होमभारतीय उत्सवनवरात्रि 2025Maa Kushmanda: नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा-पूजा विधि,...

Maa Kushmanda: नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा-पूजा विधि, कथा, मंत्र और महत्व जानें।

नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है, जिनकी मंद मुस्कान से सृष्टि की रचना हुई। इस दिन भक्त मां कुष्मांडा की पूजा करके आयु, स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा की कामना करते हैं। Maa Kushmanda 4rth day of Navratri. (Updated September 2025)

नवरात्रि के नौ दिवसीय महोत्सव में चौथे दिन मां दुर्गा का चतुर्थ स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माना जाता है कि नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से समस्त ब्रह्मांड की रचना की। इसीलिए इन्हें सृष्टि की आद्य शक्ति कहा जाता है। भक्तजन इस दिन श्रद्धापूर्वक मां की आराधना करके सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना करते हैं।

नवरात्रि चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा

जब सृष्टि में केवल अंधकार था और शून्यता का राज था, तब नवरात्रि चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा की मंद मुस्कान से संपूर्ण ब्रह्मांड का जन्म हुआ। माँ कुष्मांडा को सृष्टि की आदिशक्ति कहा जाता है, जिन्होंने अपनी हल्की सी मुस्कान से इस संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना की है। उनका तेजस्वी स्वरूप सूर्य के भीतर निवास करता है और वे संपूर्ण जगत को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करती हैं।

माँ कुष्मांडा अष्टभुजाधारी हैं और उनकी आठ भुजाओं में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला सुशोभित है। वे सिंह पर आसीन होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। मेरे व्यक्तिगत अनुभव में, जब भी जीवन में अंधकार या निराशा का समय आया है, तब नवरात्रि चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा का स्मरण करने से मन में नई उमंग और जीवन शक्ति का संचार हुआ है। उनकी कृपा से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि आंतरिक तेज और ऊर्जा भी बढ़ती है।

माँ कुष्मांडा

माँ कुष्मांडा का नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है – कु (थोड़ा), ऊष्म (ऊर्जा) और अंड (अंडा), जिसका अर्थ है छोटी सी ऊर्जा से ब्रह्मांडीय अंड का सृजन करने वाली। पुराणों के अनुसार, जब सृष्टि के पूर्व चारों ओर केवल अंधकार और शून्यता थी, तब माता आदिशक्ति ने कुष्मांडा के रूप में प्रकट होकर एक हल्का हास्य किया।

इस मंद मुस्कान की ऊष्मा से एक छोटा सा अंड (ब्रह्मांड) उत्पन्न हुआ, जो आगे चलकर पूरे विश्व का आधार बना। यही कारण है कि माँ को सृष्टि की उत्पत्ति कर्त्री और आदिशक्ति कहा जाता है। उनके तेज से दसों दिशाएं प्रकाशित हो गईं और समस्त ब्रह्मांड अस्तित्व में आया।

सृष्टि की रचना के पश्चात माँ कुष्मांडा ने त्रिदेवों को उत्पन्न किया – भगवान विष्णु को पालनकर्ता, भगवान ब्रह्मा को सृष्टिकर्ता और भगवान शिव को संहारकर्ता बनाकर संसार के संतुलन की नींव रखी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माँ कुष्मांडा ने ही नौ ग्रहों की रचना की और पृथ्वी के सभी जीवों का निर्माण किया।

नवरात्रि 2025

आध्यात्मिक चेतना के जागरण का महापर्व नवरात्रि 2025 हिंदू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण परंपरा है जो वर्ष में दो बार हमारी आत्मा को शुद्ध करती है। वसंत ऋतु में चैत्र नवरात्रि (30 मार्च से 7 अप्रैल) नवीन ऊर्जा का संचार करती है, वहीं शरद ऋतु की शारदीय नवरात्रि (22 सितंबर से 30 सितंबर) हमें आंतरिक शक्ति प्रदान करती है। माता दुर्गा के नौ दिव्य रूपों की पूजा से हम तमोगुण, रजोगुण और सत्वगुण की त्रिविध शक्तियों पर विजय प्राप्त करते हैं

