भारत की आध्यात्मिक परंपराएँ केवल रीति-रिवाजों का समायोजन नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाले शाश्वत संदेश हैं। हरतालिका तीज भी ऐसा ही एक पावन पर्व है, जो नारी के धैर्य, समर्पण और अटूट विश्वास का प्रतीक है। तो आइये जानते है इस पवन पर्व के बारे में विस्तार से।
भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में जितनी विविधता और गहराई है, उतना ही गहन है उसका आध्यात्मिक आधार। प्रत्येक उत्सव केवल रीति-रिवाज का प्रतीक नहीं होता, बल्कि उसके पीछे जीवन दर्शन, आस्था और प्रेरणा छुपी होती है। ऐसा ही एक पवित्र और महत्त्वपूर्ण व्रत है हरतालिका तीज, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत की महिलाएं अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाती हैं।
- हरतालिका तीज का अर्थ और नाम की उत्पत्ति
- पौराणिक कथा और आध्यात्मिक महत्व
- हरतालिका तीज की कथा (पौराणिक कहानी)
- व्रत और पूजा की विधि
- हरतालिका तीज 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- हरतालिका तीज का सामाजिक और सांस्कृतिक रूप
- हरतालिका तीज का महत्त्व आधुनिक जीवन में
- हरतालिका तीज और नारी शक्ति
- कैसे और कहाँ मनाया जाता है?
- पूजा करने के बाद आरती करना क्यों जरुरी है
- माता पार्वती की आरती 🙏
- भगवान शिव जी की आरती 🙏
- हरतालिका तीज की 10 शुभकामनाएं
- हरतालिका तीज की शुभकामनाएं स्टेटस
- हरतालिका तीज से जुड़े सामान्य प्रश्न : (FAQ)
हरतालिका तीज का अर्थ और नाम की उत्पत्ति
‘हरतालिका’ शब्द का अर्थ ही अपने अंदर एक कथा समेटे हुए है।
- ‘हर’ का मतलब है अपहरण करना।
- ‘आलिका’ का अर्थ है सहेली।
कथाओं के अनुसार जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने का दृढ़ निश्चय किया, तब उनके पिता ने उनका विवाह किसी अन्य से तय कर दिया। उस समय पार्वती जी की सहेलियों ने उन्हें उस विवाह से बचाने के लिए जंगल ले जाकर छिपा दिया और वहां माता पार्वती भगवान् शिव की कठोर तपस्या करने लगीं। इस घटना की स्मृति में इस पर्व का नाम पड़ा हरतालिका तीज।
पौराणिक कथा और आध्यात्मिक महत्व
हरतालिका तीज की जड़ें भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य प्रेम में निहित हैं। पुराणों में वर्णित है कि पार्वती जी ने अनेक जन्मों तक कठोर तपस्या की और अंततः कई वर्षो के तप के बाद भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।
हरतालिका तीज की कथा (पौराणिक कहानी)
बहुत समय पहले हिमालय राज की पुत्री पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने का निश्चय किया। किंतु उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से करने का विचार कर लिया। पार्वती जी का हृदय केवल शिवजी के लिए समर्पित था।

जब विवाह की तैयारी होने लगी तो पार्वती जी अत्यंत व्याकुल हो उठीं। उन्होंने अपनी सखियों से कहा—
“मेरा मन, मेरी आत्मा, मेरी भक्ति केवल शिवजी के लिए है। मैं किसी अन्य से विवाह नहीं कर सकती।”
उनकी सहेलियों ने उन्हें समझाया और कहा—
“यदि तुम्हारा प्रण अटल है, तो हम तुम्हें इस विवाह से बचाएँगी। आओ, चलो जंगल में। वहाँ तपस्या करो, शिवजी अवश्य प्रसन्न होंगे।”
सखियाँ पार्वती जी को लेकर हिमालय की एक गुफा में चली गईं। वहाँ पार्वती जी ने कठोर तपस्या शुरू की—
न जल पिया, न अन्न ग्रहण किया, केवल शिवजी का ध्यान करती रहीं, दिन बीतते गए, ऋतुएँ बदलती रहीं। उनके शरीर पर धूल और पत्ते जमा हो गए, किंतु उनका मन अडिग रहा।
उनकी तपस्या और अटूट प्रेम से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और बोले “देवि, तुम्हारी साधना और समर्पण ने मुझे जीत लिया है। आज से तुम मेरी अर्धांगिनी हो।” इस प्रकार माता पार्वती को उनका मनचाहा वर मिला। उसी दिन को स्मरण करते हुए हरतालिका तीज व्रत का आरंभ हुआ।
इस व्रत का सबसे बड़ा संदेश है
सच्चे प्रेम और अटूट विश्वास से ईश्वर भी प्रसन्न होते हैं।
त्याग और तपस्या ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
माता पार्वती का यह व्रत स्त्रियों के लिए प्रेरणा है कि कठिनाइयों के बावजूद धैर्य और समर्पण से वे अपने जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त कर सकती हैं।
