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Maa Brahmacharini: नवरात्रि का दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी, तपस्या, संयम और भक्ति का प्रतीक

नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है, जो तप, संयम और साधना की देवी मानी जाती हैं। इस दिन भक्त उनके जपमाला और कमंडल धारण किए तपस्विनी स्वरूप की पूजा कर ज्ञान, धैर्य और आत्मबल की प्राप्ति करते हैं। Goddess Maa Brahmacharini 2nd day of Navratri. (Updated September 2025)

नवरात्रि का हर दिन देवी दुर्गा के एक विशेष स्वरूप की साधना को समर्पित होता है। नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए माना जाता है। यह दिन संयम, तपस्या और साधना का संदेश देता है। मां ब्रह्मचारिणी का रूप हमें यह सिखाता है कि धैर्य और आत्मसंयम से ही जीवन में वास्तविक शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है। वर्षों से मैं देखता आया हूँ कि जब लोग इस दिन विशेष रूप से मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करते हैं, तो उन्हें मानसिक शांति और आत्मविश्वास का वरदान मिलता है ।

माँ ब्रह्मचारिणी

मां ब्रह्मचारिणी, मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं। उनका नाम ही उनके गुणों को प्रकट करता है—“ब्रह्म” अर्थात् तपस्या और “चारिणी” अर्थात् आचरण करने वाली।

पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठिन तप किया। इसी तपस्विनी स्वरूप में वे ब्रह्मचारिणी कहलाती हैं। उनके हाथों में जपमाला और कमंडल होता है, और वे साधना की गंभीरता का प्रतीक हैं।

नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी

जब आत्मा की खोज में निकलने का समय आता है और मन करता है कि जीवन में स्थिरता और दिशा मिले, तब नवरात्रि दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की शरण में जाना सबसे उत्तम है। माँ ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम की देवी हैं, जिन्होंने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तप किया था। उनका पावन स्वरूप हमें सिखाता है कि दृढ़ निश्चय, धैर्य और एकाग्रता से जीवन का कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

माँ ब्रह्मचारिणी का शांत और दिव्य स्वरूप अत्यंत मनमोहक है। सफेद वस्त्रों में सुसज्जित, दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल लिए हुए, वे पूर्ण आत्मसंयम की मूर्ति हैं। मेरे व्यक्तिगत अनुभव में, जब भी जीवन में असंतुलन का समय आया है और मन भटकने लगा है, तब मां ब्रह्मचारिणी का स्मरण करने से अद्भुत शांति और दिशा मिली है। उनकी कृपा से मन में एकाग्रता आती है और जीवन में संयम का भाव जागता है।

माँ ब्रह्मचारिणी की पावन गाथा और तपस्या की महिमा

माँ ब्रह्मचारिणी की कथा अत्यंत प्रेरणादायक है। पूर्व जन्म में सती के रूप में जन्म लेने के बाद, इस जन्म में वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में अवतरित हुईं। श्री नारद मुनि के कहने पर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने का संकल्प किया और इसके लिए अत्यंत कठोर तपस्या का आरंभ किया।

उनकी तपस्या की गाथा अविश्वसनीय है। पहले एक हजार वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर रहीं, फिर सौ वर्षों तक केवल हरी पत्तियों का सेवन किया। इसके बाद तीन हजार वर्षों तक केवल बिल्व पत्र खाकर जीवित रहीं। अंत में बिल्व पत्र (बेल पत्र ) भी त्याग दिया और बिना अन्न-जल के तपस्या जारी रखी। इस अवस्था में वे “अपर्णा” कहलाईं। जब हम किसी लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव रखते हैं, तो माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है।

नवरात्रि 2025

जैसा की आप जानते है नवरात्रि 2025 हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है जो वर्ष में दो बार मनाया जाता है—वसंत ऋतु में चैत्र नवरात्रि और शरद ऋतु में शारदीय नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च 2025 से होगा और इसका समापन 7 अप्रैल को रामनवमी के दिन होगा, जबकि शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू होकर 30 सितंबर को संपन्न होगी। दोनों ही नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है, जो भक्ति, साधना और आत्मिक शांति का प्रतीक मानी जाती है।