नवरात्रि उत्सव आस्था के साथ मनाएं

नवरात्रि 2025 की तिथियाँ

नवरात्रि प्रकारप्रारंभ तिथिसमापन तिथिविशेष पर्व / उत्सव
चैत्र नवरात्रि 202530 मार्च 2025 (रविवार)7 अप्रैल 2025 (सोमवार)रामनवमी (7 अप्रैल 2025)
नवरात्रि चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा1 अप्रैल 2025 मंगलवार
शारदीय नवरात्रि 202522 सितंबर 2025 (सोमवार)30 सितंबर 2025 (मंगलवार)विजयादशमी / दशहरा (1 अक्टूबर 2025)
नवरात्रि चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा26
सितंबर 2025
शुक्रवार

सूर्य से संबंध और ऊर्जा का स्रोत

नवरात्रि चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा का सूर्य से विशेष संबंध है। शास्त्रों के अनुसार, माँ कुष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर निवास करती हैं और सूर्य को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। सूर्य देव माँ कुष्मांडा के द्वारा ही संचालित होते हैं और हमें जो प्रकाश और ऊष्मा मिलती है, वह वास्तव में माँ कुष्मांडा की ही शक्ति है।

माँ का स्वर्णिम शरीर सूर्य के समान तेजस्वी है और उनका प्रकाश पूरे ब्रह्मांड को आलोकित करता है। वे अपने भीतर समस्त ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं और सभी प्राणियों के जीवन का आधार हैं। मैंने अनुभव किया है कि प्रातःकाल सूर्योदय के समय माँ कुष्मांडा का स्मरण करने से शरीर में अद्भुत ऊर्जा का संचार होता है।

योग शास्त्र के अनुसार, सूर्य नमस्कार करते समय माँ कुष्मांडा का ध्यान करना विशेष लाभकारी है। इससे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।

नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा

अनाहत चक्र और हृदय की स्वामिनी

माँ कुष्मांडा अनाहत चक्र (हृदय चक्र) की स्वामिनी हैं, जो हमारे हृदय के मध्य में स्थित है। यह चक्र प्रेम, करुणा, क्षमा और भावनात्मक संतुलन का केंद्र है। जब यह चक्र संतुलित होता है, तो व्यक्ति में निस्वार्थ प्रेम, दया और संवेदना की भावना जागती है।

अनाहत चक्र का रंग हरा है, जो प्रकृति, विकास और चिकित्सा का प्रतीक है। माँ कुष्मांडा की पूजा से इस चक्र की शुद्धता होती है और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार आता है। जो लोग अतीत के दुखों से पीड़ित हैं या रिश्तों में समस्या झेल रहे हैं, उनके लिए माँ की पूजा विशेष रूप से लाभकारी है।

नियमित रूप से माँ कुष्मांडा का ध्यान करने से हृदय में शांति का अनुभव होता है और दूसरों के प्रति क्रोध या द्वेष की भावना कम हो जाती है। यह चक्र संतुलित होने से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और श्वास संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है।

पूजा विधि और अनुष्ठान की संपूर्ण प्रक्रिया

नवरात्रि चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा की पूजा के लिए विशेष विधि-विधान का पालन करना चाहिए। प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन हरे या लाल रंग के वस्त्र पहनना विशेष शुभ माना जाता है।

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करके माँ कुष्मांडा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है। सर्वप्रथम गणेश जी का स्मरण करके कलश की पूजा करें, फिर माँ कुष्मांडा को नमन करें।

माँ को कुमकुम और हल्दी का तिलक लगाएं, लाल वस्त्र चढ़ाएं और लाल पुष्प अर्पित करें। विशेष रूप से कुम्हड़े (पेठे) का भोग लगाना चाहिए, जो माँ को अत्यंत प्रिय है। धूप, दीप, अगरबत्ती जलाकर माँ की आरती करें और शंख की ध्वनि के साथ घंटी बजाएं।

