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Mahashivratri 2024 : महाशिवरात्रि 2024 तिथि, पूजा के लिए शुभ मुहूर्त समय, महाशिवरात्रि महत्व !

यहां महाशिवरात्रि 2024 पर व्यापक जानकारी हिंदी में प्राप्त करें, जहां आपको भगवान शिव को समर्पित इस प्रतिष्ठित हिंदू त्योहार के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी। Mahashivratri 2024 date and time in Hindi.

महाशिवरात्रि 2024, महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान शिव की आराधना और पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्व फाल्गुन मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में आती है। महाशिवरात्रि को ‘शिव की रात’ के रूप में भी जाना जाता है, और इसे भक्ति, उपवास, जागरण और ध्यान के माध्यम से मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि 2024

महाशिवरात्रि के दिन, भक्त सुबह से ही मंदिरों में जाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। वे शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, गन्ने का रस, बिल्व पत्र, धतूरा, भांग, चंदन और फूल अर्पित करते हैं। इन सामग्रियों से शिवलिंग का अभिषेक करने का महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व है, जो भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति और शांति प्रदान करता है।

महाशिवरात्रि की रात को जागरण करने की परंपरा है। भक्त रात भर जागकर भजन, कीर्तन, और शिव पुराण की कथाएँ सुनते और सुनाते हैं। इस दिन उपवास भी रखा जाता है, जिसे दूसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में पारण किया जाता है। यह उपवास भक्तों को आत्म-संयम, पवित्रता और आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाता है।

महाशिवरात्रि की कथा

महाशिवरात्रि के पर्व का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पहलू यह है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए, इसे शिव और शक्ति के मिलन के रूप में भी मनाया जाता है। भक्त इस दिन को शिव और शक्ति के प्रेम और समर्पण के प्रतीक के रूप में देखते हैं।

महाशिवरात्रि के पीछे कई मिथक और कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने हलाहल विष पान किया था, जिससे सम्पूर्ण सृष्टि की रक्षा हुई। इस कारण भगवान शिव को ‘नीलकंठ’ भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि के दिन इस घटना की भी याद की जाता है।

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महाशिवरात्रि व्रत

हिन्दू सनातन संस्कृति और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रासंगिक है। कथाओं के अनुसार फ़ाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह विधिपूर्वक हुआ  था। इस कारण महाशिवरात्रि के दिन को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है।

तो आइये जानते है महाशिवरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहर्त, भोग, सामग्री इत्यादि के बारे में।

महाशिवरात्रि 2024 दिन और समय ( Shivratri 2024 date and time in Hindi)

महा शिवरात्रि शुक्रवार, 8 मार्च 2024

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – शाम 06:25 बजे से रात 09:28 बजे तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – रात्रि 09:28 बजे से रात्रि 12:31 बजे तक, 09 मार्च
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 12:31 पूर्वाह्न से 03:34 पूर्वाह्न, 09 मार्च
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – प्रातः 03:34 से प्रातः 06:37 तक, 09 मार्च
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – 08 मार्च 2024 को रात्रि 09:57 बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 09 मार्च 2024 को शाम 06:17 बजे

निशीथ काल पूजा मुहूर्त: – 12:07 पूर्वाह्न से 12:56 पूर्वाह्न, 09 मार्च

अवधि:  0घंटे 49 मिनट।

महाशिवरात्रि पारण  मुहूर्त: प्रातः 06:37(am) बजे से अपराह्न 03:29(pm) बजे तक तक।

Note – If you wish to know, all about Shivratri in English then visit here Mahashiratri

महाशिवरात्रि 2024 पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन प्रातःकाल स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। आज के दिन शिवलिंग का बेलपत्र, आक, धतूरा, फूल, चावल आदि से श्रृंगार करना चाहिए। आज के दिन शिवपुराण और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ और जाप करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान् शिव जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इसके साथ रात्रिकाल में भी शिव जी की आरती और पूजा करनी चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन गलत कार्यों को करने से बचना चाहिए। क्रोध और अंहकार से दूर रहना चाहिए तथा दान आदि का कार्य करने से आप भगवान् महादेव की कृपा के अधिकारी हो जाते है।

महाशिवरात्रि व्रत का लाभ

महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा उपासना करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही है, या किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न हो रही है तो इस स्थिति में महाशिवरात्रि का व्रत विशेष फलदायी माना गया है। इस व्रत को करने से भगवान शिव का आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में निरंतर सुख, शांति और समृद्धि  बनी रहती है।

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से अशुभ ग्रह शांत होते हैं। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से कालसर्प दोष दूर होता है, इसके साथ चंद्रमा की अशुभता को भी दूर करने में मदद मिलती है। चंद्रमा के अशुभ होने से व्यक्ति को मानसिक तनाव होता है जिससे कार्य क्षमता प्रभावित होने लगती है। जिस कारण धनहानि की भी स्थिति बनने लगती है। वहीं दांपत्य जीवन से जुड़ी परेशानियां भी दूर होती हैं।

महाशिवरात्रि 2024 का महत्व

इस वर्ष महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024 (शुक्रवार) को है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना बड़े ही विधि-विधान से की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शंकर की कृपा से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। सनातन हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। जबकि दक्षिण भारतीय पंचांग (अमावस्यान्त पंचांग) के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पड़ती है।

शिवलिंग पूजा

शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है। शिव का अर्थ है – कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन। सृजनहार  के रूप में लिंग की पूजा होती है। संस्कृत भाषा में लिंग का अर्थ है प्रतीक, भगवान शिव अनंत काल के प्रतीक हैं। मान्यताओं के अनुसार, लिंग एक विशाल लौकिक अंडाशय है, जिसका अर्थ है ब्रह्माण्ड, इसे ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है।

महाशिवरात्रि 2024 की शुभकामनाएं

भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद आपको धार्मिकता और मुक्ति के मार्ग पर ले जाए। महा शिवरात्रि की शुभकामनाएँ!

भगवान शिव के शुभ आशीर्वाद से भरपूर महा शिवरात्रि की आपको शुभकामनाएं। आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण हो।

महा शिवरात्रि पर, क्या आप शिव के दिव्य प्रेम और आशीर्वाद से प्रभावित हो सकते हैं। ओम नमः शिवाय!

महाशिवरात्रि मनाएं और समृद्धि और सफलता के जीवन के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद लें।

महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं

महाशिवरात्रि पूजा शुभकामनाएँ हिंदी में 2024

शिव जी का विशेष मंत्र

ऊँ नम: शिवाय।।

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

महामृत्युंजय गायत्री मंत्र

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्‌।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्‌ ॐ स्वः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ ॥

शिव आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा.

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा. ॐ जय शिव…

एकानन चतुरानन पंचानन राजे.

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे. ॐ जय शिव…

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे,

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे. ॐ जय शिव…

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी.

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी. ॐ जय शिव…

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे.

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे. ॐ जय शिव…

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता.

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता. ॐ जय शिव…

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका.

प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका. ॐ जय शिव…

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी.

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी. ॐ जय शिव…

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे.

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे. ॐ जय शिव..

नोट: हमारे द्वारा उपरोक्त लेख में अगर आपको कोई त्रुटि दिखे या फिर लेख को बेहतर बनाने के आपके कुछ सुझाव है तो कृपया हमें कमेंट या फिर ईमेल के द्वारा बता सकते है हम आपके सुझावों को प्राथिमिकता के साथ उसे अपनाएंगे धन्यवाद !

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