सनातन हिंदू धर्म में मां दुर्गा को सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक माना गया है। भक्तजन उन्हें शक्ति, भक्ति और करुणा की देवी के रूप में पूजते हैं। प्राचीन शास्त्रों और स्तोत्रों में देवी को अनेक नामों से पुकारा गया है, जिनमें से मां दुर्गा के 108 नाम विशेष महत्व रखते हैं। हर नाम के पीछे एक गहन अर्थ छिपा है, जो न केवल देवी की शक्ति का परिचय देता है, बल्कि साधक को भी आत्मबल और प्रेरणा प्रदान करता है।
जब भी हम इन नामों का स्मरण करते हैं, ऐसा प्रतीत होता है मानो मां स्वयं हमारे जीवन की कठिनाइयों को दूर करने का मार्ग दिखा रही हों। आइये जानते है मां दुर्गा के 108 पवित्र नामों को इस लेख में:
- माँ दुर्गा: शक्ति की प्रतीक
- मां दुर्गा के 108 नाम (Maa Durga ke 108 Naam)
- मां दुर्गा के 108 नामों की महत्ता और उत्पत्ति
- नाम जाप के आध्यात्मिक लाभ
- व्यावहारिक जीवन में मां की शक्ति का अनुभव
- नवरात्रि में 108 नामों का विशेष महत्व
- पूजा विधि और जाप की सही प्रक्रिया
- स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए विशेष नाम
- जाप के नियम और सावधानियां
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
माँ दुर्गा: शक्ति की प्रतीक
भक्त माँ दुर्गा की आराधना नवरात्रि के दौरान माँ को प्रसन्न करने के लिए कई तरह पूजा, अनुष्ठान करते हैं। लेकिन कई बार लोगो की व्यस्तता के कारण विधि-विधान के साथ भक्त पूजा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में वो मात्र माँ दुर्गा के 108 नामो का जाप करें। ऐसा करने से माँ जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तो को सुख, समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद देती हैं। माँ दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं। इन्हें देवी, शक्ति और जग्दम्बा भी कहा जाता है।

मां दुर्गा के 108 नाम (Maa Durga ke 108 Naam)
माँ दुर्गा, आदिशक्ति और परमेश्वरी के रूप में हिंदू धर्म की सर्वोच्च शक्ति मानी जाती हैं। मां दुर्गा के 108 नाम न केवल उनकी महिमा का गान करते हैं बल्कि भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। जब हम सच्चे मन से इन पवित्र नामों का जाप करते हैं, तो मां का दिव्य आशीर्वाद हमारे जीवन में अदभुत परिवर्तन लाता है।
प्राचीन शास्त्रों में वर्णित है कि इन 108 नामों में मां दुर्गा की समस्त शक्तियों का समावेश है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, ये नाम स्वयं देवी माँ द्वारा ऋषि मार्कण्डेय को दिए गए थे। मां के प्रत्येक नाम में एक विशिष्ट गुण और शक्ति निहित है, जो भक्तों को विभिन्न कष्टों से मुक्ति दिलाकर उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है।
मां दुर्गा के 108 नाम कौन-कौन से हैं?
- श्री (Shree), ॐ श्रियै नमः।
- उमा (Uma), ॐ उमायै नमः।
- भारती (Bharati), ॐ भारत्यै नमः।
- भद्रा (Bhadra), ॐ भद्रायै नमः।
- शर्वाणी (Sharvani), ॐ शर्वाण्यै नमः।
- विजया (Vijaya), ॐ विजयायै नमः।
- जया (Jaya), ॐ जयायै नमः।
- वाणी (Vani), ॐ वाण्यै नमः।
- सर्वगताय (Sarvagataya), ॐ सर्वगतायै नमः।
- गौरी (Gauri), ॐ गौर्यै नमः।
- वाराही (Varahi), ॐ वाराह्यै नमः।
- कमलप्रिया (Kamalapriya), ॐ कमलप्रियायै नमः।
- सरस्वती (Saraswati), ॐ सरस्वत्यै नमः।
- कमला (Kamala), ॐ कमलायै नमः।
- माया (Maya), ॐ मायायै नमः।
