क्या नई शिक्षा नीति 2020 के द्वारा, एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण को कमजोर करेंगी?
नई शिक्षा नीति 2020 के ड्राफ्ट को 29 जुलाई को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली। हालांकि वर्तमान भारत सरकार ने ये कार्य अचानक से किया हो, ऐसा बिलकुल नहीं है | 2014 के लोकसभा चुनाव में नई शिक्षा नीति बीजेपी के घोषणपत्र का एक अहम् हिस्सा था और भारतीय जनता पार्टी ने सरकार में आने के बाद भी ये एजेंडा छोड़ा नहीं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। यहाँ पर कोई बड़ा सैविंधानिक बदलाव आसान नहीं है। भारत के सविंधान में हुए एक भी बदलाव या संसोधन से कई तरह के सामाज में सवाल खड़े हो जाते है उनमे से एक आरक्षण का सवाल बहुत ही स्वाभाविक है। जैसे कि क्या इस संसोधन से किसी भी तरह से आरक्षण कमजोर होता है?
तो आइये जानते है इस सवाल के बारे में विस्तार से।
नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए 31 अक्टूबर, 2015 को सरकार ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी.एस.आर. सुब्रह्मण्यन की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की कमिटी बनाई। 31 मई, 2019 को ये ड्राफ्ट एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को सौंपा गया। शिक्षा नीति ड्राफ्ट पर एचआरडी मंत्रालय ने लोगों के सुझाव मांगे थे।
इस पर दो लाख से ज्यादा सुझाव आए जिसके बाद 29 जुलाई 2020 को केद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी।
क्या नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षण संस्थानों में आरक्षण नीति समाप्त करने का सरकार विचार कर रही है। ?
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ये पूछा था की क्या नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षण संस्थानों में आरक्षण नीति समाप्त करने का सरकार विचार कर रही है। ? जैसे ही यह खबर मीडिया में आयी तो इसने शिक्षा नीति में एक नई बहस छेड़ दी जिससे लोगो के बीच तमाम अटकले पनपने लगी और लोगो ने सरकार से इसपर जबाब देने को कहा जिससे ये स्पष्ट हो सके की ऐसा है भी या नहीं।
पत्र का जबाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति संविधान में निहित शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के प्रावधानों को बिलकुल भी कमजोर नहीं करती और न ही करेगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि एससी, एसटी, ओबीसी, दिव्यांग और अन्य सामाजिक-आर्थिक वंचित समूहों को शैक्षिक समावेश में लाने के नए प्रयासों के साथ चल रहे सफल कार्यक्रम और नीतियां जारी रहेंगी।
मंत्री ने कहा, मेरे कुछ राजनीतिक मित्रों द्वारा यह शंका जताई जा रही है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 देश की शैक्षिक व्यवस्था में आरक्षण के प्रावधानों को कमजोर कर सकती है। मैं अपनी और सरकार की तरफ से यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि ऐसा कोई इरादा नहीं है जैसा कि नई शिक्षा नीति में स्पष्ट रूप से परिलक्षित भी है। यह नीति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में निहित आरक्षण के संवैधानिक प्रावधान की पुष्टि करती है और कहा कि जैसे जेईई, एनईईटी, यूजीसी-नेट, इग्नू जैसी विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन एनईपी, 2020 की घोषणा के बाद किया गया था और शैक्षणिक संस्थानों में कई नई नियुक्ति प्रक्रियाएं भी आयोजित की गई थीं। लेकिन अभी तक आरक्षण के प्रावधान को कमजोर किए जाने की कोई शिकायत नहीं मिली है।