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नवरात्रि 2025 की तिथियाँ

नवरात्रि प्रकारप्रारंभ तिथिसमापन तिथिविशेष पर्व / उत्सव
चैत्र नवरात्रि 202530 मार्च 2025 (रविवार)7 अप्रैल 2025 (सोमवार)रामनवमी (7 अप्रैल 2025)
नवरात्रि दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी31st मार्च 2025, सोमवार
शारदीय नवरात्रि 202522 सितंबर 2025 (सोमवार)30 सितंबर 2025 (मंगलवार)विजयादशमी / दशहरा (1 अक्टूबर 2025)
नवरात्रि दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी23rd सितंबर 2025, मंगलवार

आध्यात्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व: मंगल दोष निवारण

नवरात्रि दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक गहरा है। शास्त्रों के अनुसार, माँ ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह की स्वामिनी हैं और उनकी पूजा से मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों का शमन होता है। मंगल ग्रह आक्रामकता, क्रोध और उग्रता का कारक है, लेकिन माँ की कृपा से इन्हीं गुणों का सकारात्मक रूपांतरण होता है।

मंगलिक दोष से पीड़ित व्यक्तियों के लिए माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अमृत के समान है। विवाह में विलंब, दांपत्य जीवन में कलह, और रिश्तों में तनाव जैसी समस्याओं का समाधान माँ की कृपा से होता है। स्वाधिष्ठान चक्र से जुड़ी हुई माँ ब्रह्मचारिणी की साधना से भावनात्मक संतुलन आता है और रचनात्मक ऊर्जा का विकास होता है।

पूजा विधि और अनुष्ठान की संपूर्ण प्रक्रिया

नवरात्रि दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए विशेष विधि अपनानी चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनना विशेष शुभ है।

पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करके माँ ब्रह्मचारिणी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। सर्वप्रथम माँ का पंचामृत से अभिषेक करें। रोली, अक्षत, चंदन, धूप-दीप से पूजा करें। माँ को विशेष रूप से कमल और गुड़हल के फूल अर्पित करें, जो उन्हें अत्यंत प्रिय हैं।

पूजा के दौरान माँ के मंत्रों का जाप करना अत्यावश्यक है। मुख्य मंत्र “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए। ध्यान मंत्र “दधाना करपद्माभ्याम् अक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।” का जाप करते समय माँ के दिव्य स्वरूप का ध्यान करना चाहिए।

जब हम पूर्ण श्रद्धा और एकाग्रता से पूजा करते हैं, तो माँ की अनुकंपा का स्पष्ट अनुभव होता है और मन में अपार शांति का संचार होता है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व

शक्तिशाली मंत्र और उनके चमत्कारिक प्रभाव

माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्रों में अद्भुत शक्ति निहित है। बीज मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः” का जाप करने से माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह मंत्र मानसिक शुद्धता, आत्मबल और धैर्य की वृद्धि के लिए अत्यंत प्रभावकारी है।

स्तुति मंत्र “या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।” का जाप करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है।

नियमित मंत्र जाप से तप, त्याग, वैराग्य और संयम जैसे दिव्य गुणों का विकास होता है। छात्रों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है क्योंकि एकाग्रता बढ़ती है और स्मृति शक्ति का विकास होता है। मैंने व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया है कि इन मंत्रों का नियमित जाप करने से मन की चंचलता दूर होती है और जीवन में अनुशासन आता है।

प्रिय भोग और प्रसाद: मिश्री एवं पंचामृत का महत्व

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को विशेष रूप से मिश्री और पंचामृत का भोग प्रिय है। मिश्री की मधुरता माँ के करुणामय स्वभाव का प्रतीक है। चीनी, मिश्री और दूध से बने व्यंजनों का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।

पंचामृत बनाने की विधि: दूध, दही, घी, शहद और चीनी को मिलाकर पंचामृत तैयार करें। इसमें केसर, मेवे और तुलसी के पत्ते मिलाएं। यह भोग माँ को अत्यंत प्रिय है। सफेद रंग की मिठाइयां जैसे रसगुल्ले, संदेश या खीर भी चढ़ा सकते हैं।

मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से दीर्घायु का वरदान मिलता है और जीवन में मधुरता आती है। भोग के रूप में चढ़ाई गई वस्तुओं को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