पूजा के दौरान माँ से स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और पारिवारिक कल्याण की कामना करनी चाहिए। यदि घर में कोई लंबे समय से बीमार है, तो इस दिन माँ से विशेष निवेदन करना चाहिए।

शक्तिशाली मंत्र और उनके चमत्कारिक प्रभाव

माँ कुष्मांडा के मंत्रों में अद्भुत शक्ति निहित है। मुख्य मंत्र “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए। यह मंत्र स्वास्थ्य, ऊर्जा और जीवन शक्ति की वृद्धि के लिए अत्यंत प्रभावकारी है।

बीज मंत्र “ऐं ह्री देव्यै नमः” का जाप करने से माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस मंत्र का अर्थ है “ज्ञान, शक्ति और माया स्वरूपिणी देवी को मेरा नमन है।” इस मंत्र के जाप से भक्त को देवी का आशीर्वाद, ज्ञान और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति होती है।

ध्यान मंत्र “सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥” का जाप करते समय माँ के दिव्य स्वरूप का ध्यान करना चाहिए।

महामंत्र “या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥” का जाप करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है।

नवरात्रि का चौथा दिन - माँ कूष्माण्डा की पूजा का विशेष महत्व

प्रिय भोग और प्रसाद: कुम्हड़े का महत्व

नवरात्रि चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा को विशेष रूप से कुम्हड़े (पेठे) का भोग प्रिय है। संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्माण्डा कहते हैं, इसीलिए माँ का नाम कुष्मांडा पड़ा। कुम्हड़े की सब्जी, खीर या हलवा बनाकर माँ को भोग लगाना चाहिए।

इसके अलावा विविध प्रकार के फलों का भोग भी अर्पित करना चाहिए। केले, संतरे, सेब और अनार विशेष रूप से चढ़ाने चाहिए। दूध, मिठाई और पंचामृत का भोग भी माँ को प्रिय है।

कुम्हड़े के भोग का आध्यात्मिक महत्व यह है कि यह मन की कड़वाहट को दूर करके मिठास लाता है। यह सात्विक भोजन है जो पाचन के लिए उत्तम है और शरीर में शीतलता लाता है। माँ के प्रसाद के रूप में कुम्हड़े का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

व्यावहारिक जीवन में माँ कुष्मांडा के आशीर्वाद

माँ कुष्मांडा का आशीर्वाद केवल आध्यात्मिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। व्यावहारिक जीवन में भी इसके अनगिनत लाभ हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से माँ की कृपा से समस्त रोग-दोष नष्ट हो जाते हैं और आयु, यश, बल की वृद्धि होती है।

डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए माँ कुष्मांडा की पूजा विशेष रूप से फलदायी है। उनकी कृपा से चिकित्सा कार्य में सफलता मिलती है और रोगियों का कल्याण होता है।

व्यापारिक जगत में कृषि, खाद्य उद्योग और प्राकृतिक संसाधनों से जुड़े व्यापारियों के लिए माँ का आशीर्वाद विशेष लाभकारी है। सोने-चांदी का व्यापार करने वालों को भी माँ की कृपा से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

छात्रों के लिए माँ कुष्मांडा की पूजा बुद्धि-विवेक की वृद्धि करती है। विशेष रूप से विज्ञान के छात्रों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है क्योंकि माँ सृष्टि के रहस्यों की स्वामिनी हैं।

संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए माँ कुष्मांडा की पूजा विशेष फलदायी है। उनकी कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

हरे रंग का महत्व और रंग चिकित्सा

नवरात्रि के चौथे दिन हरे रंग का विशेष महत्व है। यह रंग प्रकृति, विकास, चिकित्सा और समृद्धि का प्रतीक है। हरा रंग अनाहत चक्र का रंग भी है, जो माँ कुष्मांडा से जुड़ा हुआ है। वैज्ञानिक दृष्टि से हरा रंग मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है।

