भारतीय संस्कृति में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इस रात माँ लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और जागरण कर रहे भक्तों को धन-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। 2025 में शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर सोमवार (Sharad Purnima 2025) को मनाई जाएगी। यह केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर उत्सव है। आइये जानते है शरद पूर्णिमा के बारे में विस्तार से
“पूर्णिमा की रात जब चंद्रमा श्वेत किरणों से धरती को स्नान कराता है, तब वह केवल प्रकाश ही नहीं, अमृत भी बरसाता है। यही रात शरद पूर्णिमा है।”
- शरद पूर्णिमा
- शरद पूर्णिमा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- शरद पूर्णिमा की संपूर्ण पूजा विधि
- पूजा स्थल की तैयारी
- पूजा सामग्री:
- चंद्रमा को अर्घ्य देने की विशेष विधि
- अर्घ्य की विधि:
- खीर परंपरा: चांदनी में अमृत का संचार
- खीर की विशेष रेसिपी:
- चांदनी में रखने की विधि:
- वैज्ञानिक आधार
- रास पूर्णिमा: श्रीकृष्ण का महारास
- महारास की कथा
- आध्यात्मिक संदेश
- कोजागरी पूर्णिमा: लक्ष्मी माता का आगमन
- लक्ष्मी माता की कृपा
- जागरण की परंपरा
- शरद पूर्णिमा से जुड़ी लोक मान्यताएँ
- शरद पूर्णिमा का संदेश
- शरद पूर्णिमा की 10 हार्दिक शुभकामनाएं
- Sharad Purnima Wishes in Hindi Text
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शरद पूर्णिमा
जब चाँद अपनी सोलह कलाओं के साथ धरती पर अमृत की वर्षा करता है
भारतीय संस्कृति में चंद्रमा का विशेष स्थान है। शरद पूर्णिमा का पावन दिन उस अनूठे क्षण का प्रतीक है जब चंद्रदेव अपनी संपूर्ण सोलह कलाओं के साथ आकाश में विराजमान होकर धरती पर अमृत की वर्षा करते हैं। यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को नई ऊर्जा से भर देता है।
सनातन हिंदू धर्म में मान्यता है कि मानवीय गुणों की कुल सोलह कलाएं होती हैं, और शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा इन सभी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। भगवान श्रीकृष्ण भी इन्हीं सोलह कलाओं के साथ अवतरित हुए थे, जबकि राम जी बारह कलाओं के साथ आए थे। यही कारण है कि इस दिन चंद्र पूजा का विशेष महत्व है।
शरद पूर्णिमा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
वर्ष 2025 में शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इस पावन तिथि का विस्तृत विवरण निम्नलिखित है:
मुख्य तिथि विवरण:
- पूर्णिमा तिथि आरंभ: 6 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:23 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर 2025, सुबह 9:16 बजे
- चंद्रोदय समय: शाम 7:40 बजे (स्थान के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है)
शुभ मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:39 से 5:28 बजे तक
- लाभ-उन्नति मुहूर्त: सुबह 10:41 से दोपहर 12:09 बजे तक
- अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: दोपहर 12:09 से 1:37 बजे तक
- खीर रखने का विशेष मुहूर्त: रात 10:37 से 12:09 बजे तक
शरद पूर्णिमा की संपूर्ण पूजा विधि
शरद पूर्णिमा की पूजा विधि अत्यंत पवित्र और फलदायी है। इस दिन विशेषकर माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्रदेव की आराधना की जाती है।
प्रातःकाल की तैयारी
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। यदि नदी उपलब्ध न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्वच्छ और नए वस्त्र धारण करके व्रत और पूजा का संकल्प लें।
पूजा स्थल की तैयारी
घर के उत्तर-पूर्व दिशा में साफ-सफाई करके चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्रदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजा सामग्री:
- घी का दीपक, धूप-अगरबत्ती
- गंगाजल, अक्षत, रोली, कुमकुम
- सफेद और पीले फूल (विशेषकर गुलाब)
- सुपारी, पान के पत्ते
- खीर (गाय के दूध, चावल, चीनी से बनी)
- सफेद मिठाई और फल
पूजा की विधि:
- सर्वप्रथम गणेश जी का आह्वान करें
- देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं
- अक्षत, रोली से तिलक लगाएं
- फूल, धूप, दीप अर्पित करें
- खीर और मिठाई का नैवेद्य चढ़ाएं
- आरती करके प्रार्थना करें
चंद्रमा को अर्घ्य देने की विशेष विधि
शरद पूर्णिमा की सबसे महत्वपूर्ण परंपरा चंद्रमा को अर्घ्य देना है। इस विधि का विशेष महत्व है:
अर्घ्य की विधि:
- तांबे या चांदी के लोटे में जल भरें
- उसमें अक्षत, सफेद चंदन, सफेद पुष्प डालें
- किसी आसन पर खड़े होकर (नंगे पैर न रहें)
- हाथों को सिर से ऊंचा करके एक धार से अर्घ्य दें
- “ॐ चंद्राय नमः” या “ॐ सोम सोमाय नमः” का जाप करें