व्यावहारिक जीवन में माँ ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद

माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद केवल आध्यात्मिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। व्यावहारिक जीवन में भी इसके अनगिनत लाभ हैं। छात्रों के लिए माँ की कृपा विशेष रूप से फलदायी है। परीक्षा में सफलता, एकाग्रता की वृद्धि और मानसिक स्पष्टता प्राप्त होती है।

व्यापारिक जगत में काम करने वाले लोगों के लिए माँ का आशीर्वाद नेतृत्व क्षमता का विकास करता है। धैर्य, संयम और दूरदर्शिता जैसे गुण मिलते हैं जो सफलता के लिए आवश्यक हैं। कार्यक्षेत्र में होने वाले संघर्षों में माँ की कृपा से विजय मिलती है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद मानसिक रोगों के लिए रामबाण है। अवसाद, चिंता, तनाव जैसी समस्याओं का समाधान होता है। हार्मोनल संतुलन बना रहता है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।

रंग चिकित्सा और सफेद रंग का महत्व

नवरात्रि के दूसरे दिन सफेद रंग का विशेष महत्व है। यह रंग पवित्रता, शांति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। सफेद रंग मन की शुद्धता और निर्मल विचारों का संकेत देता है। वैज्ञानिक दृष्टि से सफेद रंग मानसिक शांति प्रदान करता है और तनाव को कम करता है।

इस दिन सफेद या हल्के पीले रंग के वस्त्र धारण करने से माँ ब्रह्मचारिणी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सफेद फूल, सफेद मिठाई और सफेद कपड़ा चढ़ाने से पूजा का प्रभाव और भी बढ़ जाता है।

आधुनिक युग में माँ ब्रह्मचारिणी की प्रासंगिकता

आज के तकनीकी युग में नवरात्रि दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। डिजिटल डिस्ट्रैक्शन, सोशल मीडिया की लत और अत्यधिक भौतिकवादी दृष्टिकोण के कारण मानसिक अशांति बढ़ रही है।

माँ ब्रह्मचारिणी की शिक्षा हमें सिखाती है कि संयम और एकाग्रता से ही सच्ची सफलता मिलती है। आज के समय में जब लोग तुरंत परिणाम चाहते हैं, तब माँ का जीवन हमें धैर्य और दृढ़ता का पाठ पढ़ाता है।

छात्रों के लिए माँ की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए एकाग्रता और धैर्य की आवश्यकता होती है। कार्यक्षेत्र में भी संयम और धैर्य रखने वाले लोग अधिक सफल होते हैं।

नवरात्रि का दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी मंत्र

ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

मां ब्रह्मचारिणी की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥
परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

मां ब्रह्मचारिणी स्त्रोत

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

माँ ब्रह्मचारिणी की आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो ​तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

नवरात्रि के दूसरे दिन की हार्दिक शुभकामनाएं

  • नवरात्रि के दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी आपको अद्भुत शक्ति, धैर्य और समर्पण प्रदान करें। शुभ नवरात्रि!
  • माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से आपके जीवन में शांति और सुख का वास हो। नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
नवरात्रि के दूसरे दिन की हार्दिक शुभकमनएं
  • नवरात्रि के दूसरे दिन की माँ के भक्तो को मंगलमय बधाई
  • इस नवरात्रि, माँ ब्रह्मचारिणी आपके सभी दुःखों को दूर करें और आपको आत्मिक शांति प्रदान करें। शुभ नवरात्रि!
  • माँ ब्रह्मचारिणी की अनुकम्पा से आपका हर पल मंगलमय हो। उनका आशीर्वाद आपके साथ हो। शुभ नवरात्रि!
  • नवरात्रि के इस दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी आपके जीवन को सफलता और खुशियों से भर दें। शुभ नवरात्रि!
  • माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद आपके जीवन में नई उर्जा और प्रेरणा का संचार करे। उनकी भक्ति और साधना आपको आत्मिक शांति और धैर्य प्रदान करे। शुभ नवरात्रि!

