भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर में दशहरा एक विशेष स्थान रखता है। यह पर्व हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की और देवी दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया। इसलिए दशहरा केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि सत्य, धर्म और सदाचार की विजय का प्रतीक है।
- दशहरा (Dussehra)
- दशहरा का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
- दशहरा कब है 2025
- प्रमुख अनुष्ठान और पूजा विधियाँ
- क्षेत्रीय विविधता में दशहरा
- दशहरा का आध्यात्मिक संदेश
- आधुनिक संदर्भ में दशहरा
- दशहरा और पर्यावरण–सामाजिक जागरूकता
- दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
- Dussehra Wishes in Hindi Text
- विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं संदेश
- दशहरा के खास संदेश और कोट्स कैसे बनाएं
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
दशहरा (Dussehra)
जब अश्विन शुक्ल दशमी तिथि का दिन आता है, तब भारत में दशहरा का पर्व हर्षोल्लास और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सत्य-पथ पर अडिग प्रेम, त्याग और साहस की विजय का प्रतीक है। राम-लीला के मंचन से लेकर रावण-दहन, माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा से लेकर नए आरंभों का शुभारंभ—दशहरा में छिपा है जीवन को धर्म-दर्शन से जोड़ने का संदेश। आइए जानें दशहरे का आध्यात्मिक महत्त्व, प्रमुख अनुष्ठान और इसका आधुनिक संदर्भ।
दशहरा का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
दशहरा की पौराणिक कथा दो प्रमुख प्रसंगों पर आधारित है:
श्री राम और रावण का युद्ध
त्रेतायुग में अयोध्या के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने रावण का वध करके अधर्म पर धर्म की विजय दर्ज की। रावण का दस सिर अधर्मी वृत्त का प्रतीक थे, जिन्हें श्री राम के बाण-शक्ति ने नष्ट किया।
नवरात्रि के अंत में दुर्गा का महिषासुर संहार
माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक तपस्या करके शक्ति-स्वरूप धारण किया और नवमी दिवस पर महिषासुर का संहार करके जगत में धर्म की स्थापना की। दशमी तिथि को इन दोनों विजय का उत्सव दशहरा कहलाया।
इन कथाओं में यह स्पष्ट संदेश है कि सत्य, भक्ति और त्याग से बड़ा कोई अस्त्र नहीं, और अंततः धर्म की विजय होती है।
दशहरा कब है 2025
- दशमी तिथि और शुभ मुहूर्त (2025 का दृष्टांत)
- वर्ष 2025 में दशहरा पर्व गुरुवार, 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
- दशमी तिथि प्रारंभ: 1 अक्टूबर शाम 7:01 बजे
- पुष्पदार्शिनी योग: 2 अक्टूबर शाम 7:10 बजे
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:09 से 2:56 बजे तक
- अपराह्न पूजा काल: दोपहर 1:21 से 3:44 बजे तक
इन मुहूर्तों में शस्त्र-पूजा, शमी-पूजा, अपराजिता-पूजा एवं रावण-दहन जैसे अनुष्ठान विधिवत किए जाते हैं, जिससे जीवन में विजय, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
प्रमुख अनुष्ठान और पूजा विधियाँ
शस्त्र पूजा (आयुध पूजन)
इस दिन सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र, औजार, वाहनों और उपकरणों की पूजा की जाती है। पारंपरिक रूप से हल्दी, रोली और अक्षत अर्पित करके पूर्वजों की वीरता और आत्मप्रतिष्ठा का स्मरण होता है।
