नई शिक्षा नीति 2020 , नई शिक्षा नीति लागू होने से 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया जायेगा। वर्तमान समय में हमारे देश की स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता है लेकिन अब ये 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से होगा। इसका मतलब है कि प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक का एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक का तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12 तक का आखिरी हिस्सा होगा।
नई शिक्षा नीति 2020
भारत आबादी के हिसाब से दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा देश है। यहाँ पर किसी भी बड़े बदलाव को बड़ी चुनौतियां के साथ गुजरना पड़ता है। नई शिक्षा नीति के पारित होने जाने के बाद सबसे बड़ा टास्क है इसकी शुरुआत कैसे करें।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 29 जुलाई 2020!
आइये जानते है नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में कुछ बड़ी चुनौतियों को
टीचर्स क्वालिटी – भारत की शिक्षा व्यवस्था में ज्यादा कुछ बदलाव न होने की वज़ह से शिक्षा की बेसिक बुनियाद टीचर्स ही हैं । अगर आप को शिक्षा में कुछ भी बड़ा बदलाव लाना है तो सबसे पहले उस बदलाव की बुनियाद को बेहतर बनाना पड़ेगा। शिक्षा व्यवस्था में बदलाव या और भी ज्यादा डेवलप हो जाने से कुछ नहीं बदलेगा यदि शिक्षक वही है जो वर्तमान समय में है। शिक्षा व्यवस्था के बदलाव के साथ-साथ आपको शिक्षक की गुणवत्ता पर अत्यधिक ध्यान देना पड़ेगा। नई शिक्षा नीति को लागू करने के कम से कम दो से तीन वर्ष पहले ही सभी टीचर को आने वाले पाठयक्रम से अवगत कर उनकी ट्रेनिंग पर ध्यान देना पड़ेगा तभी नई शिक्षा व्यवस्था को सही तरीके से लागू किया जा सकता है।
बेहतर और नया इंफ्रास्ट्रचर
हमारे देश में अभी भी ऐसे बहुत से स्कूल है जहाँ विद्यार्थियों के पढ़ने लिए बेसिक साधन उपलब्ध नहीं है। आजादी के 73 साल भी भारत में ऐसी कई जगह हैं जहाँ बच्चे अभी बेसिक शिक्षा ही नहीं ले पा रहे हैं इसकी वज़ह ये है की स्कूल उनके घर से बहुत दूर है और उनके पास साधन नहीं है या फिर वहां पर स्कूल ही नहीं है या स्कूल है पर टीचर नहीं है। ऐसे में हमें अपनी प्राथमिकता को तय करने की जरुरत है। प्राथमिकता के आधार पर बेसिक शिक्षा की बहुत आवश्यकता है। तो सबसे पहले हमें भारत में एक ऐसी पालिसी बनानी चाहिए की सभी को कम से कम बेसिक शिक्षा बेहतर साधन के साथ मिल सके। जहाँ पर शिक्षा व्यवस्था पहले से है और वहां नई शिक्षा नीति के आधार पर पाठ्यक्रम में बदलाव के साथ-साथ वहां के इंफ्रास्ट्रचर को भी पाठ्यक्रम के आधार पर बदलना पड़ेगा तभी नई शिक्षा नीति से हुए बदलाव से भारत के अच्छे और बेहतर भविष्य की कल्पना की जा सकती है।
अपडेटेड पाठ्यक्रम
मौज़ूदा पाठ्यक्रम 73 वर्ष लगातार बदलाव के बाद हमें मिला है फिर भी हम इसे अपने प्रतिस्पर्धी देशो के पाठ्यक्रम से कमजोर समझते है तो हमें ये ध्यान रखना पड़ेगा की नए पाठ्यक्रम को बनाने में ज्यादा वक्त न लगे जिससे नई शिक्षा व्यवस्था को तय वक़्त में लागू किया जा सके और ऐसा तकनीक के माध्यम से संभव भी है।
नई शिक्षा नीति का विजन प्राइमरी लेवल पर काफी फोकस करता है। ‘नीति ने प्राइमरी यानी बच्चों की फाउंडेशन लर्निंग पर ध्यान दिया है। यह फायदेमंद तभी साबित होगी जब इसे ग्राउंड लेवल पर लागू किया जाए। आंगनवाड़ियों की स्थिति खराब है और अगर यह सुधरती नहीं है तो फिर कोई फायदा नहीं।’
नई शिक्षा नीति की शुरुआत करते समय इस बात को ज्यादा प्राथिमिकता दें कि भारत में जहाँ अभी बेसिक शिक्षा नहीं पहुँच पायी है तो वहां नई शिक्षा नीति के जरिये शिक्षा को पहुँचाने की कोशिश करें जिससे वो भी भारत के बेहतर भविष्य में अपना योगदान दे सके।
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