Navratri 2nd Day Wishes in Hindi Text

  • माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना आपके जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा भर दे। नवरात्रि की ढेरों शुभकामनाएँ!
  • नवरात्रि के दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी की अनुपम कृपा आप पर सदा बनी रहे। उनकी दिव्य शक्ति आपके जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर दे। आपको और आपके परिवार को नवरात्रि के इस पावन अवसर पर ढेरों शुभकामनाएँ।
  • इस नवरात्रि, माँ ब्रह्मचारिणी आपको विवेक, बुद्धि और शक्ति प्रदान करें। आपके सभी सपने साकार हों और आपका हर कदम विजयी हो। नवरात्रि की शुभकामनाएँ!
  • माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से आपका जीवन प्रेम, सुख, और आनंद से परिपूर्ण हो। उनकी असीम शक्तियाँ आपको सदा संरक्षित रखें। शुभ नवरात्रि!

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह जीवन में संयम, धैर्य और एकाग्रता लाने का दिव्य माध्यम है। माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद हमारे जीवन में तपस्या की शक्ति, संकल्प की दृढ़ता और मानसिक शुद्धता लाता है। आइए इस पावन दिन पर माँ के चरणों में अपना मन अर्पित करें और उनकी असीम कृपा का अनुभव करें। माँ ब्रह्मचारिणी की जय!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का क्या महत्व है?

उत्तर: माँ ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम की देवी हैं। उनकी पूजा से मानसिक शुद्धता, एकाग्रता और धैर्य की प्राप्ति होती है। मंगल दोष का निवारण भी होता है।

प्रश्न 2: माँ ब्रह्मचारिणी के मुख्य मंत्र कौन से हैं?

उत्तर: मुख्य मंत्र “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” है। बीज मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः” और ध्यान मंत्र “दधाना करपद्माभ्याम् अक्षमालाकमण्डलू” हैं।

प्रश्न 3: दूसरे दिन कौन सा रंग पहनना चाहिए?

उत्तर: नवरात्रि के दूसरे दिन सफेद या हल्के पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। सफेद रंग पवित्रता और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है।

प्रश्न 4: माँ ब्रह्मचारिणी को कौन सा भोग प्रिय है?

उत्तर: माँ को मिश्री, चीनी, पंचामृत और दूध से बने व्यंजन विशेष रूप से प्रिय हैं। सफेद मिठाई और कमल के फूल भी चढ़ाने चाहिए।

प्रश्न 5: मंगलिक दोष कैसे दूर होता है?

उत्तर: माँ ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह की स्वामिनी हैं। उनकी नियमित पूजा और मंत्र जाप से मंगलिक दोष का निवारण होता है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।

प्रश्न 6: छात्रों के लिए माँ की पूजा के क्या लाभ हैं?

उत्तर: छात्रों के लिए एकाग्रता की वृद्धि, स्मृति शक्ति का विकास, परीक्षा में सफलता और मानसिक स्पष्टता प्राप्त होती है।

प्रश्न 7: स्वाधिष्ठान चक्र से कैसे जुड़ी हैं माँ ब्रह्मचारिणी?

उत्तर: माँ ब्रह्मचारिणी स्वाधिष्ठान चक्र से जुड़ी हैं जो भावनात्मक संतुलन, रचनात्मकता और आध्यात्मिक प्रगति को नियंत्रित करता है।

प्रश्न 8: व्रत के दौरान क्या नियम पालन करने चाहिए?

उत्तर: व्रत के दौरान सात्विक भोजन लें, मांस-मदिरा से दूर रहें, सच बोलें और नियमित रूप से माँ के मंत्रों का जाप करते रहें।

प्रश्न 9: आधुनिक जीवन में माँ ब्रह्मचारिणी की शिक्षा कैसे उपयोगी है?

उत्तर: आधुनिक जीवन में संयम, धैर्य, एकाग्रता और अनुशासन की आवश्यकता है। माँ की शिक्षा इन सभी गुणों का विकास करती है और जीवन में स्थिरता लाती है।

Note – If you wish to know all about Navratri in English, then visit here Maa Brahmacharini 2nd Form Of Goddess Durga​

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। Publicreact.in इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

नोट: हमारे द्वारा उपरोक्त लेख में अगर आपको कोई त्रुटि दिखे या फिर लेख को बेहतर बनाने के आपके कुछ सुझाव है तो कृपया हमें कमेंट या फिर ईमेल के द्वारा बता सकते है हम आपके सुझावों को प्राथिमिकता के साथ उसे अपनाएंगे धन्यवाद !

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