इस दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करने से माँ कुष्मांडा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हरे फूल, हरी सब्जियां और हरे रंग का कपड़ा चढ़ाने से पूजा का प्रभाव बढ़ जाता है। हरे रंग के फल जैसे अमरूद, हरे अंगूर और हरी पत्तियां भी अर्पित करनी चाहिए।

आधुनिक युग में माँ कुष्मांडा की प्रासंगिकता

आज के पर्यावरण संकट के युग में नवरात्रि चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा की पूजा की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के कारण पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। माँ कुष्मांडा सृष्टि की रचयिता होने के नाते प्रकृति संरक्षण की प्रेरणा देती हैं।

आधुनिक जीवनशैली में तनाव, अवसाद और हृदय रोग की समस्याएं बढ़ रही हैं। माँ कुष्मांडा अनाहत चक्र की स्वामिनी होने के कारण इन समस्याओं का समाधान प्रदान करती हैं। नियमित ध्यान और पूजा से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।

कोरोना काल में जब लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हुई है, तब माँ कुष्मांडा की पूजा से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। उनकी कृपा से शरीर में जीवन शक्ति का संचार होता है और स्वास्थ्य में सुधार आता है।

नवरात्रि चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा की पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और सकारात्मकता लाने का दिव्य माध्यम है। माँ कुष्मांडा का आशीर्वाद हमारे जीवन में प्रकाश, शक्ति और आनंद लाता है। आइए इस पावन दिन पर माँ के चरणों में अपना सब कुछ समर्पित करें और उनकी असीम कृपा का अनुभव करें। जो माँ ने एक मुस्कान से संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना की है, वे हमारे जीवन को भी खुशियों से भर सकती हैं। मां कुष्मांडा की जय!

मां कूष्माण्डा का मंत्र

ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

मां कूष्माण्डा की स्तुति  

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

मां कूष्माण्डा की प्रार्थना

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

माँ कूष्माण्डा का स्तोत्र

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

माँ कूष्माण्डा का ध्यान

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

मां कूष्माण्डा की आरती

चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते।

जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है ॥

आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।

इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप॥

कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।

पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।

उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥

सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए।

शरणागत मैं आया तू ही राह दिखाए॥

नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां ।

नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥

जय मां कूष्मांडा मैया।

जय मां कूष्मांडा मैया॥

नवरात्रि के चौथे दिन की हार्दिक शुभकामनाएं

  • नवरात्रि के चौथे दिन, माँ कुष्मांडा की दिव्य शक्तियों से आपके जीवन में आनंद और उत्साह का संचार हो। उनकी कृपा आप पर सदा बनी रहे। शुभ नवरात्रि!
  • माँ कुष्मांडा की असीम कृपा से आपके घर-आँगन में सुख-शांति और समृद्धि का वास हो। नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
नवरात्रि के चौथे दिन की हार्दिक शुभकामनाएं
  • इस नवरात्रि, माँ कुष्मांडा आपके जीवन को अपने दिव्य प्रकाश से आलोकित करें और हर कठिनाई को दूर करें। शुभ नवरात्रि!
  • माँ कुष्मांडा का आशीर्वाद आपको शक्ति, साहस, और समृद्धि प्रदान करे। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ।
  • नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की कृपा से आपका हर काम सफल हो और जीवन में नई ऊर्जा का संचार हो। शुभ नवरात्रि!

Navratri 4rt Day Wishes in Hindi Text

  • माँ कुष्मांडा की आराधना से आपके सभी सपने साकार हों और जीवन में सकारात्मकता का प्रवाह हो। नवरात्रि की अनंत शुभकामनाएँ।
  • माँ कुष्मांडा की पूजा से आपके घर में अखंड सुख-समृद्धि का वास हो और हर दुःख दूर हो। शुभ नवरात्रि!
  • नवरात्रि के चौथे दिन, माँ कुष्मांडा आपके जीवन को स्वास्थ्य, धन, और आनंद से भर दें। शुभ नवरात्रि!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1: नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा का क्या महत्व है?

