गणेश चतुर्थी भारतीय सनातन संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है जो विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह दस दिवसीय उत्सव न केवल धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है, बल्कि सामुदायिक एकता, सांस्कृतिक संरक्षण और पर्यावरण चेतना का भी संदेश देता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक चलने वाला यह पावन पर्व देश भर में अपार श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
तो आइये जानते है गणेश चतुर्थी के बारे में विस्तार से इस लेख में।
- गणेश चतुर्थी: भगवान गणपति का पावन पर्व
- भगवान गणेश का महत्व
- पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व
- गणेश चतुर्थी का इतिहास और राष्ट्रीय आंदोलन
- गणेश चतुर्थी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
- गणपति स्थापना की विधि
- मोदक: गणपति का प्रिय प्रसाद
- श्री गणेशजी की आरती ॥
- गणपती आरती सुखकर्ता दुःखहर्ता – जय देव जय देव ||
- गणेश विसर्जन: भावनात्मक विदाई
- संदेश और भविष्य की दिशा
- गणेश चतुर्थी से जुड़े प्रश्न (FAQ)
- गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं
- छोटे और सरल गणेश चतुर्थी शुभकामना संदेश
गणेश चतुर्थी: भगवान गणपति का पावन पर्व
गणेश चतुर्थी सनातन हिंदू धर्म का एक प्रमुख और सर्वाधिक लोकप्रिय पर्व है। इसे विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और बुद्धिदाता भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भारत ही नहीं, बल्कि विश्वभर में गणेश भक्त इस दिन अत्यंत श्रद्धा और उत्साह से बप्पा की आराधना करते हैं।
भगवान गणेश का महत्व
भगवान गणेश को सकल विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य या पूजा की शुरुआत बिना गणपति आरती या वंदना के संपन्न नहीं होती। उन्हें बुद्धि, विवेक, समृद्धि और सफलता का देवता माना जाता है।
पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व
भगवान श्री गणेश का जन्म
पुराणों के अनुसार, माता पार्वती ने स्नान के समय अपनी सुरक्षा हेतु हल्दी के लेप से एक बालक का निर्माण किया था। जब भगवान शिव घर लौटे और उस बालक ने उन्हें भीतर जाने से रोका, तो क्रोधित होकर शिव ने उसका सिर काट दिया। पार्वती के दुख को देखकर शिव ने उस बालक के धड़ पर हाथी का सिर लगाकर उसे जीवनदान दिया और उसे सर्वप्रथम पूज्य होने का वरदान दिया।
आध्यात्मिक संदेश
गणेश का हाथी सिर बुद्धि और विवेक का प्रतीक है, जबकि उनका विशाल उदर सभी अनुभवों को पचाने की क्षमता दर्शाता है। उनकी सूंड लचीलेपन और अनुकूलनशीलता का संकेत देती है। इस प्रकार भगवान् श्री गणेश जी जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक गुणों के देवता हैं।
गणेश चतुर्थी का इतिहास और राष्ट्रीय आंदोलन
छत्रपति शिवाजी महाराज का योगदान
गणेश उत्सव का सार्वजनिक उत्सव मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज के काल से प्रारंभ हुआ। 17वीं शताब्दी में शिवाजी ने इस पर्व को समुदायिक एकता और हिंदू संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रोत्साहित किया।
लोकमान्य तिलक का क्रांतिकारी योगदान
1893 में बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी को स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रभावी माध्यम बनाया। ब्रिटिश शासन के दौरान जब राजनीतिक सभाएं प्रतिबंधित थीं, तिलक ने धार्मिक उत्सव के रूप में लोगों को एकजुट करने का मार्ग खोजा। उन्होंने निजी पारिवारिक पूजा को भव्य सार्वजनिक समारोह में रूपांतरित कर दिया।
गणेश चतुर्थी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: 27 अगस्त 2025, बुधवार
- चतुर्थी प्रारंभ: सुबह 11:02 बजे (26 अगस्त)
- चतुर्थी समाप्त: दोपहर 01:45 बजे (27 अगस्त)
- मूर्ति स्थापना का शुभ समय: प्रातः 09:00 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर या पंडाल में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- कलश स्थापना और गणपति का आवाहन करें।
- धूप, दीप, मोदक, दूर्वा और लाल फूल अर्पित करें।
- गणेश अथर्वशीर्ष, गणपति स्तोत्र या मंत्रों का जाप करें।
- अंत में आरती कर प्रसाद वितरित करें।

गणपति स्थापना की विधि
गणेश प्रतिमा की स्थापना के लिए सर्वप्रथम शुद्धीकरण करना आवश्यक है। हाथ में कुश और जल लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
आवाहन और प्राण-प्रतिष्ठा
मूर्ति की स्थापना के पश्चात निम्न आवाहन मंत्र का जाप करें:
“ॐ गं गणपतये इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव।”
षोडशोपचार पूजा
गणेश पूजा में सोलह उपचार शामिल हैं जिनमें पाद्य, अर्घ्य, स्नान, वस्त्र, चंदन, सिंदूर, दूर्वा, बिल्वपत्र, पुष्प, नैवेद्य, आचमन, पान-सुपारी और आरती सम्मिलित हैं।
व्रत विधान
गणेश चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होता है और चंद्रदर्शन तक चलता है। इस दिन उपवास करके केवल फलाहार या सात्विक भोजन करना शुभ माना जाता है।
