ट्विटर vs कू ऐप
जैसा हम सभी सभी जानते है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। जहाँ पर प्रत्येक व्यक्ति को सरकार से अपनी राय का या सरकार से किसी भी तरह के सवाल पूछने का पूर्ण अधिकार हैं। पूर्व में (आज से 15 से 20 वर्ष पहले) व्यक्ति को अपनी राय रखने बहुत कम साधन प्राप्त थे। विज्ञान और तकनीक के इस दौर व्यक्ति अपनी राय किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिये विषय से जुड़े हुए व्यक्ति के पास आसानी से पहुंचा सकता है।
इंटरनेट पर वैसे तो अनगिनत सोशल मीडिया वेब साइट्स हैं पर इन दिनों कू (Koo) ऐप काफी बूम पर है। कू (Koo) ऐप को भारत में ट्विटर के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। खास बात ये भी है कि ये एक भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफार्म है जिससे भारतीय यूजर्स को अपने डाटा के लिए ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है और जिन चीनी निवेशकों का पैसा इस ऐप में लगा था, उनकी हिस्सेदारी को अब धीरे-धीरे बेचा जा रहा रहा हैं। जिसकी वजह से ऐप को यूजर्स का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। पिछले एक सप्ताह में इस ऐप से लगभग 10 लाख यूजर्स जुड़ चुकें हैं। वहीं, ऐप पर कुल यूजर्स की संख्या 40 लाख से ज्यादा हो गई है
वैसे तो ट्विटर अपनी Privacy एंड Policy को लेकर दुनिया भर में सवालों के घेरे में हमेशा रहता है पर इन दिनों ट्विटर और भारत सरकार के बीच विवाद चल ज्यादा गहरा चल रहा है। भारत सरकार ने इन दिनों चल रहें किसान आंदोलन से जुड़े करीब 1400 ट्विटर अकाउंट्स ब्लॉक करने के लिए कहा था। इसके बाद से ही दोनों के बीच विवाद शुरू हुआ और इसी विवाद का फायदा कू ऐप ने बखूबी उठाया भी और उसे फायदा मिला भी। अगर आप ये कहना चाहते है कि कू ऐप ने मौके पे चौका मार दिया तो बिलकुल भी गलत नहीं होगा।
कू ऐप की लोकप्रियता कब और कैसे बढ़ी
कू ऐप की शुरुआत मार्च 2020 में हुई थी पर इसकी लोकप्रियता केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, रेल मंत्री पीयूष गोयल, अनुपम खेर, कंगना रनोत, अनिल कुंबले, शिवराज सिंह चौहान, और इनके साथ कई दिग्गजों के द्वारा इसे डाउनलोड करके सोशल मीडिया पर जानकारी देने के बाद और भी बढ़ने लगी, जिसके बाद इसकी इन्स्टॉलेशन में बहुत तेजी देखी गई।
अब लोग ट्विटर अलावा कू ऐप से भी जुड़ रहे हैं। कू हिंदी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, गुजराती और मराठी सहित कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। डेटा एनालिटिक्स स्टेटिस्टा के मुताबिक, भारत में ट्विटर के एक्टिव यूजर्स की संख्या 1.75 करोड़ है।
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके है कू ऐप की
वहीं 2020 अगस्त में आयोजित हुऐ आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज को कू ने जीता था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से भारतीयों को कू ऐप का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया था। तभी से ये ऐप लोगों बीच चर्चा का विषय बन गया और धीरे धीरे इसकी पॉपुलर्टी भारत में बढ़ने लगी।
चीनी निवेशकों को नो एंट्री
कू की पैरेंट कंपनी में चीनी निवेशक अपनी हिस्सेदारी को बेच कर बाहर निकल रहे हैं। कू के को-फाउंडर और CEO अपरामेय राधाकृष्ण ने कहा कि अन्य निवेशकों ने चीन के निवेशकों की 9% हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जताई है।
कू ऐप
कू माइक्रो-ब्लॉगिंग ऐप को अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने पिछले साल मार्च में लॉन्च किया था। ये एक माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म है जहाँ पर यूजर्स को अपना व्यूज और ओपिनियन देने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है। इस ऐप पर यूजर्स वीडियो और फोटेज शेयर करने के साथ साथ एक-दूसरे से DMs के जरिए चैट भी बड़ी आसानी से कर सकते हैं। इस ऐप को किसी भी प्ले स्टोर से फ्री में डाउनलोड करके इन्स्टॉल कर सकते हैं।