैं। नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है, जो न केवल अंधकार का नाश करती हैं बल्कि अपने भक्तों के जीवन से सभी प्रकार के भय, शंका और दुःख को दूर करती हैं। इनकी उपासना से साधक को शुभ फल प्राप्त होते हैं और जीवन में दिव्य प्रकाश का संचार होता है।

माँ कालरात्रि

माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक है, परंतु यह रूप केवल दुष्टों के लिए भयकारी है। देवी का वर्ण रात्रि के समान गहरा काला है, जो अज्ञानता के अंधकार का प्रतीक है। उनके बाल लंबे, खुले और बिखरे हुए हैं, तथा उनकी तीन आंखें हैं जिनसे दिव्य तेज निकलता है। माँ की सांसों से अग्नि निकलती है और उनकी चार भुजाएं हैं।

माता के दाहिने हाथ अभयमुद्रा और वरमुद्रा में हैं, जो भक्तों को निर्भयता और वरदान प्रदान करते हैं। बाएं हाथों में खड्ग (तलवार) और लौह शस्त्र धारण किए हुए हैं। माँ कालरात्रि गधे पर सवार हैं, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी दृढ़ता से खड़े रहने का प्रतीक है। इनके गले में विजली की भांति चमकने वाली मुंड माला शोभायमान है।

नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि

नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व इसलिए भी है कि वे शुभंकरी कहलाती हैं। भयानक रूप होते हुए भी वे अपने भक्तों के लिए सदैव शुभ फल देने वाली हैं।

नवरात्रि 2025 की तिथियाँ

शारदीय नवरात्रि 2025 में सातवां दिन

माता रानी की कृपा का पावन समय नवरात्रि 2025 हिंदू भक्तों के लिए सबसे पवित्र त्योहार है जो साल में दो बार भक्ति रस में डुबोता है। चैत्र माह में मनाई जाने वाली चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से 7 अप्रैल तक रामनवमी तक चलेगी, जबकि शरद ऋतु की शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से 30 सितंबर तक मनाई जाएगी। इन नौ पावन दिनों में माता के नौ स्वरूपों की भक्तिपूर्ण आराधना से हमारे मन में परम शांति का निवास होता है और जीवन में दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि उत्सव आस्था के साथ मनाएं

शुंभ-निशुंभ संहार की महान गाथा

प्राचीन काल में शुंभ और निशुंभ नामके दो भयानक असुर भाई थे, जिन्होंने कठोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से अजेय होने का वरदान प्राप्त किया था। इन दोनों ने स्वर्गलोक पर आक्रमण करके सभी देवताओं को पराजित कर दिया और तीनों लोकों में आतंक का राज स्थापित कर दिया।

देवताओं की पीड़ा देखकर भगवान शिव ने माँ पार्वती से सहायता की प्रार्थना की। तब माँ पार्वती ने देवी दुर्गा का रूप धारण किया और राक्षसों से युद्ध करने निकलीं। जब शुंभ-निशुंभ के दूत ने देवी दुर्गा को देखा तो उन्होंने अपने स्वामी से कहा कि एक अत्यंत सुंदर कन्या पर्वतों पर विचरण कर रही है।

शुंभ-निशुंभ ने देवी के पास विवाह का प्रस्ताव भेजा, किंतु माँ ने इसे तुरंत अस्वीकार कर दिया। इससे क्रोधित होकर उन्होंने युद्ध छेड़ दिया। सबसे बड़ी समस्या रक्तबीज नामक राक्षस से आई, जिसे यह वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त की प्रत्येक बूंद से एक नया रक्तबीज उत्पन्न हो जाएगा।

इस कठिन परिस्थिति में नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि के रूप में माँ पार्वती प्रकट हुईं। उन्होंने अपनी विशाल जीभ से रक्तबीज के रक्त की एक भी बूंद पृथ्वी पर नहीं गिरने दी और इस प्रकार उसका संपूर्ण नाश कर दिया।

शनि ग्रह की अधिष्ठात्री और ग्रह दोष निवारण

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार माँ कालरात्रि शनि ग्रह की अधिष्ठात्री देवी हैं। शनि ग्रह न्याय, कर्म और अनुशासन का कारक है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि ग्रह की अशुभ स्थिति है, उनके लिए माँ कालरात्रि की उपासना अत्यंत लाभकारी होती है।

माँ कालरात्रि की कृपा से शनि के दुष्प्रभाव दूर होते हैं और व्यक्ति के जीवन में स्थिरता आती है। देवी की आराधना से ग्रह बाधाएं स्वयं नष्ट हो जाती हैं और सभी प्रकार के भय – अग्नि भय, जल भय, जंतु भय, शत्रु भय और रात्रि भय – समाप्त हो जाते हैं।