उत्तर: माँ कुष्मांडा सृष्टि की रचयिता और सूर्य की स्वामिनी हैं। उनकी पूजा से स्वास्थ्य, ऊर्जा और जीवन शक्ति की प्राप्ति होती है। समस्त रोग-दोष नष्ट होकर आयु और बल में वृद्धि होती है।

प्रश्न 2: माँ कुष्मांडा के मुख्य मंत्र कौन से हैं?

उत्तर: मुख्य मंत्र “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः” है। बीज मंत्र “ऐं ह्री देव्यै नमः” और महामंत्र “या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता” हैं।

प्रश्न 3: चौथे दिन कौन सा रंग पहनना चाहिए?

उत्तर: नवरात्रि के चौथे दिन हरे या लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। हरा रंग अनाहत चक्र का रंग है और प्रकृति का प्रतीक है।

प्रश्न 4: माँ कुष्मांडा को कौन सा भोग प्रिय है?

उत्तर: माँ को कुम्हड़े (पेठे) का भोग विशेष रूप से प्रिय है। कुम्हड़े की सब्जी, खीर या हलवा चढ़ाना चाहिए। विविध फल और पंचामृत भी अर्पित करें।

प्रश्न 5: अनाहत चक्र से कैसे जुड़ी हैं माँ कुष्मांडा?

उत्तर: माँ कुष्मांडा अनाहत (हृदय) चक्र की स्वामिनी हैं। उनकी पूजा से भावनात्मक संतुलन, प्रेम, करुणा और क्षमा की भावना जागती है।

प्रश्न 6: सूर्य से माँ कुष्मांडा का क्या संबंध है?

उत्तर: माँ कुष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर निवास करती हैं और सूर्य को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। हमें मिलने वाला प्रकाश वास्तव में माँ की ही शक्ति है।

प्रश्न 7: स्वास्थ्य के लिए माँ कुष्मांडा की पूजा के क्या लाभ हैं?

उत्तर: माँ की पूजा से समस्त रोग-दोष नष्ट होते हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, हृदय रोग में राहत मिलती है और जीवन शक्ति में वृद्धि होती है।

प्रश्न 8: माँ कुष्मांडा को अष्टभुजा क्यों कहा जाता है?

उत्तर: माँ कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं जिनमें कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला है। इसीलिए उन्हें अष्टभुजा देवी कहते हैं।

प्रश्न 9: आधुनिक जीवन में माँ कुष्मांडा की पूजा की क्या प्रासंगिकता है?

उत्तर: पर्यावरण संकट, तनाव, हृदय रोग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं में माँ की पूजा विशेष लाभकारी है। प्रकृति संरक्षण की प्रेरणा भी मिलती है।

नोट: हमारे द्वारा उपरोक्त लेख में अगर आपको कोई त्रुटि दिखे या फिर लेख को बेहतर बनाने के आपके कुछ सुझाव है तो कृपया हमें कमेंट या फिर ईमेल के द्वारा बता सकते है हम आपके सुझावों को प्राथिमिकता के साथ उसे अपनाएंगे धन्यवाद !

Note – If you wish to know, all about Navratri in English then visit here Maa Kushmanda 4th Form Of Goddess Durga

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। Publicreact.in इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा – तिथि, कथा और खीर रखने की अनोखी परंपरा

भारतीय संस्कृति में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इस रात माँ लक्ष्मी...

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी – कथा, पूजा विधि, आरती और राधा कुंड में स्नान

हिंदू धर्म में व्रत और उपवास केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि जीवन को अनुशासन और भक्ति से जोड़ने का माध्यम हैं। इन्हीं पवित्र व्रतों...

Vijayadashami: विजयादशमी 2025: बुराई पर अच्छाई की विजय का महापर्व

भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक विजयादशमी हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। यह पर्व बुराई...

भारतीय उत्सव

त्योहारों की हार्दिक शुभकामनाएं

संबंधित पोस्ट