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चंद्र ग्रहण 2025: भारत में तिथि, समय, महत्व और संदेश

जानें चंद्र ग्रहण क्या है, इसके प्रकार, वैज्ञानिक कारण और धार्मिक महत्व। पढ़ें 2025 के चंद्र ग्रहण की तिथि, समय और आध्यात्मिक संदेश। Chandra Grahan 2025.

चंद्रमा, जो हमारे मन और भावनाओं का नियंत्रक है, जब धरती की छाया में छुप जाता है तो वह एक अद्वितीय खगोलीय घटना का रूप लेता है—चंद्र ग्रहण। यह केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक जगत में परिवर्तन, चेतना की गहराई और मानसिक शुद्धीकरण का एक पावन अवसर है। जब चंद्रमा लाल रंग में रंग जाता है, तब वह हमें याद दिलाता है कि जीवन में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं और अंधकार के बाद प्रकाश का आना अटल है। आइये जानते है चंद्र ग्रहण के बारे में विस्तार से:

चंद्र ग्रहण का वैज्ञानिक रहस्य

चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं और पृथ्वी अपनी छाया चंद्रमा पर डालती है। इस दौरान चंद्रमा को सूर्य की प्रत्यक्ष रोशनी नहीं मिलती, लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरने वाली लाल रोशनी के कारण चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देता है, जिसे “ब्लड मून” भी कहते हैं।

चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति

चंद्र ग्रहण की विशेषताएं

चंद्र ग्रहण का यह वैज्ञानिक तथ्य है कि यह केवल पूर्णिमा की रात को होता है। सूर्य ग्रहण के विपरीत, चंद्र ग्रहण को पृथ्वी के रात्रि पक्ष के किसी भी भाग से देखा जा सकता है और इसकी अवधि कुछ घंटों की होती है। इसे बिना किसी विशेष सुरक्षा के देखा जा सकता है क्योंकि यह आंखों के लिए हानिकारक नहीं होता।

चंद्र ग्रहण 2025

वर्ष 2025 का अंतिम और महत्वपूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025, रविवार को घटित होगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जो भारत सहित एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में दिखाई देगा।

समय और अवधि

  • ग्रहण प्रारंभ: रात 9:57 बजे (7 सितंबर)
  • ग्रहणसमाप्ति: रात 1:26 बजे (8 सितंबर)
  • सूतक काल: दोपहर 12:58 बजे से ग्रहण समाप्ति तक
  • कुल अवधि: लगभग 3 घंटे 29 मिनट

चंद्र ग्रहण 2025 भारत में

चंद्र ग्रहण की तारीख और समय

चंद्र ग्रहण 2025 का आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025, रविवार की रात को लगेगा। यह भाद्रपद पूर्णिमा के दिन होगा और पितृपक्ष की शुरुआत के साथ मेल खाएगा।

चंद्र ग्रहण 2025 भारत में डेट एंड टाइम

समय सारणी (भारतीय समयानुसार):

कुल अवधि: 3 घंटे 29 मिनट

ग्रहण प्रारंभ: रात 9:57 बजे (7 सितंबर 2025)

पूर्ण ग्रहण काल: रात 11:00 बजे से 12:22 बजे तक

ग्रहण समाप्ति: रात 1:26 बजे (8 सितंबर 2025)

सूतक काल

चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इसलिए सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से शुरू होकर ग्रहण की समाप्ति तक चलेगा।

भारत में दृश्यता

यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत के सभी मुख्य शहरों से स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। विशेष रूप से निम्नलिखित 15 शहरों में बेहतर दृश्यता होगी:

  • उत्तर भारत: दिल्ली, चंडीगढ़, लखनऊ, जयपुर
  • पश्चिमी भारत: मुंबई, पुणे, अहमदाबाद
  • दक्षिणी भारत: चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद
  • पूर्वी भारत: कोलकाता, गुवाहाटी, पटना, भुवनेश्वर, भोपाल

विशेष बात

पूर्वी भारत (कोलकाता, गुवाहाटी) में चंद्रोदय जल्दी होने के कारण ग्रहण की शुरुआत अधिक स्पष्ट दिखेगी। पश्चिमी भारत (मुंबई, अहमदाबाद) में भी पूरा ग्रहण दिखेगा।

ब्लड मून की घटना

यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा। इसे “ब्लड मून” कहते हैं। यह अद्भुत दृश्य लगभग 82 मिनट तक दिखाई देगा।

विश्वव्यापी दृश्यता

यह चंद्र ग्रहण निम्नलिखित क्षेत्रों में दिखाई देगा:

  • एशिया (पूर्ण रूप से)
  • यूरोप
  • ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड
  • अफ्रीका
  • उत्तर और दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्र

राशियों पर प्रभाव

शुभ प्रभाव (लाभकारी):

