होली त्यौहार 2022
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली मुख्यता रंगो से भरा हँसी-खुशी का त्योहार है। इस उत्सव की विशेषता ही इसे अत्यधिक आकर्षक और सामाजिक बनता है जिससे यह भारतीय उत्सव आज विश्वभर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने लगा है। रंगों का यह त्यौहार पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका दहन (जलायी) की जाती है, दूसरे दिन, जिसे मुख्यता धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाते है, ढोल बजा कर होली के गीत, फाग (होली के गीत) गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाकर अपनी आपसी कटुता को दूर करने की कोशिश करते है जिससे समाज के अंदर एक सौहार्द व्याप्त हो सके। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दिन के मध्यांतर तक मुख्यता चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयां खिलाकर होली की मंगल शुभकानायें देते हैं।
तो आइये जानते है होली और होलिका दहन की शुभ मुहूर्त और तारीख इत्यादि के बारे में।
होली 2022 शुभ मुहूर्त
29 मार्च, 2021 (सोमवार)
होलिका दहन रविवार, मार्च 28, 2021 को
होलिका दहन मुहूर्त – 18:37 से 20:56
अवधि – 02 घण्टे 20 मिनट्स
रंगवाली होली सोमवार , मार्च 29, 2021
होलिका दहन प्रदोष के दौरान उदय व्यापिनी पूर्णिमा के साथ
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे
होली त्यौहार मनाने के कारण
पहला – वैसे तो होली का त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में इसे अधिक उत्साह से मनाया जाता है। होली का उत्सव देखने के लिए लोग भारत के उत्तर में स्तिथ एक प्रसद्धि स्थान जो मथुरा के पास ब्रज, वृन्दावन, गोकुल जैसे स्थानों पर जाते है। इन जगहों पर होली त्यौहार बड़ी ही उत्सुकता के साथ कई दिनों तक मनाया जाता हैं।
ब्रज में ऐसी प्रथा है, जिसमे पुरुष महिलाओं पर रंग डालते है और महिलाए उन्हें डंडे से मारती है, यह एक बहुत ही प्रसिद्ध प्रथा है, जिसे देखने लोग यहाँ आते है।
इनमे से कई स्थानों पर फूलों की होली भी मनाई जाती है और गाने बजाने के साथ सभी एक दुसरे से बड़े हर्षोउल्लास से मिलते है।
रंगो के इस त्यौहार को “फाल्गुन महोत्सव” भी कहा जाता है, इसमें पुराने गीतों को ब्रज की भाषा में गाया जाता है।
दूसरा – शास्त्रों के अनुसार इस दिन होली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथा दी गई है। लेकिन इनमे से सबसे ज्यादा प्रचलित भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी है। कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है।
कथा के अनुसार दैत्य हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, परन्तु यह बात हिरण्यकश्यप को बहुत ही चुभती थी, बालक भक्त प्रह्लाद को भगवान कि भक्ति से दूर करने के उसने कई कठोर प्रयास किये पर भक्त प्रहलाद पर भगवन विष्णु की असीम कृपा के होने की वज़ह से हिरण्यकश्यप का अपने पुत्र को मारने में हर प्रयत्न में उसे पराजय का ही सामना करना पड़ा अंत में बालक को मारने का दायित्व हिरण्यकशिपु ने अपनी प्रिय बहन होलिका को सौंपा जिसके पास एक अद्भुत वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को कभी भी जला नहीं सकेगी।