- मातंगी (Maatangi),ॐ मातंग्यै नमः।
- अपरा (Apra), ॐ अपरायै नमः।
- अजा (Aja), ॐ अजायै नमः।
- शांकभर्यै (Shankbharye), ॐ शांकभर्यै नमः।
- शिवा (Shiva), ॐ शिवायै नमः।
- चण्डी (Chandi), ॐ चण्डयै नमः।
- कुण्डलिनी (Kundalini), ॐ कुण्डल्यै नमः।
- वैष्णवी (Vaishnavi), ॐ वैष्णव्यै नमः।
- क्रियायै (Kriyayai), ॐ क्रियायै नमः।
- श्री (Shri, ॐ श्रियै नमः।
- इन्दिरा (Indira), ॐ ऐन्द्रयै नमः।
- मधुमती (Madhumati), ॐ मधुमत्यै नमः।
- गिरिजा (Girija), ॐ गिरिजायै नमः।
- सुभगा (Subhaga), ॐ सुभगायै नमः।
- अंबिका (Ambika), ॐ अंबिकायै नमः।
- तारा (Tara), ॐ तारायै नमः।
- पद्मावती (Padmavati), ॐ पद्मावत्यै नमः।
- हंसा (Hansa), ॐ हंसायै नमः।
- पद्मनाभसहोदरी (Padmanabha sahodari), ॐ पद्मनाभसहोदर्यै नमः।
- अपर्णा (Aparna), ॐ अपर्णायै नमः।
- ललितायै (Lalita), ॐ ललितायै नमः।
- धात्री (Dhatri), ॐ धात्र्यै नमः।
- कुमारी (Kumari), ॐ कुमार्यै नमः।
- शिखवाहिन्यै (Shikhvahinyai)ॐ शिखवाहिन्यै नमः।
- शांभवी (Shambhavi), ॐ शांभव्यै नमः।
- सुमुखी (Sumukhi), ॐ सुमुख्यै नमः।
- मैत्र्यै (Maitryai), ॐ मैत्र्यै नमः।
- त्रिनेत्रा (Trinetra), ॐ त्रिनेत्रायै नमः।
- विश्वरूपा (Vishvarupa), ॐ विश्वरूपिण्यै नमः।
- आर्य (Aarya), ॐ आर्यायै नमः।
- मृडानी (Mridani), ॐ मृडान्यै नमः।
- हींकार्यै (Hinkaryai), ॐ हींकार्यै नमः।
- क्रोधिन्यै (Krodhinyai), ॐ क्रोधिन्यै नमः।
- सुदिनायै (Sudinayai), ॐ सुदिनायै नमः।
- अचल (Achala), ॐ अचलायै नमः।
- सूक्ष्म (Sukshma), ॐ सूक्ष्मायै नमः।
- परात्परायै (Paratpara), ॐ परात्परायै नमः।
- शोभा (Shobha), ॐ शोभायै नमः।
- सर्ववर्णायै (Sarvavarna), ॐ सर्ववर्णायै नमः।
- हरप्रिया (Haripriya), ॐ हरप्रियायै नमः।
- महालक्ष्मी (Mahalakshmi), ॐ महालक्ष्म्यै नमः।
- महासिद्धि (Mahasiddhi), ॐ महासिद्धयै नमः।
- स्वधा (Swadha), ॐ स्वधायै नमः।
- स्वाहा (Swaha), ॐ स्वाहायै नमः।
- मनोन्मनी (Manonmani), ॐ मनोन्मन्यै नमः।
- त्रिलोकपालिनी (Trilokapalini), ॐ त्रिलोकपालिन्यै नमः।
- उद्भूतायै (Udbhutayai), ॐ उद्भूतायै नमः।
- त्रिसन्ध्या (Trisandhya), ॐ त्रिसन्ध्यायै नमः।
- त्रिपुरान्तक्यै (Tripurantakyai), ॐ त्रिपुरान्तक्यै नमः।
- त्रिशक्त्यै (Trishaktyai), ॐ त्रिशक्त्यै नमः।
- त्रिपदायै (Tripadayai), ॐ त्रिपदायै नमः।
- दुर्गा (Durga), ॐ दुर्गायै नमः।
- ब्राह्मी (Brahmi), ॐ ब्राह्मयै नमः।
- त्रैलोक्यवासिनी (Trailokyavasini), ॐ त्रैलोक्यवासिन्यै नमः।
- पुष्करा (Pushkara), ॐ पुष्करायै नमः।
- अत्रिसुतायै (Atrisutayai), ॐ अत्रिसुतायै नमः।
- गूढ़ा (Gudha), ॐ गूढ़ायै नमः।
- त्रिवर्णा (Trivarna), ॐ त्रिवर्णायै नमः।
- त्रिस्वरा (Triswara), ॐ त्रिस्वरायै नमः।
- त्रिगुणा (Triguna), ॐ त्रिगुणायै नमः।
- निर्गुणा (Nirguna), ॐ निर्गुणायै नमः।
- सत्या (Satya), ॐ सत्यायै नमः।
- निर्विकल्पा (Nirvikalpa), ॐ निर्विकल्पायै नमः।
- निरन्जना (Niranjana), ॐ निरंजिन्यै नमः।
- ज्वालिन्यै (Jwalinyai), ॐ ज्वालिन्यै नमः।
- मालिनी (Malini), ॐ मालिन्यै नमः।
- चर्चायै (Charchayai), ॐ चर्चायै नमः।
- क्रव्यादोप निबर्हिण्यै (Kravyadopa nibarhinyai), ॐ क्रव्यादोप निबर्हिण्यै नमः।
- कामाक्षी (Kamakshi), ॐ कामाक्ष्यै नमः।
- कामिन्यै (Kaminyai), ॐ कामिन्यै नमः।
- कान्ता (Kanta), ॐ कान्तायै नमः।