व्रत और पूजा की विधि
हरतालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जल और निराहार व्रत रखती हैं। यह व्रत अत्यंत कठोर माना जाता है क्योंकि इसमें न भोजन किया जाता है और न ही जल ग्रहण किया जाता है।

हरतालिका तीज 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि:
हरतालिका तीज 2025 को मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा
तिथि की अवधि (तिथि अवधि):
तृतीया तिथि शुरू होगी 25 अगस्त 2025 शाम 12:34 बजे से और समाप्त होगी 26 अगस्त 2025 दोपहर 1:54 बजे तक
शुभ मुहूर्त — प्रातःकाल पूजा:
सुबह का मुहूर्त (प्रातःकाल पूजा) — 5:56 बजे से 8:31 बजे (लगभग 2 घंटे 35 मिनट) तक।
कुछ अन्य पंचांगों में यह समय 6:00 AM से 8:45 AM तक भी दर्शाया गया है ।
किसी स्रोत में थोड़ा अलग मुहूर्त (जैसे 6:06 AM से 8:36 AM) भी उल्लिखित है, जो क्षेत्र विशेष के हिसाब से हो सकता है।
पूजा विधि इस प्रकार है:
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, सामान्यत: हरे रंग के कपड़े शुभ माने जाते हैं।
- मिट्टी या बालू से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाकर उन्हें सुहाग की सामग्री से सजाया जाता है।
- बेलपत्र, धतूरा, चंदन, पुष्प, फल और विशेष पकवान अर्पित किए जाते हैं।
- महिलाएं तीज माता की कथा सुनती हैं और गीत-भजन गाकर पूरी रात जागरण करती हैं।
- अगले दिन व्रत का पारायण कर दान-पुण्य किया जाता है।
इस व्रत का पालन करने से माना जाता है कि स्त्रियों को अखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु और दाम्पत्य सुख की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज का सामाजिक और सांस्कृतिक रूप
हरतालिका तीज केवल व्रत और पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक उत्सव भी है। इस दिन विवाहित और अविवाहित महिलाएं एकत्रित होकर मेहंदी लगाती हैं, झूले झूलती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं।
हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और सुहाग की सजावट नारी जीवन की समृद्धि और मंगलकामना का प्रतीक है।
तीज के गीत और भजन पूरे वातावरण को भक्ति और आनंद से सराबोर कर देते हैं।
यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी स्त्रियों के आपसी प्रेम और सहयोग का उत्सव है।
हरतालिका तीज का महत्त्व आधुनिक जीवन में
समय बदलता है, जीवनशैली बदलती है, लेकिन पर्व और व्रत का आध्यात्मिक संदेश कभी नहीं बदलता। आज की व्यस्त और भौतिकतावादी दुनिया में भी हरतालिका तीज का पर्व हमें गहरे जीवन मूल्य याद दिलाता है।
संकल्प और धैर्य की प्रेरणा
माता पार्वती की तरह, आज की नारी भी अपने सपनों और लक्ष्यों को धैर्य और आत्मविश्वास से प्राप्त कर सकती है।
वैवाहिक संबंधों में संतुलन
यह व्रत पति-पत्नी के बीच विश्वास, समर्पण और प्रेम की नींव को मजबूत करता है, जो आधुनिक रिश्तों में अत्यंत आवश्यक है।
आध्यात्मिक शांति
व्रत और पूजा के दौरान मिलने वाली मानसिक शांति और ध्यान आज की तनावपूर्ण जीवनशैली के लिए एक वरदान है।
नारी शक्ति का उत्सव
यह पर्व बताता है कि नारी केवल परिवार की आधारशिला ही नहीं, बल्कि त्याग, प्रेम और शक्ति की मूर्ति भी है।
सामाजिक जुड़ाव
सामूहिक पूजा, गीत-भजन और उत्सव समाज में आपसी सहयोग और अपनत्व की भावना को जीवित रखते हैं।
हरतालिका तीज आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी हजारों साल पहले थी। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि भले ही समय बदल जाए, लेकिन आस्था, विश्वास और प्रेम की शक्ति अमर रहती है।
हरतालिका तीज और नारी शक्ति
यह पर्व नारी शक्ति का भी प्रतीक है। माता पार्वती ने यह सिद्ध कर दिया कि स्त्री केवल कोमलता की प्रतिमूर्ति नहीं, बल्कि वह धैर्य, संकल्प और तपस्या की शक्ति भी है। आज की नारी के लिए यह त्योहार प्रेरणा है कि यदि वह दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े, तो जीवन की हर बाधा पार कर सकती है।
कैसे और कहाँ मनाया जाता है?