अपने इसी वरदान के आधार पर होलिका भक्त प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से बालक प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट होकर बैठ गयी, परन्तु प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान विष्णु की कृपा के फलस्वरूप होलिका स्वयं ही आग में जल गई। दहकती अग्नि में बालक प्रह्लाद के शरीर को तनिक भी क्षति नहीं पहुंची। इसलिए होली का यह प्रसद्धि त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में आदर और आस्था के आधार पर मनाया जाता है।
होली मनाने से लाभ
होली का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ-साथ भगवान् कृष्णा और राधा के प्रेम के रूप में भी मनाया जाता है। इस उत्सव के माध्यम से लोगो के बीच आपसी मदभेदों को भूलकर एक बेहतर समाज और सामाजिक जीवन को व्यतीत करने में सहायता मिलती है। आज कल मनुष्य के अंदर अत्यधिक क्रोध और स्वालम्बी होने जैसे अत्यधिक भावनाएं व्याप्त होती जा रही है जिससे वो सामाज को अपने से दूर करता जा रहा है। जिससे सामाज के अंदर कई बुराइयां जन्म ले रही है। होली के माध्यम से व्यक्ति क्रोध और स्वालम्बी होने की इच्छाओ को त्याग कर सामाज के साथ घुल मिलकर रहने का तरीका प्राप्त कर लेता है।
होली में अपने और अपनों का रखे ध्यान
- होली रंगो का त्यौहार है, बीते हुए समय में होली को लोग अक्सर फूलो और प्राकृतिक रंगो से मनाते थे पर आजकल रंगो को और भी अधिक आकर्षक बनाने के लिए इनमे अत्यधिक अप्राकृतिक वस्तुओं के मिलावट होने के कारण आपको अपनी त्वचा और आपकी सेहत को कई नुकसान का सामना करना पड़ता सकता है इसलिए कोशिश करे की आप प्राकृतिक रंगो, गुलाल से होली के उत्सव को मनाये जिससे आप भी स्वस्थ रहे और दूसरो को भी स्वस्थ रखे।
- कहते है होली के दिन खुशियों में और भी अधिक वृद्धि करना है तो भांग का पान करे पर आपको नशीले पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए।
- गलत और अप्राकृतिक रंगो के प्रयोग से बचे और दूसरो को भी बचाये इससे आँखों की बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है।
- मिलावट के व्यंजन के सेवन से अपने आपको, अपने परिवार और सामाज को बचाये।
- इस बात का ख्याल रखे की अगर कोई व्यक्ति मना कर रहा है की उसे रंग मत लगाओ तो ऐसा करने से होली के इस उत्सव में और अभी अधिक चमक बिखरेगी क्योंकि हो सकता है की आपके गलत तरीके से रंग लगाने से उसे आप पर गुस्सा आये और आपकी मित्रता में दरार आ जाये। अगर ऐसा हुआ तो इस पवित्र उत्सव की अहवेलना होगी क्योंकि ये उत्सव तो मनाया ही इस लिए जाता की समाज में प्रेम और मित्रता को और भी अधिक मजबूत किया जा सके।
नोट – जैसा की आप सभी जानते है की पूरा विश्व कोरोना रूपी महामारी से घिरा हुआ है। और ये बीमारी मनुष्य से मनुष्य के संपर्क द्वारा फैलती है, अभी पूरी तरह से इस महामारी से हम निकले नहीं है तो याद रखे की सरकार की गाइडलाइन के अनुसार होली के इस त्यौहार को मनाये और अपने समाज, अपनों को और अपने आपको इस बीमारी से सुरक्षित रखे।
मास्क का उपयोग करे, भीड़- भाड़ वाली जगह पर जाने से बचे, निरंतर हांथो को साबुन से धोते रहे।
होली की हार्दिक शुभकामनाये!
होली की शुभकामनाएं हिंदी में
आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें।
होली के शुभ अवसर पर आपको रंगभरी शुभकामनाएं।
होली के इस अवसर पर आप रंगो के साथ अपने प्रेम का रंग भी बिखेरिये।
आपको ये दुनिया ओर भी रंगीन और खूबसूरत नजर आएगी।
होली की हार्दिक शुभकामनाये
प्रकृति का हर रंग आप पर बरसे, हर कोई आपसे होली खेलने को तरसे
रंग दे आपको सब मिलकर इतना , कि वह रंग उतरने को तरसे , बुरा न मनो होली है।
होली का रंग, अपनों का संग, डालों ऐसा रंग, मच जाए हुड़दंग,
आपको होली की शुभकामनायें इस मैसेज के संग।
बुरा न मनो होली है।