करवा चौथ, एक प्रमुख हिंदू त्योहार, विवाहित जोड़ों के बीच प्रेम, भक्ति और स्थायी बंधन का एक सुंदर अवतार है। यह उपवास अनुष्ठान मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।यह त्यौहार दिवाली से ठीक नौ दिन पहले, कार्तिक माह के चौथे दिन पड़ता है। इस वर्ष 2023 में 1 नवंबर को करवा चौथ है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु हेतु व्रत रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व:
करवा चौथ विवाहित जोड़ों के सुखमय जीवन में बहुत महत्व रखता है। “करवा” शब्द गेहूं रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मिट्टी के बर्तन को संदर्भित करता है, जबकि “चौथ” चौथे दिन को दर्शाता है। इस त्यौहार का मुख्य उद्देश्य विवाहित महिलाओं के लिए अपने पतियों की भलाई और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करना, भोजन और पानी से परहेज करते हुए एक दिन का उपवास रखना है। इस उपवास अवधि सूर्योदय से चंद्रोदय तक चलती है, और यह धर्मपरायणता और प्रेम के दिन को दर्शाता है।
करवा चौथ व्रत में संध्या पूजन करने का विशेष महत्व है। इस दिन चन्द्रमा निकालने के बाद पत्नी पूजा और व्रत कथा का पाठ कर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद छलनी से चंद्रमा की तरफ से देखने के उपरांत पति का चेहरा देखती है। इसके बाद पत्नी अपने पति के हांथो से पानी पी कर व्रत का पारण करती है। व्रत पारण के बाद सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इस दिन 16 शृंगार करने का विशेष महत्व माना जाता है। करवा चौथ पर महिलाएं सुहाग से संबंधित चीजें पहनकर सज-धजकर करवा की पूजा और व्रत पारण करती हैं।
करवा चौथ क्यों मनाया जाता है ?
करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं. उसके बाद सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को पत्निया नवेली दुल्हन की तरह 16 श्रृंगार कर तैयार होकर पूजा करती है। मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव के लिए, द्रौपदी ने पांडवों के लिए करवा चौथ का व्रत किया था. करवा चौथ व्रत के प्रताप से स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती रहने के वरदान की प्राप्ति होती है। करवा माता उनके सुहाग की सदा रक्षा करती हैं और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
व्रत कथा अवश्य सुनें
करवा चौथ के दिन ‘करवा चौथ व्रत कथा’ सुनना अति आवश्यक होता है। इसके बिना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। यदि आप पहली बार ये उपवास कर रहीं है, तो सही दिशा में बैठकर कहानी सुने व विधिनुसार पूजा करें।
करवा चौथ का व्रत 2023
इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023 को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा की अहम भूमिका होती हैं क्योंकि चंद्रमा निकलने के बाद ही महिलाएं अपने व्रत को खोलती हैं। माना जाता है कि, ये व्रत रखने से वैवाहिक जीवन भी सुखमय होता है। करवा चौथ से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो इसे और खास बनाती हैं। साथ ही कुछ नियम भी हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। अगर आप पहली बार करवा चौथ का उपवास कर रहीं हैं, तो व्रत के सभी नियमों को जान लें। चलिए जानते हैं करवा चौथ के व्रत के सभी नियमों के बारे में।
करवा चौथ 2023 मुहूर्त
करवा चौथ 2023 मुहूर्त (Karwa Chauth 2023 Muhurat)
करवा चौथ के दिन स्त्रियां शाम को चौथ माता, करवा माता और गणपति की पूजा करती है और चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाता है.
करवा चौथ व्रत समय – सुबह 06:36 – रात 08:26
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – शाम 05.44 – रात 07.02 (1 नवंबर 2023)
चन्द्रमा निकलने का समय – रात 08:26 (1 नवंबर 2023)
चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 31 अक्टूबर 2023 को रात्रि 09:30 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – 01 नवंबर 2023 को रात्रि 09:19 बजे
करवा चौथ की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ!
आपके इस प्रेम भरे व्रत का परिणाम हमेशा आपके साथ रहे। करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ!
इस पवित्र व्रत के मौके पर, आपका प्रेम हमेशा मजबूत और दीर्घाऊ रहे।
करवा चौथ के यह महत्वपूर्ण दिन आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करें, और आपके प्रेम में खुशियाँ बरसाएं।
करवा चौथ की आपको और आपके परिवार को सदैव सुखी, स्वस्थ, और समृद्ध जीवन की मंगलकामनाएँ!
करवा चौथ की आपको और आपके परिवार को लम्बी और स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएँ!
धन्य है वो देवी जो पति सुख हेतु व्रत पावें,
धन्य है वो पति जो देवी रूप पत्नी पावें,
धन्य है वो स्वरुप जो मनुष्यता का दीप जलावें।
करवा चौथ आरती
॥ आरती अहोई माता की ॥
जय अहोई माता,जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावतहर विष्णु विधाता॥
जय अहोई माता…॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमलातू ही है जगमाता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावतनारद ऋषि गाता॥
जय अहोई माता…॥
माता रूप निरंजनसुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावतनित मंगल पाता॥
जय अहोई माता…॥
तू ही पाताल बसंती,तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशकजगनिधि से त्राता॥
जय अहोई माता…॥
जिस घर थारो वासावाहि में गुण आता।
कर न सके सोई कर लेमन नहीं धड़काता॥
जय अहोई माता…॥
तुम बिन सुख न होवेन कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभवतुम बिन नहीं आता॥
जय अहोई माता…॥
शुभ गुण सुंदर युक्ताक्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकूकोई नहीं पाता॥
जय अहोई माता…॥
श्री अहोई माँ की आरतीजो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजेपाप उतर जाता॥
जय अहोई माता…॥
Note – If you wish to know, all about Navratri Days in English then visit here Karwa Chauth Vrat 2023
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। Publicreact.in इसकी पुष्टि नहीं करता है।)