भय नाश और शुभंकरी शक्तियां

माँ कालरात्रि को ‘भयंकरी’ और ‘शुभंकारी’ दोनों नामों से जाना जाता है। यह नाम इस सत्य को दर्शाता है कि वे दुष्टों के लिए भयंकर हैं परंतु भक्तों के लिए अत्यंत शुभकारी हैं। माँ कालरात्रि की उपासना से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के भय का नाश हो जाता है।

नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि की साधना करने से व्यक्ति निडर बनता है और किसी भी कठिनाई से नहीं घबराता। माँ की कृपा से साधक को तांत्रिक बाधाओं, भूत-प्रेत बाधाओं, बुरे स्वप्नों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।

देवी कालरात्रि पिंगला नाड़ी की अधिष्ठात्री हैं और उनकी साधना से व्यक्ति को दिव्य सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इनकी उपासना से भविष्य दर्शन की क्षमता विकसित होती है और व्यक्ति को भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

माँ कालरात्रि की पूजा के लिए भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करके कलश की स्थापना करनी चाहिए।

सर्वप्रथम माँ कालरात्रि के सामने दीपक जलाकर अक्षत, रोली, फूल और फल मंत्रोच्चारण करते हुए अर्पित करें। माता को लाल गुड़हल के फूल अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए यदि संभव हो तो 108 गुड़हल के फूलों की माला बनाकर अर्पित करनी चाहिए।

नवरात्रि  के सांतवे  दिन माँ कालरात्रि की पूजा में विशेष रूप से रात की रानी (Night Blooming Jasmine) के फूल भी चढ़ाने चाहिए। धूप-दीप जलाकर माँ की आरती करनी चाहिए और मंत्रों का जाप करना चाहिए।

प्रिय भोग और रंग

माँ कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी मिठाइयों का भोग लगाना अत्यंत प्रिय है। इस दिन खीर का भोग भी लगाना चुभ माना जाता है। संध्या काल में माता को खिचड़ी का भोग लगाना विशेष फलदायी होता है।

माँ कालरात्रि को लाल रंग अत्यधिक प्रिय है। इसलिए इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए और लाल रंग के फूल अर्पित करने चाहिए।

नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व

जीवन में माँ कालरात्रि की शिक्षाएं

माँ कालरात्रि की कथा और स्वरूप से हमें जीवन की अनेक महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं। पहली शिक्षा है कि बाहरी रूप से जो चीजें डरावनी लगती हैं, वे हमेशा हानिकारक नहीं होतीं। माँ का भयंकर रूप केवल दुष्टों के लिए है, भक्तों के लिए वे शुभंकारी हैं।

दूसरी शिक्षा है कि अंधकार चाहे कितना भी घना हो, अंततः प्रकाश की विजय होती है। माँ कालरात्रि अज्ञानता के अंधकार का नाश करके ज्ञान का प्रकाश फैलाती हैं। तीसरी शिक्षा है निडरता की। जीवन में चाहे कोई भी परिस्थिति आए, हमें निडर होकर उसका सामना करना चाहिए।

नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि की उपासना भक्तों के जीवन में अद्भुत परिवर्तन लाती है। माता की कृपा से न केवल सभी प्रकार के भय का नाश होता है बल्कि व्यक्ति को दिव्य शक्तियों की प्राप्ति भी होती है। माँ कालरात्रि तांत्रिक बाधाओं का नाश करती हैं, शनि दोष दूर करती हैं और भक्तों को मोक्ष का मार्ग दिखाती हैं। इसलिए इस पावन दिन पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा के साथ माँ कालरात्रि की आराधना करके उनकी कृपा प्राप्त करनी चाहिए। माता से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमारे जीवन के सभी अंधकार को दूर करके शुभ और मंगल का प्रकाश फैलाएं।

मां कालरात्रि मंत्र 

 ओम देवी कालरात्र्यै नमः।

मां कालरात्रि की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कालरात्रि की प्रार्थना

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

माँ कालरात्रि का ध्यान

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

माँ कालरात्रि स्तोत्र

हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

मां कालरात्रि की आरती

जय-जय-महाकाली, काल के मुह से बचाने वाली।।

दुष्ट संहारक नाम तुम्हारा , महाचंडी तेरा अवतारा ।।

पृथ्वी और आकाश पे सारा, महाकाली है तेरा पसारा।।

खड्ग खप्पर रखने वाली , दुष्टों का लहू चखने वाली।।

कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा।।

सभी देवता सब नर-नारी, गावें स्तुति सभी तुम्हारी।।

रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दुःख ना।।

ना कोई चिंता रहे बीमारी, ना कोई गम ना संकट भारी।।

उस पर कभी कष्ट ना आवें, महाकाली मां जिसे बचावे।।

तू भी भक्त प्रेम से कह, कालरात्रि मां तेरी जय।।

नवरात्रि के सातवें दिन की हार्दिक शुभकामनाएं

नवरात्रि के सातवें दिन, माँ कालरात्रि आपके जीवन से सभी बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करें। उनकी दिव्य कृपा आप पर सदा बनी रहे। शुभ नवरात्रि!