शमी पूजा
शमी वृक्ष को वीरता और समृद्धि प्रदान करने वाला प्रतीक माना जाता है। प्रभातकाल में इसकी महत्वपूर्ण शाखा पूजा जाती है, जिसे बाद में परिवार में बांधकर विजय का आशीर्वाद स्वीकार किया जाता है।
अपराजिता पूजा
अपराजिता देवी की आराधना से बाधाओं पर विजय का आशीर्वाद मिलता है। कथा है कि राम-लला ने रावण-वध से पूर्व देवी अपराजिता का पूजन किया था।
रावण-दहन एवं रामलीला
रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन अधर्म के प्रतीकात्मक संहार को दर्शाता है। उत्तर भारत में ग्राम-नगरों में रामलीला के मंचन से राम-कथा का जीवंत चित्रण होता है।
सीमा-अवलांगन
युद्धभूमि में सीमाएँ पार कर विजय प्राप्ति की भावना का प्रतिनिधित्व करता यह अनुष्ठान साहस और निश्चय का प्रतीक है।
क्षेत्रीय विविधता में दशहरा
- उत्तर भारत: रामलीला, रावण-दहन और भजन-कीर्तन का आयोजन।
- पश्चिम भारत: गरबा-डांडिया, सांस्कृतिक नृत्य एवं उत्सव।
- पूर्वोत्तर भारत: दुर्गापूजा का समापन ‘दशैं’ के रूप में मनाया जाता है।
- दक्षिण भारत: विद्यारंभ (अक्षरारंभ) जैसे शुभ कर्म दशहरे को समर्पित होते हैं।
प्रत्येक क्षेत्र में दशहरे का उत्सव स्थानीय रीति-रिवाजों और संस्कृति के अनुरूप रंग-बिरंगा चित्र प्रस्तुत करता है।
दशहरा का आध्यात्मिक संदेश
दशहरा हमें यह शिक्षा देता है कि मनुष्य के अंतर्जगत में जो गुण—अहंकार, क्रोध, मोह, तथा लोभ—के रूप में अधर्म की जड़ें हैं, उनका दहन कर सत्य, करुणा, त्याग और धैर्य के दीपक जलाने चाहिए। राम-लीला और दुर्गा पूजा दोनों ही हमें कर्तव्यनिष्ठा, न्याय-परायणता और आत्मबल का महत्व सिखाती हैं।
आधुनिक संदर्भ में दशहरा
आज के समय में दशहरा नए आरंभ और सफलता का शुभ दिन बन चुका है:
- व्यवसाय: नई परियोजनाएं और स्टार्टअप का शुभारंभ।
- शिक्षा: विद्यालयों में विद्यारंभ समारोह एवं शिक्षा उत्सव।
- समाजिक कार्यक्रम: सामूहिक सेवा, रक्तदान शिविर और पर्यावरण जागरूकता अभियान भी अक्सर दशहरे पर आयोजित होते हैं।
दशहरा और पर्यावरण–सामाजिक जागरूकता
वर्तमान में रावण-दहन के उत्साह के साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है:
- प्राकृतिक पुतले: जैव-विघटनीय सामग्री से निर्मित पुतले।
- प्लास्टिक-मुक्त आयोजन: पारंपरिक सजावट और वस्त्र।
- शोर-शराबा नियंत्रण: ध्वनि प्रदूषण से बचाव।
इससे त्योहार का आनंद पर्यावरण-संरक्षण के साथ संतुलित होता है।
दशहरा केवल त्योहार नहीं, बल्कि जीवन का उत्सव है जिसमें सत्य की विजय, धर्म की प्रतिष्ठा और आध्यात्मिक जागृति का संगम होता है। इस दशमी तिथि पर रावण-दहन, शस्त्र-पूजा, शमी-पूजा और अपराजिता पूजा का विधिवत अनुष्ठान करने से आत्मबल, साहस और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इस पावन अवसर पर अपने कर्तव्यों का पालन करें एवं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय की अनुभूति करें।
दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है दशहरा, आपके जीवन में भी विजय का उजाला फैलाए। शुभ दशहरा!

- रावण के दस सिर हमें याद दिलाते हैं कि क्रोध, अहंकार और बुराई का अंत निश्चित है। हैप्पी दशहरा!