- कामदायै (Kamdaayai), ॐ कामदायै नमः।
- कलहंसिन्यै (Kalahansinyai), ॐ कलहंसिन्यै नमः।
- सलज्जायै (Salajjaayai), ॐ सलज्जायै नमः।
- कुलजायै (Kulajaayai), ॐ कुलजायै नमः।
- प्राज्ञ्यै (Pragyai), ॐ प्राज्ञ्यै नमः।
- प्रभा (Prabha), ॐ प्रभायै नमः।
- मदनसुन्दरी (Madanasundari), ॐ मदनसुन्दर्यै नमः।
- वागीश्वरी (Vagishvari), ॐ वागीश्वर्यै नमः।
- विशालाक्षी (Vishalakshi), ॐ विशालाक्ष्यै नमः।
- सुमङ्गली (Sumangali), ॐ सुमंगल्यै नमः।
- काली (Kali), ॐ काल्यै नमः।
- महेश्वरी (Maheshvari), ॐ महेश्वर्यै नमः।
- चण्डी (Chandi), ॐ चण्ड्यै नमः।
- भैरवी (Bhairavi), ॐ भैरव्यै नमः।
- भुवनेश्वरी (Bhuvaneshvari), ॐ भुवनेश्वर्यै नमः।
- नित्या (Nitya, ॐ नित्यायै नमः।
- सानन्दविभवायै (Sanandavibhvayai, ॐ सानन्दविभवायै नमः।
- सत्यज्ञाना (Satyagyana), ॐ सत्यज्ञानायै नमः।
- तमोपहा (Tamopaha), ॐ तमोपहायै नमः।
- महेश्वरप्रियंकर्यै (Maheshvarpriyankaryai), ॐ महेश्वरप्रियंकर्यै नमः।
- महात्रिपुरसुन्दरी (Maha Tripura Sundari), ॐ महात्रिपुरसुन्दर्यै नमः।
- दुर्गापरमेश्वर्यै (Durgaparmeshvaryai), ॐ दुर्गापरमेश्वर्यै नमः।
मां दुर्गा के 108 नामों की महत्ता और उत्पत्ति
संस्कृत में 108 की संख्या अत्यधिक शुभ और पवित्र मानी गई है। वैदिक ज्योतिष में इस संख्या का विशेष महत्व है। मां दुर्गा के 108 नाम दुर्गा अष्टोत्तरशतनामावली के रूप में जाने जाते हैं, जो दुर्गा सप्तशती और अन्य वैदिक ग्रंथों में संकलित हैं।
ये नाम महिषासुर के वध के पश्चात देवताओं द्वारा मां दुर्गा की स्तुति के रूप में प्रकट हुए थे। जब समस्त देवताओं की शक्तियों से मां का जन्म हुआ था, तब प्रत्येक देव ने अपनी विशिष्ट शक्ति के अनुसार मां को एक नाम दिया था। इस प्रकार ये सभी नाम मां की विविध शक्तियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

नाम जाप के आध्यात्मिक लाभ
मां दुर्गा के 108 नाम का जाप करने से अनगिनत आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इन नामों का नियमित जाप करने वाले भक्तों के लिए तीनों लोकों में कुछ भी असंभव नहीं रह जाता।
ज्योतिष शास्त्र में इन नामों का विशेष महत्व है। ये नाम राहु, केतु और शनि जैसे पापग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करते हैं, जबकि गुरु और शुक्र जैसे शुभग्रहों के सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाते हैं। नवरात्रि के दौरान इन नामों का जाप विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
भक्तों का मानना है कि माँ के इन 108 नामों का नियमित जाप करने से मानसिक तनाव कम होता है, एकाग्रता बढ़ती है और आंतरिक शक्ति का विकास होता है। ध्यान और जाप के दौरान मां का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो भक्तों के मन और आत्मा को शुद्ध करता है।
व्यावहारिक जीवन में मां की शक्ति का अनुभव
मां दुर्गा के 108 नाम का जाप केवल धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि यह व्यावहारिक जीवन में मां की शक्ति को अनुभव करने का माध्यम है। मां के विभिन्न नाम जैसे “दुर्गा” (कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली), “चामुंडा” (अहंकार और अज्ञानता का नाश करने वाली), और “परमेश्वरी” (सर्वोच्च शक्ति) हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में सहायता करते हैं।