- तीन या पांच बार गोल-गोल घूमकर अर्घ्य दें
मंत्र:
"ॐ चंद्राय नमः"
"ॐ सोम सोमाय नमः"
"दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम्। नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्।।"
खीर परंपरा: चांदनी में अमृत का संचार
शरद पूर्णिमा की सबसे प्रसिद्ध परंपरा खीर को चांदनी में रखना है। इस परंपरा के पीछे गहरा आध्यात्मिक और वैज्ञानिक आधार है।
खीर की विशेष रेसिपी:
- गाय का शुद्ध दूध
- चावल (बासमती बेहतर)
- चीनी या खजूर
- सूखे मेवे (बादाम, काजू, किशमिश)
- इलायची, केसर
- गंगाजल (एक चम्मच)
चांदनी में रखने की विधि:
- खीर को छोटे मिट्टी के बर्तनों में भरें
- छलनी से ढंकें (सीधी हवा से बचने के लिए)
- छत या खुली जगह चांदनी में रखें
- पूरी रात (तड़के 3 बजे तक) रखें
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठाकर देवी-देवताओं को अर्पित करें
वैज्ञानिक आधार
आयुर्वेद के अनुसार, चांदनी में रखी खीर में शीतलता का गुण बढ़ जाता है जो पित्त दोष को संतुलित करता है। चंद्रमा की किरणों में विशेष गुण होते हैं जो खीर में औषधीय गुण भर देते हैं।
रास पूर्णिमा: श्रीकृष्ण का महारास
शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस रात भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महारास का आयोजन किया था।
महारास की कथा
इस पावन रात्रि में भगवान कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि सुनकर गोपियां अपने घरों को छोड़कर वन में पहुंची थीं। भगवान कृष्ण ने प्रत्येक गोपी के साथ नृत्य करने के लिए अपने अनेक रूप बनाए थे। मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने उस रात्रि को ब्रह्मा की एक रात्रि के बराबर (अरबों वर्ष) तक बढ़ा दिया था।
आध्यात्मिक संदेश
यह महारास केवल नृत्य नहीं था, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक था। यह दर्शाता है कि सच्ची भक्ति में डूबा भक्त कैसे संसार की सभी बंधनों को छोड़कर प्रभु के प्रेम में खो जाता है।
कोजागरी पूर्णिमा: लक्ष्मी माता का आगमन
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। “कोजागरी” शब्द का अर्थ है “कौन जाग रहा है?”
लक्ष्मी माता की कृपा
मान्यता है कि इस रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और पूछती हैं “को जागर्ति” (कौन जागा हुआ है?)। जो भक्त जागकर उनकी आराधना करते हैं, उन पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है।
जागरण की परंपरा
- पूरी रात जागकर भजन-कीर्तन करें
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें
- श्रीसूक्त का जाप करें
- कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें
- श्रीकृष्ण मधुराष्टकम् का गान करें
स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ
शरद पूर्णिमा के दिन की गई साधना और परंपराओं के अनेक लाभ हैं:
शारीरिक लाभ
- चांदनी में रखी खीर पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है
- शरीर की गर्मी कम होती है
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
- मानसिक शांति मिलती है
आध्यात्मिक लाभ
- चंद्रमा की कृपा से मन शांत होता है
- आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है
- धन-संपत्ति में वृद्धि होती है
- मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है
सामाजिक लाभ
- पारिवारिक एकता बढ़ती है
- सामुदायिक भावना का विकास होता है
- संस्कारों का संरक्षण होता है
शरद पूर्णिमा से जुड़ी लोक मान्यताएँ
- इस रात जो जागता है, उसे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
- घर के आँगन में दीप जलाने से दरिद्रता दूर होती है।
- गरीबों को अन्न, कपड़ा और दान करने से पाप क्षय होता है।
कुछ क्षेत्रों में इसे कुमार पूर्णिमा भी कहते हैं, जहाँ अविवाहित कन्याएँ उत्तम पति की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
शरद पूर्णिमा का संदेश
शरद पूर्णिमा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में पूर्णता लाने का संदेश देता है। जिस प्रकार चंद्रमा इस दिन अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है, उसी प्रकार हमें भी अपने व्यक्तित्व को संपूर्ण बनाने का प्रयास करना चाहिए।
यह पर्व हमें सिखाता है कि प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर कैसे जीवन को और भी सुंदर बनाया जा सकता है। चंद्रमा की शीतल किरणें हमें शांति और संतुलन का संदेश देती हैं।
आइए, इस शरद पूर्णिमा पर हम सभी मिलकर इस पावन परंपरा को मनाएं। चांदनी में खीर रखकर प्रकृति के इस अनमोल उपहार का लाभ उठाएं। माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की कृपा प्राप्त करके अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं। जय चंद्रदेव! जय माता लक्ष्मी!