- दशहरा हमें सिखाता है—धैर्य, साहस और सत्य की शक्ति सबसे बड़ी है। विजयादशमी की शुभकामनाएँ!
- भगवान राम के आदर्श आपके जीवन में भी विजय और सफलता का मार्ग प्रशस्त करें। शुभ दशहरा!
- दशहरा का पर्व आपके जीवन से हर अंधकार मिटाकर सुख-शांति और समृद्धि लाए।
- असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा आपके जीवन में सच्चाई और खुशियाँ लाए। शुभ दशहरा!
- सत्य की जीत का संदेश देने वाला दशहरा आपके परिवार में आनंद एवं समृद्धि का आगमन करे। हैप्पी दशहरा!
- भगवान श्रीराम का आशीर्वाद सदा आपके साथ रहे, हर विपत्ति का अंत हो। विजयदशमी की शुभकामनाएँ।
- अच्छाई की जीत का उत्सव है दशहरा, आपके जीवन में हमेशा बुराई का नाश होता रहे। शुभ दशहरा !
Dussehra Wishes in Hindi Text
- अधर्म पर धर्म की जीत, अन्याय पर न्याय की विजय – यही है दशहरा का त्योहार। शुभ विजयदशमी!
- आपके घर में खुशियों का मेला लगे, हर दिन मंगलमय हो। दशहरा पर्व की शुभकामनाएँ।
- फूलों की तरह जीवन महके, दुखों का साया कभी न रहे। शुभ दशहरा!
- प्रेम एवं सत्य की राह दिखाए दशहरा, आपके जीवन में सुख और सौभाग्य लाए। हैप्पी दशहरा!
- दशहरा का त्योहार हर मन के रावण को जलाए और अच्छे विचारों को जगाए। शुभ दशहरा।
- सफलता, स्वास्थ्य और शांति हमेशा आपके जीवन में बनी रहे। दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ।
- अधर्म पर धर्म का जयकार हो, हर दिन शुभता के साथ व्यतीत हो।
- सुख-शांति से जीवन भरे, श्रीराम का आशीर्वाद हरदम मिले। शुभ विजयदशमी!
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं संदेश
माँ दुर्गा के पावन चरणों में सारा जग रम जाए,
उनकी कृपा से आपका जीवन आनन्दमय हो जाए।

- नवरात्रि के आशिर्वाद से मिले आपको अभूतपूर्व शक्ति,
माता भवानी का आशीर्वाद कर दे हर दुख की समाप्ति। - माँ दुर्गा की दिव्य शक्तियाँ आपके घर पर हमेशा बनी रहें,
विजयादशमी पर उनका आशीर्वाद आपके जीवन को समृद्धि दें। - माँ के चरणों में झुककर मिलता है अद्भुत आत्मिक सुख,
दुर्गा पूजा का यह पर्व लाए आपके जीवन में अपार धैर्य एवं यश।
माता का तेज हर अंधकार को प्रकाश में बदल दे,
माँ दुर्गा अपने आशीर्वाद से आपका हर दिन मंगल कर दे।
Vijayadashami Wishes in Hindi Text
- मां दुर्गा आपके घर आकर प्रेम, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद दें।
- मां की नौ शक्तियाँ आपके जीवन के नौ द्वार खोलें और सफलता का मार्ग प्रशस्त करें।
- जो मां दुर्गा का स्मरण करता है, उसके जीवन से भय और दुख दूर हो जाते हैं।
- मां की भक्ति में जो डूब जाता है, उसके जीवन में हमेशा विजय ही विजय होती है।
- मां दुर्गा आपके जीवन में सुख, शांति और मंगल की वर्षा करें।
दशहरा के खास संदेश और कोट्स कैसे बनाएं
दशहरा के खास संदेश और कोट्स बनाने के लिए इन आसान टिप्स अपनाए जा सकते हैं:
- पर्व के भाव और संदेश को केंद्र में रखें—सत्य की विजय, बुराई पर अच्छाई की जीत, परिवार और समाज में प्रेम जैसे विषय शामिल करें.