  • मेष, वृष, कन्या, धनु राशि वालों के लिए शुभ
  • आकस्मिक धन लाभ की संभावना
  • वाहन या प्रॉपर्टी खरीदारी के योग

अशुभ प्रभाव (सावधानी आवश्यक):

  • मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ, मीन राशि वालों को सावधानी
  • स्वास्थ्य की समस्या संभव
  • मानसिक तनाव की संभावना
चंद्र ग्रहण  में राहु और केतु

ज्योतिषीय विशेषता

यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा। इस दौरान राहु और चंद्रमा की युति से एक विशेष ग्रहण योग बनेगा, जो ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • राहु-चंद्रमा की युति से विशेष ग्रहण योग बनेगा
  • यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि में लगेगा
  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में घटित होगा

आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व

मानसिक परिवर्तन का काल

चंद्र ग्रहण को परिवर्तन का समय माना जाता है। चंद्रमा हमारे मस्तिष्क और भावनाओं पर गहरा प्रभाव डालता है, इसलिए चंद्र ग्रहण के दौरान हमारे मन में उथल-पुथल मचती रहती है। यह समय नकारात्मक भावनाओं को अवचेतन मन से बाहर निकालने का उत्तम अवसर है।

आत्मिक शुद्धीकरण का अवसर

पूर्ण चंद्र ग्रहण में नकारात्मक शक्तियां प्रबल हो जाती हैं, लेकिन जो लोग ध्यान और मंत्र जाप करते हैं, वे अपनी आंतरिक ऊर्जा को बलशाली बना सकते हैं। ग्रहण के दौरान मंत्र जाप और दान-पुण्य करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

चेतना की गहराई में प्रवेश

ग्रहण के दौरान चंद्रमा और सूर्य की ऊर्जाएं सीधे तौर पर हम तक नहीं पहुंच पातीं, जिससे हमारा मन अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है। यह समय आत्म-निरीक्षण और गहन ध्यान के लिए अत्यंत उपयुक्त है।

चंद्र ग्रहण के दौरान करने योग्य कार्य

मंत्र जाप और पूजा-अर्चना

चंद्र ग्रहण के समय भगवान शिव की पूजा करना विशेष लाभकारी होता है क्योंकि शिव जी चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करते हैं। इससे मानसिक तनाव कम होता है और मन में शांति आती है।

चंद्र देव के  नामों का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है:

  • ॐ द्युतिलकाय नमः
  • ॐ द्विजराजाय नमः
  • ॐ ग्रहाधिपाय नमः
  • ॐ चतुराय नमः
  • ॐ कर्कटप्रभुवे नमः

ध्यान और आत्म-निरीक्षण

ग्रहण काल में ध्यान करने का विशेष महत्व है। इस समय चंद्रमा की तरंगें कमजोर होती हैं, जिससे मंत्र जाप का प्रभाव अधिक गहरा होता है।

दान और सेवा

चंद्रमा माता का कारक है, इसलिए इस समय माता की सेवा और स्त्रियों का सम्मान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है।

सूतक काल और नियम

सूतक के नियम

चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस दौरान:

  • पूजा-पाठ और शुभ कार्य वर्जित होते हैं
  • भोजन करने की मनाही होती है
  • केवल जल पीया जा सकता है
  • मंत्र जाप और ध्यान किया जा सकता है

ग्रहण के बाद के नियम

ग्रहण समाप्ति के तुरंत बाद:

  • स्नान करना आवश्यक होता है
  • घर की सफाई करनी चाहिए
  • भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए
  • ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए

चंद्र ग्रहण का व्यापक प्रभाव

प्राकृतिक प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण का प्रभाव समुद्र और तटवर्ती क्षेत्रों पर विशेष रूप से पड़ता है। समुद्री हलचल बढ़ सकती है और कभी-कभी भूकंप की संभावना भी रहती है।

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

पूर्णिमा की तिथि पर मानसिक तनाव और अस्थिरता बढ़ जाती है। चंद्र ग्रहण के दौरान यह प्रभाव और भी तीव्र हो जाता है, इसलिए मानसिक शांति बनाए रखना आवश्यक होता है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

ज्योतिषियों के अनुसार चंद्र ग्रहण का प्रभाव राजनीति पर भी पड़ता है और सामाजिक उथल-पुथल की संभावना रहती है।

आधुनिक जीवन में चंद्र ग्रहण की प्रासंगिकता

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

आधुनिक खगोल विज्ञान ने चंद्र ग्रहण के भौतिक कारणों को स्पष्ट कर दिया है, लेकिन इसके मानसिक और भावनात्मक प्रभावों को नकारा नहीं जा सकता। चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव समुद्री ज्वार-भाटे पर पड़ता है, और मानव शरीर में 70% जल होने के कारण हम पर भी इसका प्रभाव होता है।