शरद पूर्णिमा की 10 हार्दिक शुभकामनाएं
- शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं! चंद्रमा की पूर्ण कलाओं के साथ आपके जीवन में भी पूर्णता और खुशियों का उजाला आए।
- इस पावन शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी जी की कृपा से आपके घर में धन-धान्य की वृद्धि हो और सुख-समृद्धि का वास हो।

- शरद पूर्णिमा की चांदनी आपके जीवन की सारी परेशानियों को दूर करे और मन को शीतलता एवं शांति प्रदान करे।
- चंद्रदेव की कृपा से आपका स्वास्थ्य उत्तम रहे और शरद पूर्णिमा की खीर की तरह आपका जीवन मिठास से भरा रहे।
- शरद पूर्णिमा के इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण आपको अपने प्रेम रस से सराबोर करें और जीवन में खुशियों की बरसात हो।
- इस कोजागरी पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी आपके घर में प्रवेश करें और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों।
- शरद पूर्णिमा की पावन बेला में चंद्रमा की भांति आपका चेहरा सदैव प्रकाशमान रहे और जीवन में नई उमंग का संचार हो।
- इस रास पूर्णिमा पर आपके परिवार में प्रेम और सौहार्द्र की वृद्धi हो, सभी के चेहरों पर मुस्कान खिली रहे।
- शरद पूर्णिमा का चांदनी भरा यह दिन आपके जीवन में नई शुरुआत लेकर आए और सभी बाधाएं चंद्रकिरणों की भांति दूर हो जाएं।
- चंद्रमा की सोलह कलाओं के समान आपके व्यक्तित्व में भी सभी गुणों का विकास हो और शरद पूर्णिमा आपके लिए मंगलकारी हो।
Sharad Purnima Wishes in Hindi Text
- शरद पूर्णिमा की चाँदनी आपके जीवन को अमृतमय बना दे, माँ लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि सदैव बनी रहे। 🌸

- इस पावन रात्रि पर आपकी हर मनोकामना पूर्ण हो, स्वास्थ्य, धन और भक्ति का संगम आपके जीवन में हमेशा बना रहे। 🌕
- जैसे चाँदनी सब अंधकार मिटा देती है, वैसे ही आपके जीवन से भी सारी परेशानियाँ दूर हों। शुभ शरद पूर्णिमा! ✨
- शरद पूर्णिमा की रात आपके परिवार को प्रेम, शांति और समृद्धि से भर दे। 🌼
- माँ लक्ष्मी की कृपा से आपका घर धन-धान्य और खुशियों से महक उठे। Happy Sharad Purnima! 🙏
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1: शरद पूर्णिमा 2025 कब है और इसका शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर: शरद पूर्णिमा 2025 में 6 अक्टूबर, सोमवार को है। पूर्णिमा तिथि दोपहर 12:23 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 9:16 बजे तक रहेगी। खीर रखने का विशेष मुहूर्त रात 10:37 से 12:09 बजे तक है।
प्रश्न 2: शरद पूर्णिमा पर खीर क्यों चांदनी में रखी जाती है?
उत्तर: मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है। चांदनी में रखी खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। यह परंपरा आयुर्वेद पर आधारित है।
प्रश्न 3: शरद पूर्णिमा की पूजा में कौन से देवता की आराधना करनी चाहिए?
उत्तर: शरद पूर्णिमा पर मुख्यतः माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा की जाती है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है।
प्रश्न 4: रास पूर्णिमा और शरद पूर्णिमा में क्या संबंध है?
उत्तर: शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इसी रात भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महारास लीला की थी। यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है।
प्रश्न 5: कोजागरी पूर्णिमा का क्या महत्व है?
उत्तर: कोजागरी का अर्थ है “कौन जाग रहा है?”। मान्यता है कि इस रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो भक्त जागकर उनकी आराधना करते हैं, उन पर उनकी विशेष कृपा होती है।
प्रश्न 6: शरद पूर्णिमा पर व्रत रखना आवश्यक है क्या?
उत्तर: शरद पूर्णिमा पर व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह अत्यंत फलदायी माना जाता है। जो लोग व्रत रखते हैं, वे चंद्रोदय के बाद ही भोजन करते हैं और रात भर जागरण करते हैं।
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