हर वर्ष नवरात्री का दिव्य आयोजन शारदीय और चैत्र नवरात्रि में होता है, पर विशेषकर शारदीय नवरात्रि का उत्साह हर हिन्दू घर में देखने को मिलता है। नवरात्रि के दिन हमें देवी माँ की कृपा से जीवन में संतुलन, सफलता तथा सकारात्मकता प्राप्त होती है। इस लेख में आपको नवरात्रि के महत्व, साधना-विधान, शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के बारे में विस्तार से पढ़ने को मिलेगा:
नवरात्रि (Navratri)
नवरात्रि (Navratri), हिन्दू , सनातन धर्म में आस्था और मान्यता के अनुसार मां दुर्गा संसार की शक्ति स्त्रोत हैं। माँ भगवती की शक्तियों द्वारा ही इस पृथ्वी पर सभी कार्य निरंतर होते रहते हैं। उन्ही माँ की उपासना और आराधना करने के लिये मनुष्यों को वर्ष में एक से अधिक बार पूजा का शुभ अवसर प्राप्त होता है। माँ की पूजा करके उन्हें प्रसन्न करने का ये अनुष्ठान वर्ष में दो बार नौ दिनों तक किया जाता है। यह पवित्र पावन नौ दिन वर्ष के प्रारंभ में चैत्र माह और दूसरा आश्विन मास में आते है।
चैत्र माह के नवरात्र के दौरान भगवान श्री राम का जन्म दिवस मनाया जाता है जिसे हम रामनवमी भी कहते हैं, वहीं आश्विन माह की नवरात्र के दौरान भगवान् श्री राम का विजयदिवस भी मनाया जाता है जिसे हम विजयादशमी और दशहरा भी कहते हैं। चैत्र माह में आने वाली नवरात्र के दिनों को चैत्र नवरात्रि तथा आश्विन मास की नवरात्र के दिनों को शारदीय नवरात्र के नाम से जानते हैं |

नवरात्रि का विशेष महत्व ( Special significance of Navratri in Hindi)
सभी नवरात्रों के दिनों में माता भगवती के सभी नौ रुपों की आराधना बड़ी ही श्रद्धा भक्ति से की जाती है। माता के इन नौ रुपों को हम देवी के विभिन्न रूपों की उपासना, उनके तीर्थो के माध्यम से समझ सकते है।
जैसा की आप जानते हैं साल में दो बार नवरात्र रखने का विधान है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नौ दिन अर्थात नवमी तक, और इसी प्रकार ठीक छह महीने के बाद आश्विन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक माता की उपासना और भक्ति प्रारम्भ होती है। दोनों ही नवरात्रों के दिनों में शारदीय नवरात्रों को ज्यादा ही महत्व दिया जाता है।
इन सभी नौ दिनों में माँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती, ये तीन रूप में भक्त माँ की आराधना करते है| माँ सिर्फ आसमान में कहीं स्थित नही हैं, ऐसा कहा जाता है कि (“या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधीयते”) माँ सभी जीव जंतुओं में चेतना के रूप में स्थित हैं |
चैत्र नवरात्रि 2026 में कब है?
चैत्र नवरात्रि 2026
हिंदू पंचांग के अनुसार, हिन्दू नव वर्ष के पहले दिन से ही चैत्र नवरात्र भी प्रारंभ हो जाते हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है| पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भक्त नवरात्र में मां भगवती की मन से स्मरण, उपासना, पूजा पाठ करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसके जीवन में सुख शांति का वास हो जाता है।
माँ भगवती को लाल गुड़हल का पुष्प बहुत प्रिय है इसलिए माँ को प्रसन्न करने के लिए गुड़हल की माला या पुष्प जरूर अर्पित करें | आइये जानते है चैत्र नवरात्र की पूजा विधि, शुभ मुहर्त, भोग, सामग्री इत्यादि के बारे में।
चैत्र नवरात्रि 2026 घटस्थापना मुहूर्त:
- गुरुवार, 19 मार्च 2026 को चैत्र घटस्थापना
- घटस्थापना मुहूर्त- सुबह 06:52 बजे से सुबह 07:43 बजे तक (अवधि – 00 घंटे 50 मिनट)
- घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:05 बजे से 12:53 बजे तक (अवधि – 00 घंटे 48 मिनट)
- घटस्थापना मुहूर्त द्वि-स्वभाव मीन लग्न के दौरान पड़ता है प्रतिपदा छूट जाने के कारण घटस्थापना मुहूर्त अमावस्या तिथि पर पड़ता है
- प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 19 मार्च 2026 को प्रातः 06:52 बजे से
- प्रतिपदा तिथि समाप्त – 20 मार्च 2026 को प्रातः 04:52 बजे
- मीना लग्न प्रारम्भ – 19 मार्च 2026 को प्रातः 06:26 बजे से
- मीना लग्न समाप्त – 19 मार्च 2026 को प्रातः 07:43 बजे