- प्रेरणादायक भाषा, सरल शब्दों और सकारात्मक भाव का चयन करें, जो हर आयु वर्ग के लिए प्रेरक हो.
- आध्यात्मिक या धार्मिक प्रतीकों का उल्लेख करें—जैसे भगवान राम, रावण, विजयादशमी, माँ दुर्गा आदि.
- कविता, शायरी या स्लोगन शैली अपनाएं जिससे संदेश आकर्षक लगे.
लोगों को बधाई देने के साथ अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करें—सच बोलें, सभी में प्रेम और भाईचारा रखें.
उदाहरण:
- “दशहरा हमें याद दिलाता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो, जीत हमेशा अच्छाई की होती है।”
- “भगवान श्रीराम की कृपा आप पर बनी रहे, हर परेशानी का अंत हो। शुभ दशहरा!”
- “इस विजयादशमी पर जीवन में खुशियाँ, सफलता और समृद्धि आए।”
- “असत्य पर सत्य की जीत का जश्न, दशहरा आपके जीवन में नई रोशनी लेकर आए।”
ट्रिक्स:
- संदेश में ‘शुभ दशहरा’, ‘विजयदशमी की शुभकामनाएं’, ‘खुशियों का त्योहार’ जैसी फ्रेज़ जरूर जोड़ें.
- अपने विचारों को भावनात्मक या उत्सवपूर्ण रखें और परिवार, दोस्त या सामाजिक मीडिया के अनुसार कस्टमाइज करें.
- इन सुझावों से आप खुद भी रचनात्मक और भावुक संदेश/कोट्स तैयार कर सकते हैं जो हर दशहरा को खास बना देंगे.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. दशहरा किस दिन मनाया जाता है?
दशहरा शारदीय नवरात्रि के समापन पर दशमी तिथि को मनाया जाता है; वर्ष 2025 में यह 2 अक्टूबर को है।
2. शस्त्र पूजा का महत्व क्या है?
शस्त्र पूजा आत्म-संरक्षण, व्यवसायिक उपकरणों एवं वाहन-उपकरणों की सुरक्षा और सफलता के लिए की जाती है।
3. शमी पूजा क्यों की जाती है?
शमी वृक्ष को विजय, वीरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है; इसकी पूजा से आत्मबल में वृद्धि होती है।
4. रावण दहन का क्या प्रतीकात्मक अर्थ है?
रावण दहन अहंकार, क्रोध और लोभ के संहार का प्रतीक है, जो मन की अशुद्धियों को दूर करता है।
5. दशहरे पर कौन सा शुभ मुहूर्त होता है?
विजया मुहूर्त दशमी तिथि में दोपहर 2:09–2:56 बजे तक रहता है, जिसे नए कार्य आरंभ के लिए शुभ माना जाता है।
6. अपराजिता पूजा कैसे करें?
अपराजिता देवी के फूल अर्पित करके और ‘ॐ अपराजितायै नमः’ मंत्र जाप कर पूजा की जाती है, जिससे सभी बाधाओं पर विजय मिलती है।
7. दशहरे में विद्यारंभ क्यों किया जाता है?
दक्षिण भारत में विद्यारंभ समारोह को अक्षरारंभ कहा जाता है, जिससे शिक्षा-अध्ययन का शुभारंभ होता है।
8. पर्यावरण–सुरक्षित दशहरा कैसे मनाएं?
जैव-विघटनीय पुतले बनाएँ, प्लास्टिक-मुक्त सजावट करें और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण पर ध्यान दें।
9. दशहरा का आध्यात्मिक संदेश क्या है?
दशहरा हमें सिखाता है कि सत्य, धर्म और भक्ति की शक्ति कभी पराजित नहीं होती; मन के अंधकार को दूर कर सत्य की ज्योति जलाएं।
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