मोदक: गणपति का प्रिय प्रसाद
उकडीचे मोदक की पारंपरिक विधि
महाराष्ट्र की पारंपरिक उकडीचे मोदक गणेश जी का सर्वप्रिय भोग माना जाता है। इसकी सामग्री में शामिल है:
- चावल का आटा – 1 कप
- कद्दूकस किया नारियल – 1 कप
- गुड़ – ¾ कप
- घी – 1 बड़ा चमच
- इलायची पाउडर – ½ चमच
- पानी – 1 कप
विविध प्रकार के मोदक
गणेश चतुर्थी पर पांच प्रकार के मोदक बनाए जा सकते हैं:
- मावा मोदक – मिल्कमेड और इलायची के साथ
- रागी मोदक – कैल्शियम और आयरन से भरपूर
- गुड़ नारियल मोदक – प्राकृतिक मिठास के साथ
- चॉकलेट मोदक – आधुनिक स्वाद के लिए
- मेवा मोदक – पोषक तत्वों से युक्त
श्री गणेशजी की आरती ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे,मूसे की सवारी॥
पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा। हार चढ़े, फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
अँधे को आँख देत, कोढ़िन को काया। बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी। कामना को पूर्ण करो,जग बलिहारी॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
गणपती आरती सुखकर्ता दुःखहर्ता – जय देव जय देव ||
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची |
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची |
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची |
कंठी झरके माल मुक्ताफळाची ॥ १ ॥ जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ||
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा |
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा |
हिरे जडित मुकुट शोभतो बरा |
रुणझुणती नुपुरे चरणी घागरिया ॥ 2 ॥
लंबोदर पितांबर फनी वरवंदना |
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना |
दास रामाचा वाट पाहे सदना |
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवंदना |
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥ ३ ॥
गणेश विसर्जन: भावनात्मक विदाई
अनंत चतुर्दशी और विसर्जन
गणेश विसर्जन का पर्व 6 सितंबर 2025, शनिवार को अनंत चतुर्दशी के दिन मनाया जाएगा। इस दिन “गणपति बप्पा मोरया, पुधच्या वर्षी लवकर या” के उद्घोष के साथ विघ्नहर्ता की भव्य विदाई होती है।
विसर्जन का आध्यात्मिक अर्थ
गणेश विसर्जन जीवन की अनित्यता और चक्रीय प्रकृति का प्रतीक है। यह सिखाता है कि सभी रूप अस्थायी हैं और आत्मा का पुनर्मिलन परम सत्य के साथ होता रहता है।
विसर्जन की विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन से पूर्व गणेश जी को दूर्वा, मोदक, लड्डू, सिंदूर, फल आदि अर्पित करके निम्न मंत्र का जाप करें:
“ॐ गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ, स्वस्थाने परमेश्वर। यत्र ब्रह्मादयो देवाः, तत्र गच्छ हुताशन।।”

गणेश चतुर्थी का सांस्कृतिक महत्व
कलात्मक अभिव्यक्ति
इस पर्व के दौरान मूर्तिकला, पंडाल सज्जा, संगीत, नृत्य और नाटक जैसी विविध कलाओं का प्रदर्शन होता है। यह भारतीय कलाओं को जीवंत रखने का माध्यम है।
आर्थिक प्रभाव
गणेशोत्सव मूर्तिकारों, सजावट कारीगरों, फूल विक्रेताओं और मिठाई निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर प्रदान करता है। यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देता है।
सामाजिक एकजुटता
यह पर्व जाति, धर्म और सामाजिक स्तर की बाधाओं को पार करके समुदायिक एकता स्थापित करता है। सर्वजनिक गणेशोत्सव में सभी वर्गों की समान सहभागिता होती है।
चंद्र दर्शन का निषेध
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन वर्जित माना जाता है। इस दिन चंद्रमा देखने से कलंक का भय रहता है। वर्ष 2025 में वर्जित चंद्र दर्शन का समय 26 अगस्त दोपहर 1:54 से रात 8:29 तक और 27 अगस्त सुबह 9:28 से रात 8:57 तक है।
संदेश और भविष्य की दिशा
गणेश चतुर्थी का संदेश समकालीन समय में अत्यंत प्रासंगिक है। यह पर्व सिखाता है कि सामूहिक श्रद्धा, पर्यावरण चेतना और सांस्कृतिक गौरव के माध्यम से समाज की हर चुनौती का समाधान संभव है। विघ्नहर्ता गणेश का आशीर्वाद केवल व्यक्तिगत बाधाओं के निवारण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामुदायिक कल्याण और राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है।
आगामी वर्षों में गणेशोत्सव का स्वरूप और भी अधिक पर्यावरण-अनुकूल, समावेशी और शिक्षाप्रद बनेगा। नई पीढ़ी डिजिटल माध्यमों के साथ पारंपरिक मूल्यों का संयोजन करके इस महान परंपरा को आगे बढ़ाएगी।
“गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया” का यह उद्घोष केवल एक धार्मिक अभिवादन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की अमर आत्मा का प्रतिध्वनि है जो युगों-युगों तक गूंजती रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।
गणेश चतुर्थी से जुड़े प्रश्न (FAQ)
1. गणेश चतुर्थी 2025 कब है?