आज के युग में, जब तनाव और चिंताएं बढ़ रही हैं, मां के नामों का जाप एक प्राकृतिक चिकित्सा के समान कार्य करता है। “सर्वमंत्रमयी” नाम का जाप करने से मन की शुद्धता आती है, जबकि “सर्वविद्या” नाम बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि करता है।
व्यापारिक सफलता के लिए “लक्ष्मी” और “सर्ववाहनवाहना” नामों का जाप विशेष रूप से लाभकारी है। स्वास्थ्य की समस्याओं के लिए “महागौरी” और “तपस्विनी” नामों का जाप करने से अद्भुत परिणाम मिलते हैं।
नवरात्रि में 108 नामों का विशेष महत्व
नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के 108 नाम के जाप के लिए सर्वाधिक पवित्र समय है। इस अवधि में मां धरती लोक पर विराजमान होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। नवरात्रि में प्रत्येक दिन मां के एक विशेष रूप की पूजा के साथ 108 नामों का जाप करने से दोगुना लाभ मिलता है। पहले दिन शैलपुत्री के साथ “सती”, “साध्वी”, “भवप्रीता” जैसे नामों का जाप विशेष फल देता है। इसी प्रकार प्रत्येक दिन संबंधित देवी के नामों पर विशेष ध्यान देकर जाप करना चाहिए।

पूजा विधि और जाप की सही प्रक्रिया
मां दुर्गा के 108 नाम के जाप की सही विधि अत्यंत महत्वपूर्ण है। सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करके मां की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए।
दीप प्रज्ज्वलित करके धूप, अगरबत्ती जलाएं। मां को फूल, फल, मिठाई का भोग लगाकर पंचोपचार पूजा करें। इसके पश्चात रुद्राक्ष की माला लेकर मन को एकाग्र करके नामों का जाप प्रारंभ करें।
जाप के समय प्रत्येक नाम का अर्थ भी मन में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, “सती” का जाप करते समय याद रखें कि यह नाम उस शक्ति को दर्शाता है जो अग्नि में जलकर भी जीवित रह सकती है। “भवानी” का जाप करते समय ध्यान रखें कि यह ब्रह्मांड की निवास है।
स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए विशेष नाम
मां दुर्गा के 108 नाम में कुछ नाम स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली हैं। “महाशक्ति”, “सर्वरोगहरा”, और “आरोग्यदायिनी” जैसे नामों का जाप स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए अत्यंत लाभकारी है।
धन और समृद्धि के लिए “लक्ष्मी”, “धनदा”, “सम्पत्प्रदा”, और “सर्वैश्वर्यप्रदायिनी” नामों का विशेष जाप करना चाहिए। इन नामों का नियमित जाप करने से घर में धन का आगमन होता है और आर्थिक कष्ट दूर होते हैं।
शिक्षा और बुद्धि वृद्धि के लिए “सरस्वती”, “विद्यादायिनी”, “ज्ञाना”, और “बुद्धिदा” नामों का जाप करना चाहिए। छात्र-छात्राओं के लिए ये नाम विशेष रूप से फलदायी हैं।
विवाह और संतान प्राप्ति के लिए “सौभाग्यकारिणी”, “पुत्रदा”, और “संतानप्रदा” जैसे नामों का जाप करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
आधुनिक जीवन में मां के नामों की प्रासंगिकता
आज के डिजिटल युग में मां दुर्गा के 108 नाम की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। तकनीकी तनाव, सामाजिक दबाव और भौतिकवादी दृष्टिकोण के कारण मानसिक शांति की आवश्यकता बढ़ गई है।
“कालरात्रि” नाम का जाप अंधकार और भ्रम को दूर करता है, जो आज के समय में बहुत आवश्यक है। “निर्भयकारी” नाम डर और चिंता को समाप्त करता है, जबकि “स्थैर्यप्रदा” मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।
कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए “विजया”, “जया”, और “दुष्टविनाशिनी” नामों का जाप करने से प्रतिस्पर्धा में सफलता मिलती है। व्यापार में “व्यापारप्रिया” और “लाभकारिणी” जैसे नामों का जाप लाभकारी है।
जाप के नियम और सावधानियां
मां दुर्गा के 108 नाम के जाप करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक है। सबसे पहले मन को शुद्ध करके, सच्ची श्रद्धा के साथ जाप करना चाहिए। जल्दबाजी में या मन में अन्य विचार रखकर जाप करने से पूरा लाभ नहीं मिलता।
प्रातःकाल सूर्योदय के समय जाप करना सर्वाधिक फलदायी है। यदि प्रातःकाल संभव न हो तो संध्या काल में भी जाप कर सकते हैं। जाप के समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को जाप से बचना चाहिए। जाप के दौरान बीच में उठकर इधर-उधर नहीं जाना चाहिए। यदि कोई अवरोध हो तो “ॐ दुर्गायै नमः” का जाप करते हुए कार्य निपटाकर पुनः जाप प्रारंभ करना चाहिए।
रुद्राक्ष, तुलसी या चंदन की माला का प्रयोग करना शुभ होता है। माला को जमीन पर नहीं रखना चाहिए और जाप के बाद साफ कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए।
मां दुर्गा के 108 नाम केवल धार्मिक मंत्र नहीं हैं, बल्कि जीवन को सफल और खुशहाल बनाने का दिव्य साधन हैं। इन पवित्र नामों का नियमित जाप करने से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। आइए इस नवरात्रि से इन दिव्य नामों को अपने दैनिक जीवन का अंग बनाएं और मां दुर्गा के असीम आशीर्वाद का अनुभव करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1: मां दुर्गा के 108 नाम कब जपने चाहिए?
उत्तर: सुबह सूर्योदय के समय या शाम को सूर्यास्त से पहले जाप करना सबसे अच्छा होता है। नवरात्रि के दिनों में विशेष फल मिलता है।
प्रश्न 2: क्या 108 नाम का जाप बिना माला के कर सकते हैं?
उत्तर: हां, माला के बिना भी जाप कर सकते हैं, लेकिन माला का प्रयोग करने से एकाग्रता बनी रहती है और गिनती में आसानी होती है।
प्रश्न 3: कितने दिन तक लगातार जाप करना चाहिए?
उत्तर: कम से कम 40 दिन तक लगातार जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। नवरात्रि के 9 दिन विशेष रूप से शुभ हैं।
प्रश्न 4: जाप के दौरान मन भटकने पर क्या करें?
उत्तर: मन भटकना सामान्य है। धैर्य रखकर पुनः एकाग्र होकर जाप जारी रखें। अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है।
प्रश्न 5: क्या बिना स्नान के जाप कर सकते हैं?
उत्तर: स्नान करके जाप करना श्रेष्ठ है, लेकिन यदि स्नान संभव न हो तो हाथ-मुंह धोकर भी जाप कर सकते हैं।
प्रश्न 6: 108 नामों का क्या महत्व है?
उत्तर: 108 संख्या वैदिक परंपरा में अत्यंत पवित्र मानी गई है। यह ब्रह्मांडीय चक्रों और मानव चेतना के स्तरों को दर्शाती है।
प्रश्न 7: क्या बच्चे भी इन नामों का जाप कर सकते हैं?
उत्तर: हां, बच्चे भी इन नामों का जाप कर सकते हैं। इससे उनकी बुद्धि और संस्कारों का विकास होता है।
प्रश्न 8: जाप के दौरान कौन सी सामग्री रखनी चाहिए?
उत्तर: दीपक, अगरबत्ती, फूल, फल और मिठाई रखकर जाप करना शुभ होता है। मां की तस्वीर या मूर्ति होना आवश्यक है।
प्रश्न 9: क्या रोग की अवस्था में जाप कर सकते हैं?
उत्तर: हां, रोग की अवस्था में भी मानसिक जाप कर सकते हैं। यह स्वास्थ्य सुधारने में सहायक होता है और मां की कृपा से जल्दी स्वस्थता मिलती है।
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