नवरात्रि के सातवें दिन की हार्दिक शुभकामनाएं

माँ कालरात्रि की अनुकंपा से आपके जीवन में शांति, सुख और समृद्धि का संचार हो। नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।

इस नवरात्रि, माँ कालरात्रि आपको उनकी असीम शक्ति और साहस से संपन्न करें। आपके हर कार्य में सफलता मिले। शुभ नवरात्रि!

माँ कालरात्रि के दिव्य आशीर्वाद से आपका हर दिन प्रकाशमय और सुखद हो। नवरात्रि की शुभकामनाएँ।

Navratri 7th Day Wishes in Hindi Text

  • नवरात्रि के सातवें दिन, माँ कालरात्रि आपके सभी दुखों को हर लें और आपको अखंड सुख का वरदान दें। शुभ नवरात्रि!
  • माँ कालरात्रि की कृपा से आपके जीवन में सदा खुशियाँ और सफलताओं का वास हो। नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ।
  • माँ कालरात्रि का आशीर्वाद आपके ऊपर सदैव बना रहे, और आपका हर कदम विजयी हो। शुभ नवरात्रि!
  • नवरात्रि के सातवें दिन, माँ कालरात्रि आपके घर-परिवार में सद्भाव और प्रेम का संचार करें। शुभ नवरात्रि!
  • माँ कालरात्रि की अद्भुत शक्तियों से आपके जीवन की हर चुनौती सरल और सुलझी हो। नवरात्रि की अनंत शुभकामनाएँ।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. नवरात्रि में माँ कालरात्रि की पूजा कौन से दिन की जाती है?

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि 2025 में यह 29 सितंबर को है।

2. माँ कालरात्रि का नाम कैसे पड़ा?

‘काल’ का अर्थ है मृत्यु और ‘रात्रि’ का अर्थ है अंधकार। माँ कालरात्रि अंधकार और मृत्यु के भय का नाश करती हैं, इसलिए उनका यह नाम पड़ा।

3. माँ कालरात्रि को कौन सा फूल प्रिय है?

माँ कालरात्रि को लाल गुड़हल के फूल और रात की रानी के फूल अत्यंत प्रिय हैं। 108 गुड़हल के फूलों की माला चढ़ाना सर्वोत्तम है।

4. माँ कालरात्रि का कौन सा भोग प्रिय है?

माँ कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी मिठाइयों का भोग अत्यंत प्रिय है। खीर और खिचड़ी का भोग भी लगाया जा सकता है।

5. माँ कालरात्रि किस ग्रह की अधिष्ठात्री हैं?

माँ कालरात्रि शनि ग्रह की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी पूजा से शनि के दुष्प्रभाव दूर होते हैं।

6. माँ कालरात्रि की पूजा से क्या लाभ होते हैं?

माँ कालरात्रि की पूजा से सभी प्रकार के भय का नाश, तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति, शनि दोष निवारण, नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और दिव्य सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

7. माँ कालरात्रि को शुभंकारी क्यों कहते हैं?

माँ कालरात्रि का रूप भयानक होते हुए भी वे अपने भक्तों के लिए सदैव शुभ फल देने वाली हैं, इसलिए उन्हें शुभंकारी कहा जाता है।

8. माँ कालरात्रि की साधना कौन करे?

जिन व्यक्तियों को अकाल मृत्यु का भय हो, तांत्रिक बाधाएं हों, शनि दोष हो या जो तंत्र-साधना, योग में लिप्त हों, उन्हें माँ कालरात्रि की साधना करनी चाहिए।

9. रक्तबीज का वध माँ कालरात्रि ने कैसे किया?

रक्तबीज को वरदान था कि उसके रक्त की हर बूंद से नया रक्तबीज पैदा होगा। माँ कालरात्रि ने अपनी विशाल जीभ से उसके रक्त की एक भी बूंद पृथ्वी पर नहीं गिरने दी और इस प्रकार उसका संहार कर दिया।

नोट: हमारे द्वारा उपरोक्त लेख में अगर आपको कोई त्रुटि दिखे या फिर लेख को बेहतर बनाने के आपके कुछ सुझाव है तो कृपया हमें कमेंट या फिर ईमेल के द्वारा बता सकते है हम आपके सुझावों को प्राथिमिकता के साथ उसे अपनाएंगे धन्यवाद !

Note – If you wish to know, all about Navratri day 7 in English then visit here Maa Kaalratri​ 7th Form Of Goddess Durga

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। Publicreact.in इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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