मानसिक कल्याण के लिए

चंद्र ग्रहण का समय आत्म-चिंतन और मानसिक शुद्धीकरण के लिए उपयोग करना चाहिए। यह समय नकारात्मकता से मुक्ति पाने और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए आदर्श है।

चंद्र ग्रहण: परिवर्तन की दिशा में

चंद्र ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति और मानसिक परिवर्तन का एक अनूठा अवसर है। जब चंद्रमा धरती की छाया में छुप जाता है, तब वह हमें सिखाता है कि जीवन में अंधकार के क्षण भी आते हैं, लेकिन वे अस्थायी होते हैं।

7 सितंबर 2025 का चंद्र ग्रहण एक विशेष अवसर है जब हम अपने भीतर की नकारात्मकता को दूर करके आत्मिक प्रकाश की खोज कर सकते हैं। इस समय का सदुपयोग करते हुए मंत्र जाप, ध्यान और दान-पुण्य के माध्यम से हम अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।

चंद्र ग्रहण हमें याद दिलाता है कि जैसे चंद्रमा अपने पूर्ण तेज के साथ वापस चमकता है, वैसे ही हमारी आत्मा भी तमाम कष्टों के बाद अपनी दिव्यता के साथ प्रकाशित होती है।

यह समय है अपने अंदर के प्रकाश को जगाने का, अपने मन की गहराइयों में उतरकर सत्य की खोज करने का। चंद्र ग्रहण का यह पावन अवसर हमारे जीवन में नई चेतना, नया संकल्प और नई शुरुआत का प्रतीक बने।

चंद्र ग्रहण: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

चंद्र ग्रहण क्या है?

चंद्र ग्रहण वह खगोलीय घटना है जब पृथ्वी अपनी छाया चंद्रमा पर डाल देती है, जिससे चंद्रमा आंशिक या पूर्ण रूप से सुर्ख लाल रंग में दिखता है।

चंद्र ग्रहण कब होता है?

चंद्र ग्रहण पूर्णिमा की रात को होता है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं।

चंद्र ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं?

  • पूर्ण चंद्र ग्रहण: पृथ्वी की पूरी छाया चंद्रमा पर पड़ती है।
  • आंशिक चंद्र ग्रहण: पृथ्वी की आंशिक छाया चंद्रमा पर पड़ती है।
  • उपछाया ग्रहण: पृथ्वी की उपछाया चंद्रमा पर पड़ती है, अक्सर हल्का बदलापन दिखता है।

चंद्र ग्रहण का वैज्ञानिक कारण क्या है?

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, और इसका वायुमंडल सूर्य की रोशनी को परावर्तित कर चंद्रमा को लाल रंग प्रदान करता है।

चंद्र ग्रहण का धार्मिक महत्व क्या है?

भारतीय संस्कृति में चंद्र ग्रहण को मानसिक शुद्धि और आत्म-निरीक्षण का समय माना जाता है। ग्रहण के दौरान मंत्र जाप, दान-पुण्य एवं ध्यान करना शुभ माना जाता है।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए?

  • चंद्र देवता के मंत्रों का जाप करें, विशेषकर चंद्र नामावली।
  • ध्यान और आत्मनिरीक्षण करें।
  • जरूरतमंदों को दान दें, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की सेवा करें।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

  • ग्रहण काल में भोजन से परहेज करें।
  • शुभ कार्य एवं यात्रा टालें।
  • ग्रहण को प्रत्यक्ष देखने का प्रयास न करें; हालांकि यह आँखों के लिए हानिकारक नहीं होता, फिर भी ध्यान पूर्वक रहें।

चंद्र ग्रहण के सूतक काल का नियम क्या है?

सूतक काल ग्रहण शुरू होने के 9 घंटे पहले शुरू होता है। इस दौरान पूजा-पाठ और अनुष्ठान वर्जित होते हैं, केवल मंत्र जाप एवं ध्यान किया जा सकता है।

7 सितंबर 2025 का चंद्र ग्रहण कब और कहाँ दिखाई देगा?

यह पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 की रात 9:57 बजे शुरू होकर रात्रि 1:26 बजे समाप्त होगा। इसे भारत सहित एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड में देखा जा सकेगा।

चंद्र ग्रहण देखने का सुरक्षित तरीका क्या है?

चंद्र ग्रहण देखने के लिए किसी सुरक्षा चश्मे की आवश्यकता नहीं होती; सिर्फ़ खुली आँखों से आसमान में चंद्रमा का अवलोकन सुरक्षित रूप से किया जा सकता है।

नोट: हमारे द्वारा उपरोक्त लेख में अगर आपको कोई त्रुटि दिखे या फिर लेख को बेहतर बनाने के आपके कुछ सुझाव है तो कृपया हमें कमेंट या फिर ईमेल के द्वारा बता सकते है हम आपके सुझावों को प्राथिमिकता के साथ उसे अपनाएंगे धन्यवाद !

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