- उत्तर भारत (राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार) में इसका विशेष महत्व है।
- मंदिरों में इस दिन विशेष सजावट और रात्रि जागरण होते हैं।
- ग्रामीण इलाकों में महिलाएं सामूहिक रूप से पूजा और झूला-मेले का आयोजन करती हैं।
हरतालिका तीज केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह स्त्री के आत्मबल, विश्वास और प्रेम का उत्सव है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों न आए, समर्पण, आस्था और धैर्य से हर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
पूजा करने के बाद आरती करना क्यों जरुरी है
पूजा करने के बाद आरती करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। आरती से पूजा पूर्ण होती है और ईश्वर की उपासना का समापन मंगलमय ढंग से किया जाता है। दीपक की ज्योति और घंटी की ध्वनि वातावरण को पवित्र बनाते हैं और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। माना जाता है कि आरती से भगवान प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। यह भक्त और ईश्वर के बीच प्रेम व समर्पण की अंतिम अभिव्यक्ति है। तो आइये हरतालिका तीज के व्रत की पूजा के बाद पहले माता पारवती की फिर भगवान शिव की आरती करे जिससे हमारी पूजा फलति संपन्न हो।
माता पार्वती की आरती 🙏
जय पार्वती माता जय पार्वती माता, ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।, अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।, जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा, देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता, हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता, सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।, सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।, जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
देवन अरज करत हम चित को लाता, गावत दे दे ताली मन में रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता, सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।
जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।
भगवान शिव जी की आरती 🙏
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
हरतालिका तीज की 10 शुभकामनाएं
- हरतालिका तीज की अनंत शुभकामनाएँ
- इस हरतालिका तीज पर माता पार्वती आपके जीवन को अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि से भर दें।
- शिव-पार्वती के मिलन की पावन घड़ी में आपके जीवन में प्रेम और शांति का वास हो।
- हरतालिका तीज आपके रिश्तों में अटूट विश्वास और दाम्पत्य जीवन में मधुरता लाए।
- तीज का यह पावन पर्व आपके जीवन को हरे-भरे सौभाग्य और खुशियों से सराबोर कर दे।

- माता पार्वती का आशीर्वाद आपके जीवन में धैर्य, प्रेम और शक्ति का संचार करे।
- हरतालिका तीज का व्रत आपके परिवार में सुख-समृद्धि और मंगलमय जीवन का कारण बने।
- इस तीज पर शिव-पार्वती का आशीर्वाद पाकर आपके जीवन से हर संकट दूर हो।
- हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ — आपके वैवाहिक जीवन में प्रेम, विश्वास और सद्भाव बना रहे।
- माता पार्वती की भक्ति आपके जीवन को सफलता और सौभाग्य से आलोकित करे।
हरतालिका तीज की शुभकामनाएं स्टेटस
- इस पावन अवसर पर आपके घर-आंगन में सुख, शांति और आनंद का दीप प्रज्वलित हो।
- हरतालिका तीज का पर्व आपके लिए नई ऊर्जा, आस्था और सकारात्मकता लेकर आए।
- शिव-पार्वती के दिव्य आशीर्वाद से आपके जीवन में अनंत खुशियाँ और अखंड सौभाग्य स्थायी हो।
- हरतालिका तीज आपके जीवन में प्रेम, त्याग और समर्पण का दिव्य संदेश जगाए।
- तीज के इस पावन पर्व पर आपके घर में सदा मंगल और आनंद का वास हो।
हरतालिका तीज से जुड़े सामान्य प्रश्न : (FAQ)
हरतालिका तीज कब मनाई जाती है?
हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
हरतालिका तीज का नाम कैसे पड़ा?
‘हरतालिका’ शब्द दो शब्दों से बना है – ‘हर’ जिसका अर्थ है अपहरण करना और ‘आलिका’ जिसका अर्थ है सहेली। कथा के अनुसार पार्वती जी की सहेलियों ने उन्हें विवाह से बचाने के लिए जंगल ले जाकर छिपाया था।
हरतालिका तीज का पौराणिक महत्व क्या है?
इस व्रत का संबंध माता पार्वती और भगवान शिव के दिव्य मिलन से है। माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके शिवजी को पति रूप में प्राप्त किया। यही कथा इस व्रत का मूल आधार है।
हरतालिका तीज की व्रत विधि क्या है?
इस दिन महिलाएँ निर्जल व्रत रखती हैं, शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर उनका विवाह रचाती हैं, सुहाग की सामग्री चढ़ाती हैं और कथा श्रवण करती हैं। रातभर जागरण भी इसका हिस्सा है।
हरतालिका तीज का महत्त्व अविवाहित कन्याओं के लिए क्या है?
अविवाहित कन्याएँ यह व्रत मनचाहा और योग्य वर प्राप्त करने के लिए करती हैं। माना जाता है कि जैसे माता पार्वती को शिवजी मिले, वैसे ही उन्हें भी योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
क्या हरतालिका तीज व्रत आधुनिक जीवन में भी प्रासंगिक है?
जी हाँ, यह पर्व आज भी स्त्रियों को धैर्य, विश्वास और समर्पण की प्रेरणा देता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में प्रेम और संतुलन बनाए रखने का संदेश भी देता है।
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