भारत की नई शिक्षा नीति
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसलिए यहाँ कोई भी सविंधानिक बदलवाव बड़ी गहन चिंतन और विचार विमर्श से ही संभव है। क्योंकि यहाँ एक सविंधानिक बदलाव यहाँ के नागरिको की जीवन रेखा में बहुत योगदान रखते है। हम बात करने जा रहे है हाल ही में 29 जुलाई 2020 को कैबिनेट से पारित नई भारतीय शिक्षा नीति की। यह नयी शिक्षा नीति 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 29 जुलाई 2020 को मंजूरी दी है। इसमें हुए परिवर्तन सन 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है। इस नयी शिक्षा नीति का मसौदा पूर्व इसरो प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने बड़ी ही अध्यन के साथ तैयार किया है।
हम सभी जो भारत के नागरिक हैं और हम सभी ही भारत प्रारंभिक और उच्च स्तरीय शिक्षा के पाठ्यक्रम से बाखूबी वाकिफ है। हमारे प्राम्भिक और अभी तक के शिक्षा अनुभव के अनुसार हम यहाँ की शिक्षा नीति को रट्टू तोते वाली शिक्षा व्यवस्था भी कह सकते है। दुनिया में भारत का मान सम्मान निरंतर बढ़ता जा रहा है भविष्य में और भी ज्यादा यह देश दुनिया को अपनी तरफ और भी आकर्षक करने वाला है। भारत की शिक्षा विवस्था अभी अपने प्रतिस्पर्धित देशो से कही पीछे है।
नई शिक्षा नीति क्या है 2020?
इस लिए हमें भी अपनी शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की जरुरत है जिसकी शुरआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट से 29 जुलाई 2020 को मिली मंजूरी के बाद हो गई है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और आबादी में विश्व में दुसरे नंबर के इस देश में नई शिक्षा निति 2020 के लागु करना इतना आसान नहीं है भारत में पहले भी कई बड़े लोकतान्त्रिक परिवर्तन सफलता पूर्वक लागू करने में सक्षम रहा है जैसे की हाल ही में हुए बदलाव “वस्तु और सेवा कर” यानी (जीएसटी) ।
बढ़ती टेक्नोलॉजी और प्रतिस्पर्धा से के कारण अगर आप पुरानी पद्धति से अपनी शिक्षा को निरंतर बढ़ाते रहने से बच्चों को शिक्षा से लाभ मिलना बंद हो सकता है। इस वजय से भारत में समय-समय पर शिक्षा नीति को बदला जाता रहा है। भारत में सबसे पहली शिक्षा नीति पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने 1968 में प्रारम्भ की थी। इसके बाद अगली नीति पूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी की सरकार ने 1986 में दूसरी शिक्षा नीति बनायीं जिसमें पूर्व प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव सरकार ने 1992 में कुछ बदलाव किये गए थे। और हाल ही में 29 जुलाई 2020 भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नई शिक्षा नीति में बदलाव किये है।
आइये जानते हैं भारत की नई शिक्षा नीति 2020 के कुछ प्रमुख बिन्दु –
नई शिक्षा नीति का शैक्षणिक ढांचा
पारित नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। वर्तमान में हमारी स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता है लेकिन नई शिक्षा नीति लागु होने के बाद 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से संचालित होगा। साधारण शब्दों में प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवीं तक दूसरा, छठी से आठवीं तक तीसरा और नौंवी से 12 तक आखिरी हिस्सा होगा।
फाउंडेशन
फाउंडेशन हिस्सा में तीन से आठ साल तक की आयु के बच्चे सम्लित किये जायँगे। प्रथम तीन वर्ष बच्चे आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे उसके बाद अगले दो साल कक्षा एक एवं दो में बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे। इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार किया जायेगा। साधारण शब्दों में बच्चो की गतिविधओं के आधार पर उनकी आगे की शिक्षा, शिक्षण पर ध्यान रखा जायेगा। इन्ही चरणों के आधार पर बच्चो की शिक्षा के पहले पांच सालों का चरण पूरा किया जायेगा।
प्रीप्रेटरी
प्रीप्रेटरी चरण में कक्षा तीन से पांच तक की पढ़ाई होगी। इस दौरान वैज्ञानिक प्रयोगों और उनकी गतिविधायों के जरिए बच्चों को विज्ञान, गणित, कला आदि की पढ़ाई कराई जाएगी। इसमें आठ से 11 साल तक की उम्र के बच्चों को सम्मलित किया जायेगा।
मिडिल