27 अगस्त 2025, बुधवार को।
2. गणेश चतुर्थी पर क्या व्रत रखा जाता है?
भक्त फलाहार या निर्जल व्रत रखते हैं और दिनभर भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
3. गणेश चतुर्थी का सबसे बड़ा उत्सव कहाँ होता है?
महाराष्ट्र, विशेषकर मुंबई और पुणे में।
4. गणेश चतुर्थी कितने दिनों तक मनाई जाती है?
आमतौर पर 10 दिनों तक, अनंत चतुर्दशी तक।
5. गणपति को कौन सा प्रसाद सबसे प्रिय है?
मोदक और दूर्वा/दूब।
गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं
- इस गणेश चतुर्थी पर आपका घर-आँगन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाए। श्री गणेश जी की कृपा से आपके जीवन की हर कठिनाई दूर हो, हर कार्य सफल हो और हर दिन मंगलमय हो। गणपति बप्पा मोरया!
- गणेश जी का पावन आगमन आपके जीवन में नए उत्साह, नई उमंग और नई ऊर्जा लेकर आए। इस गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता आपके सभी दुख, संकट और विघ्नों का नाश करें और जीवन को खुशियों और सफलता से भर दें। गणपति बप्पा मोरया!
- भगवान श्री गणेश जी के पावन चरणों में शीश नवाकर हम सभी उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। हे बप्पा! इस गणेश चतुर्थी पर आपके भक्तों के जीवन में सद्बुद्धि, स्वास्थ्य, धन, ज्ञान और ऐश्वर्य की वर्षा करें।
- गणेश चतुर्थी का यह पर्व हमें सिखाता है कि हर शुरुआत श्री गणेश के नाम से करनी चाहिए। इस शुभ अवसर पर भगवान श्री गणेश आपके जीवन से अज्ञान का अंधकार दूर कर ज्ञान और भक्ति का प्रकाश फैलाएँ।
- गणपति बप्पा के आगमन से आपका जीवन मंगलमय हो, परिवार में खुशहाली और घर में सुख-समृद्धि का वास हो। विघ्नहर्ता आपके सभी मार्गदर्शन बनें और जीवन की हर यात्रा को सरल और सफल बनाएँ। गणपति बप्पा मोरया!
- गणेश चतुर्थी के इस पावन पर्व पर प्रभु गणेश आपको वह शक्ति दें जिससे आप हर कठिनाई का सामना कर सकें, वह बुद्धि दें जिससे आप सही मार्ग चुन सकें और वह भक्ति दें जिससे जीवन सदा आनंदमय और प्रकाशमय बना रहे।
- गणेश चतुर्थी का पर्व केवल उत्सव नहीं बल्कि आध्यात्मिक साधना का प्रतीक है। इस दिन बप्पा का आशीर्वाद लेकर आप जीवन में सकारात्मकता, सफलता और शांति का अनुभव करें। शुभ गणेश चतुर्थी!
छोटे और सरल गणेश चतुर्थी शुभकामना संदेश

गणपति बप्पा आपके घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास करें। शुभ गणेश चतुर्थी!
हे गणेश जी, हमें सद्बुद्धि और सफलता प्रदान करें। गणेश चतुर्थी की मंगलकामनाएँ!
बप्पा के आशीर्वाद से हर कार्य में विजय प्राप्त हो। गणेश चतुर्थी मंगलमय हो!
गणेश जी आपके जीवन को आनंद और सकारात्मकता से भर दें। शुभ गणेश चतुर्थी!
विघ्नहर्ता गणपति आपके जीवन से सभी बाधाएँ दूर करें। गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
हे बप्पा! अपने भक्तों को ज्ञान, भक्ति और सुख का आशीर्वाद दें। गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ!
गणपति बप्पा मोरया! हर पल मंगलमय हो। गणेश चतुर्थी की बधाई!
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