शारदीय नवरात्रि 2025 में कब है ?
- घटस्थापना तिथि: सोमवार 22 अक्टूबर 2025
- घटस्थापना मुहूर्त – प्रातः 06:09 बजे से प्रातः 08:06 बजे तक (अवधि – 01 घंटा 56 मिनट)
- घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक (अवधि – 00 घंटे 49 मिनट)
- प्रतिपदा तिथि प्रारंभ – 22 सितंबर 2025 को प्रातः 01:23 बजे से
- प्रतिपदा तिथि समाप्त – 23 सितंबर 2025 को प्रातः 02:55 बजे
- कन्या लग्न आरंभ – 22 सितंबर 2025 को प्रातः 06:09 बजे से
- कन्या लग्न समाप्त – 22 सितंबर 2025 को प्रातः 08:06 बजे

उपवास व आहार-विहार
उपवास का मुख्य उद्देश्य शरीर को हल्का करना है जिससे ध्यान-भजन में मन लगे। साधारणतया फल, दूध, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, कुट्टू आटे से बनाए गए व्यंजन खाने की परंपरा है। मैंने व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया कि चौथे दिन सिंघाड़े की पूरी और खीर से मन को आनंद मिलता है तथा ध्यान लयबद्ध होता है।
पूजा-पाठ एवं साधना विधि
नवरात्रि के आरंभ में कलश स्थापना, दुर्गा स्तुति, महामृत्युंजय मंत्र और चंडी पाठ करना लाभदायक माना गया है। प्रतिदिन जमकर मंत्र जाप और आरती करने पर मन की अशांति दूर होती है। मैंने माँ दुर्गा को संकटमोचन स्तोत्र पढ़कर अपने आध्यात्मिक अध्ययन में नया जोश पाया।
नवरात्रि की साधना केवल नौ दिन की पूजा नहीं, बल्कि जीवन बदलने का प्रवास है। माँ दुर्गा की कृपा से हम अपने भीतर छिपे गुणों को पहचानते हैं और बाधाओं का सामना दृढ़ता से करते हैं। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर आप भी आत्मा की शक्ति को जागृत करने का संकल्प लें और नयी ऊर्जा के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें।
माँ दुर्गा जी की आरती
जय अम्बे गौरी मैया । मैया जय अम्बे गौरी ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
माँ दुर्गा जी के कल्याणकारी मंत्र
- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ - ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।। - देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥ - शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
नवरात्रि से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
Q1. नवरात्रि क्या है और इसका महत्व क्यों है?
नवरात्रि एक प्रमुख हिंदू पर्व है जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व शक्ति, भक्ति, साधना और आत्मशुद्धि का प्रतीक है।
Q2. साल में कितनी बार नवरात्रि मनाई जाती है?
नवरात्रि साल में चार बार आती है – चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, आश्विन/शारदीय नवरात्रि और माघ गुप्त नवरात्रि। इनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि प्रमुख मानी जाती हैं।
Q3. नवरात्रि में उपवास रखने का क्या महत्व है?
नवरात्रि व्रत का उद्देश्य शरीर और मन को शुद्ध करना है। उपवास से आत्मसंयम बढ़ता है और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
Q4. नवरात्रि के दौरान घटस्थापना क्यों की जाती है?
घटस्थापना शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। इसमें कलश स्थापित कर मां दुर्गा का आवाहन किया जाता है और पूरे नौ दिनों तक उनकी पूजा होती है।
Q5. नवरात्रि के नौ दिनों में कौन-कौन से देवी स्वरूप की पूजा की जाती है?
नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है – मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री।
Note – If you wish to know, all about Navratri Day 9 in English then visit here All forms of Goddess Durga
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