मिडिल चरण इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा और इसके साथ से ही कौशल विकास कोर्स भी शुरू हो जाएंगे। इस चरण में कक्षा 6 से 8 तक की कक्षाओं की पढ़ाई कराई जायेगी। इसमें 11 से 14 साल तक की उम्र के बच्चों को सम्मलित किया जाएगा।
सेकेंडरी
सेकेंडरी चरण में कक्षा 9 से कक्षा 12 तक की पढ़ाई दो चरणों में होगी जिसमें विषयों का गहन अध्ययन कराया जाएगा। इस चरण में विद्यार्थिओं को विषयों को चुनने की आजादी दी जाएगी।
अहम अन्य स्कूली शिक्षा में बदलाव
शिक्षा में बच्चों की प्रदर्शन का आकलन
वर्तमान की बच्चों की रिपोर्ट कार्ड में नई शिक्षा नीति की वजय से बहुत बदलाव देखने को मिलेगा। विद्यार्थी के तीनो स्तरों का आकलन किया जाएग। प्रथम आकलन स्वयं विद्यार्थी करेगा, दूसरा विद्यार्थी का सहपाठी और तीसरा उसका विद्यार्थी का शिक्षक। नेशनल एसेसमेंट सेंटर-परख बनाया जाएगा जो विद्यार्थियों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर परीक्षण रहेगा। 100 % नामांकन के जरिए अपनी पढ़ाई छोड़ चुके करीब दो करोड़ बच्चों को फिर से दाखिला दिलाया जाएगा।
छठी क्लास से ही प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा
नई शिक्षा नीति के आधार पर अब छठी कक्षा से ही विद्यार्थी को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी। क्षेत्रीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास पर भी जोर दिया जाएगा। स्कूल में ही बच्चे को रोजगार से सम्बन्धी जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा दी जाएगी। नई शिक्षा नीति बेरोजगार तैयार नहीं करेगी।
10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा वर्तमान परीक्षा पद्धति से भिन्न और आसान होगी
नई शिक्षा नीति के लागु हो जाने से भविष्य में आगामी दसवीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव किये जा सकते है।बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को कम किया जाएगा या किया जा सकता है। इसके लिए सरकार के पास् कई अहम सुझाव हैं। बोर्ड परीक्षा में मुख्य जोर ज्ञान के परीक्षण पर होगा ताकि विद्यार्थियों की रटने की प्रवृत्ति को खत्म किया जा सके। बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्र हमेशा परीक्षा के समय और पुरे वर्ष ज्यादा अंक प्राप्त करके प्रथम स्थान पाकर उत्त्रीण होने के दबाव में रहते हैं इसलिए उन्हें अपनी शिक्षा को उच्चस्तरीय करने के लिए स्कूल के अलावा कोचिंग पर भी निर्भर होना पड़ता है। परन्तु भविष्य में उन्हें शिक्षा नीति 2020 के सफलता पूर्वक लागु होने के बाद इससे मुक्ति मिल सकती है। नीति में बताया गया गया है कि विभिन्न बोर्ड आने वाले समय में बोर्ड परीक्षाओं के प्रैक्टिकल मॉडल को तैयार करेंगे। जैसे वार्षिक, सेमिस्टर और मोड्यूलर बोर्ड परीक्षाएं।
नई शिक्षा नीति 2020 प्रमुख बिंदु
- अब पांचवी कक्षा तक की शिक्षा विद्यार्थी की मातृ भाषा में होगी.
- छठी कक्षा से ही वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे।
- छठी कक्षा के बाद से छात्रों को इंटर्नशिप करायी जाएगी
- क्षेत्रों की गतिविधओं जैसे संगीत, कला और खेलकूद आदि के पाठयक्रम में शामिल कर बढ़ावा दिया जायेगा
- एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जा रहा है जिसके लिए वर्चुअल लैब विकसित की जा रहीं हैं इससे ई-पाठ्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा।
- अगर कोई भी छात्र किसी विषय को बीच में छोड़कर दूसरे विषय में प्रवेश पाना चाहें तो वो पहले विषय से एक ख़ास निश्चित समय तक के लिए विराम ले सकता है और दूसरा विषय ज्वाइन कर सकता है और इसे पूरा करने के बाद फिर से पहले वाले विषय को पुनः जारी रख सकता है।
- नई शिक्षा नीति 2020 के लागु होने से सभी के लिए समान नियम होंगे। वर्तमान समय में सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, डीम्ड यूनविर्सिटी, और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं.
- नयी शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6% खर्च किया जायेगा जो कि अभी 4.43% है.
- अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। अतः रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे।