भारत की परंपराओं में हर त्यौहार केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संदेश और जीवन-दर्शन का वाहक होता है। इन्हीं पर्वों में से एक है विश्वकर्मा पूजा (विश्वकर्मा जयंती), जो सृजन, श्रम और साधना का अद्वितीय संगम है। भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का प्रथम शिल्पकार और सृष्टि का महान अभियंता माना गया है।
यह दिन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने परिश्रम से दुनिया को सुंदर और समर्थ बनाता है। चाहे वह कारीगर हो, मजदूर, इंजीनियर या आधुनिक तकनीक से जुड़े युवा सब इस दिन औजारों और साधनों की पूजा करते हैं तो आइये जानते है विश्वकर्मा पूजा के बारे में विस्तार से इस लेख में:
श्रम में ही ईश्वर बसे, औजारों में प्रभु प्रकाश, श्री विश्वकर्मा जी की आराधना, देती श्रमिकों को उल्लास॥
- विश्वकर्मा पूजा (विश्वकर्मा जयंती)
- विश्वकर्मा पूजा 2025 (Vishwakarma Puja 2025): तिथि और शुभ मुहूर्त
- विश्वकर्मा: दिव्य शिल्पकार की महिमा
- श्री विश्वकर्मा जी की दिव्य रचनाएं
- विश्वकर्मा पूजा का आध्यात्मिक महत्व
- पूजा विधि और अनुष्ठान
- विशेष मंत्र जाप
- 2025 में विशेष योग संयोग
- आधुनिक जीवन में विश्वकर्मा पूजा की प्रासंगिकता
- विश्वकर्मा पूजा के व्यापक लाभ
- समसामयिक चुनौतियां और समाधान
- उत्सव की परंपराएं
- विश्वकर्मा पूजा: सृजन से मुक्ति का मार्ग
- श्री विश्वकर्मा जी की आरती
- विश्वकर्मा पूजा 2025 शुभकामनाएँ (Short Wishes)
- विश्वकर्मा पूजा की शुभकामनाएं (long and Spiritual Wishes)
- विश्वकर्मा पूजा: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
विश्वकर्मा पूजा (विश्वकर्मा जयंती)
जब श्रम और कौशल की शक्ति आध्यात्म के साथ मिलकर एक पावन त्योहार का रूप लेती है, तब जन्म लेता है विश्वकर्मा पूजा का यह पवित्र पर्व। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मानव सभ्यता के सबसे महत्वपूर्ण तत्व कारीगरी, तकनीक और श्रम के प्रति श्रद्धांजलि का अनूठा उत्सव है। भगवान विश्वकर्मा, जिन्हें “देव शिल्पी” और “सृष्टि के पहले इंजीनियर” के रूप में जाना जाता है, के इस पावन पर्व में छुपा है मानवीय सृजनशीलता और प्राकृतिक संसाधनों के बीच सामंजस्य का गूढ़ संदेश।
विश्वकर्मा पूजा 2025 (Vishwakarma Puja 2025): तिथि और शुभ मुहूर्त
पावन तिथि
विश्वकर्मा पूजा 2025 का पावन अवसर 17 सितंबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। यह पर्व कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है, जब सूर्य देव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं।
- तारीख : बुधवार, 17 सितम्बर 2025
- संक्रांति समय : प्रातः 1:55 बजे
- पूजन मुहूर्त : प्रातः 6:07 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक
यह समय विशेष रूप से औजारों की पूजा और भगवान विश्वकर्मा की आराधना के लिए उत्तम माना गया है।
संक्रांति का समय
सूर्य देव 17 सितंबर को रात 1:54 बजे कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। सनातन परंपरा में उदया तिथि को मान्य माना जाता है, इसलिए 17 सितंबर को ही पूजा संपन्न की जाएगी।
शुभ मुहूर्त
- पुण्य काल: सुबह 5:36 से दिन 11:44 बजे तक
- महा पुण्य काल: सुबह 5:36 से 7:39 बजे तक
- एकादशी तिथि: रात 12:21 से रात 11:39 बजे तक
विश्वकर्मा: दिव्य शिल्पकार की महिमा
वैदिक परंपरा में स्थान
भगवान विश्वकर्मा का उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है, जहां उन्हें अद्भुत रचनाकार के रूप में दर्शाया गया है। वे ब्रह्मा जी की सातवीं संतान माने जाते हैं ।
श्री विश्वकर्मा जी की दिव्य रचनाएं
भगवान विश्वकर्मा की अनेक अद्भुत कृतियां हैं:
- स्वर्गलोक और देवताओं के महल
- सोने की लंका (रावण की राजधानी)
- द्वारका नगरी (श्रीकृष्ण की नगरी)
- पुष्पक विमान और अन्य दिव्य विमान
विश्वकर्मा पूजा का आध्यात्मिक महत्व
कर्मयोग का आदर्श
विश्वकर्मा पूजा कर्मयोग का आदर्श प्रस्तुत करती है, जिसमें व्यक्ति अपने कार्यों के प्रति निष्ठा और समर्पण रखता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि श्रम केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना का भी माध्यम है।
सृजनशीलता की पूजा
यह त्योहार मानवीय सृजनशीलता और कौशल के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अनूठा अवसर है। औजार, मशीनें और तकनीक को केवल धातु के टुकड़े न मानकर कर्म और आजीविका का आधार माना जाता है।
प्रकृति और तकनीक का संतुलन
विश्वकर्मा पूजा हमें सिखाती है कि तकनीकी प्रगति और प्राकृतिक संसाधनों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। भगवान विश्वकर्मा ने प्रकृति के तत्वों का उपयोग करके अद्भुत रचनाएं कीं।
पूजा विधि और अनुष्ठान
प्रारंभिक तैयारी
विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर निम्नलिखित कार्य करें:
- सफाई: अपनी गाड़ी, मोटर या दुकान की मशीनों को साफ करें
- स्नान: घर की साफ-सफाई के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
- पूजा स्थल: कार्यस्थल और पूजा स्थान को अच्छी तरह साफ करें
मंत्रोच्चार और आरती :
“ॐ विश्वकर्मणे नमः” का जप और विशेष आरती की जाती है।
प्रसाद वितरण : पूजा उपरांत प्रसाद और सामूहिक भोजन का आयोजन होता है।
मुख्य पूजा विधि
1. प्रतिष्ठा
- लकड़ी की चौकी पर विश्वकर्मा जी का आसन बनाएं
- विश्वकर्मा जी का पौराणिक चित्र स्थापित करें
- यदि तस्वीर न मिले तो लाल मशाल (सृजन के प्रतीक) को स्थापित करें
2. पवित्रीकरण
- कुशा से गंगाजल छिड़ककर पवित्रीकरण करें
- तिलक अर्पित करें और पृथ्वी पूजन करें
3. आवाहन और प्रार्थना
सभी के हाथ में अक्षत और पुष्प देकर विश्वकर्मा देव का आवाहन करें और निम्नलिखित प्रार्थनाएं करें:
- पुस्तक स्पर्श: “हे विश्वकर्मा प्रभो! हमें सृजन का ज्ञान दें”
- पैमाना स्पर्श: “हमें शक्ति-साधना दें और जिम्मेदारी दें”
- पात्र स्पर्श: “हमें कौशल और बहादुरी प्रदान करें”
- सूत्र स्पर्श: “हमें धैर्य और दृढ़ता दें”
4. पूजा सामग्री अर्पण
- धूप, दीप, अगरबत्ती जलाएं
- खीरा का भोग विशेष रूप से चढ़ाएं (विश्वकर्मा जी को खीरा अति प्रिय है)
- फल, मिठाई, और मौसमी फूल अर्पित करें
विशेष मंत्र जाप
विश्वकर्मा गायत्री मंत्र:
ॐ विश्वकर्मणे विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि। तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्॥
शांति मंत्र:
विश्वकर्मन् नमस्तेऽस्तु विश्वात्मन् विश्वसम्भव:।
अपवर्गोऽसि भूतानां पंचानां परत: स्थित:॥
2025 में विशेष योग संयोग
शुभ ग्रह योग
इस वर्ष विश्वकर्मा जयंती पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं:
- शिव योग
- परिघ योग
- शिववास योग
बुधवार का विशेष महत्व
2025 में विश्वकर्मा जयंती बुधवार को पड़ रही है। ज्योतिष के अनुसार बुधवार बुध ग्रह को समर्पित होता है, जो बुद्धि, कौशल और व्यवसाय का कारक है। इससे इस वर्ष का पर्व और भी शुभ फलदायी माना जा रहा है।
आधुनिक जीवन में विश्वकर्मा पूजा की प्रासंगिकता
तकनीकी युग में आध्यात्म
आज के डिजिटल युग में जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स का विकास हो रहा है, विश्वकर्मा पूजा हमें याद दिलाती है कि तकनीक का उपयोग मानव कल्याण के लिए होना चाहिए। भगवान विश्वकर्मा का आदर्श हमें सिखाता है कि नवाचार और नैतिकता दोनों साथ चलने चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण
विश्वकर्मा जी की शिक्षाएं आधुनिक सस्टेनेबल डेवलपमेंट की अवधारणा से मेल खाती हैं। उन्होंने प्राकृतिक तत्वों का संतुलित उपयोग करके अद्भुत रचनाएं कीं, जो आज के पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों के अनुकूल है।
विश्वकर्मा पूजा के व्यापक लाभ
- व्यक्तिगत लाभ
- कार्य में निरंतर सफलता और उन्नति
दुर्घटनाओं से सुरक्षा और मशीन संबंधी समस्याओं से मुक्ति
- कारोबार और रोजगार में वृद्धि
- कौशल विकास और तकनीकी ज्ञान में वृद्धि
सामाजिक लाभ
- कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार
- कर्मचारियों में एकजुटता का भाव
- श्रम और कौशल के प्रति सामाजिक सम्मान
- तकनीकी शिक्षा को प्रोत्साहन
समसामयिक चुनौतियां और समाधान
बेरोजगारी की समस्या
आज के युग में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या के बीच, विश्वकर्मा पूजा हमें स्किल डेवलपमेंट और उद्यमिता की दिशा में प्रेरित करती है। यह पर्व युवाओं को तकनीकी कौशल सीखने और नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता का युग
जैसे-जैसे AI और ऑटोमेशन का विस्तार हो रहा है, मनुष्य की भूमिका बदल रही है। विश्वकर्मा पूजा हमें सिखाती है कि तकनीक के साथ तालमेल बिठाते हुए अपनी रचनात्मकता और मानवीय गुणों को बनाए रखना चाहिए।
उत्सव की परंपराएं
सामुदायिक उत्सव
विश्वकर्मा पूजा केवल व्यक्तिगत पूजा नहीं, बल्कि सामुदायिक उत्सव का रूप लेती है। कारखानों, फैक्ट्रियों और कार्यशालाओं में सामूहिक पूजा आयोजित की जाती है। यह कर्मचारियों में भाईचारे की भावना विकसित करती है।
रात्रि जागरण
विश्वकर्मा पूजा की रात रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा के भजन और कीर्तन किए जाते हैं। यह आध्यात्मिक साधना और सामुदायिक संस्कृति दोनों को बढ़ावा देता है।
भारत भर में उत्सव
- पूर्वी भारत (बंगाल, ओडिशा, बिहार, असम) : कारखानों और कार्यस्थलों में विशेष उत्सव और मेले।
- उत्तर भारत : दुकानों और दफ्तरों में पूजा और हवन।
- दक्षिण भारत : औद्योगिक क्षेत्रों में सामूहिक भक्ति और आयोजन।
विश्वकर्मा पूजा: सृजन से मुक्ति का मार्ग
विश्वकर्मा पूजा हमें सिखाती है कि श्रम ही पूजा है और कौशल ही भक्ति है। यह पर्व केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि जीवन भर के लिए कर्मठता, ईमानदारी और सृजनशीलता का संदेश है। जब हम अपने काम को पूजा की तरह करते हैं, तब वह केवल आजीविका का साधन न रहकर आत्मिक उन्नति का माध्यम बन जाता है।
आज के तेजी से बदलते युग में, जब तकनीक और मानवता के बीच संतुलन बनाना चुनौती है, विश्वकर्मा जी का आदर्श हमारा मार्गदर्शन करता है। वे हमें सिखाते हैं कि प्रगति और प्रकृति, नवाचार और नैतिकता, तकनीक और आध्यात्म के बीच सामंजस्य बनाना संभव है।
17 सितंबर 2025 की विश्वकर्मा पूजा पर आइए हम संकल्प लें कि हम अपने कार्य को पूजा बनाएंगे, अपनी कुशलता को भक्ति का रूप देंगे, और इस प्रकार कर्म के माध्यम से कर्मों से मुक्ति का मार्ग अपनाएंगे।
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥”
यही है विश्वकर्मा पूजा का सच्चा संदेश निष्काम कर्म के माध्यम से परमात्मा की प्राप्ति।
श्री विश्वकर्मा जी की आरती
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा॥
विश्वकर्मा पूजा 2025 शुभकामनाएँ (Short Wishes)

- जय विश्वकर्मा देव, आपका हर श्रम सफल हो।
- श्रम ही पूजा है—विश्वकर्मा पूजा की शुभकामनाएँ।
- औजारों में प्रभु का प्रकाश, जीवन में खुशियों का आभास।
- श्री विश्वकर्मा भगवान का आशीर्वाद आपके जीवन को समृद्ध बनाए।
- आपका हर कार्य सफल हो और हर दिन मंगलमय हो। शुभ विश्वकर्मा पूजा।
- सृजन बने साधना, श्रम बने आराधना जय विश्वकर्मा।
- इस विश्वकर्मा पूजा पर आपको सुख, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद मिले।
विश्वकर्मा पूजा की शुभकामनाएं (long and Spiritual Wishes)
- भगवान श्री विश्वकर्मा जी आपको जीवन में श्रम की शक्ति, साधना की पवित्रता और सृजन की अनंत ऊर्जा प्रदान करें। विश्वकर्मा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं।
- श्रम ही पूजा है और औजार ही आराधना। इस विश्वकर्मा पूजा पर आपका हर प्रयास सफल हो और जीवन समृद्धि से भर जाए।
- जय विश्वकर्मा देव! आपके कार्यस्थल पर सदैव सुरक्षा, आपके औजारों में दिव्यता और आपके जीवन में खुशहाली बनी रहे।
- विश्वकर्मा पूजा का यह पावन अवसर आपके जीवन में नई ऊर्जा, नए विचार और असीम सफलता लेकर आए।
- औजारों में छिपा है ईश्वर का प्रकाश आपका हर श्रम हो साधना और हर सृजन बने उत्सव। विश्वकर्मा पूजा की मंगलकामनाएँ।
- विश्वकर्मा पूजा पर भगवान से यही प्रार्थना है कि आपका श्रम फलदायी हो, जीवन मंगलमय हो और हर कार्य में सफलता मिले।
- श्रम से ही सृजन है और सृजन से ही जीवन। विश्वकर्मा पूजा आपके जीवन में नई प्रेरणा और उन्नति लेकर आए।
विश्वकर्मा जयन्ती की सुंदर, आध्यात्मिक और प्रेरणादायी शुभकामनाए (Vishwakarma Puja Wishes in Hindi)
- विश्वकर्मा भगवान की कृपा से आपके हर औजार में दिव्यता और हर कार्य में सफलता का प्रकाश फैले। विश्वकर्मा जयन्ती की शुभकामनाएँ !
- श्रमिकों के देव, विश्वकर्मा प्रभु का आशीर्वाद आपके जीवन को खुशहाली और कार्यस्थल को सुरक्षा से भर दे।
- सृजन ही जीवन है विश्वकर्मा जयन्ती पर भगवान आपके जीवन में नव ऊर्जा और कर्म में असीम शक्ति प्रदान करें।
- विश्वकर्मा जयन्ती का यह पावन पर्व आपके सपनों को साकार करे और आपकी मेहनत को सफलता का वरदान मिले।
- भगवान विश्वकर्मा आपके जीवन से कठिनाइयों को दूर कर सुख, समृद्धि और सदैव मंगल का आशीर्वाद दें।
- विश्वकर्मा जयन्ती का शुभ अवसर आपके जीवन में श्रम की शक्ति और सृजन की प्रेरणा लेकर आए।
- औजार बने आरती की थाली और श्रम बने पूजा का गीत। विश्वकर्मा जयन्ती पर जीवन हो मंगलमय और कार्य हो सफल।
- श्री विश्वकर्मा भगवान की कृपा से आपके हर प्रयास में सफलता और हर कदम पर तरक्की का उजाला हो।
- जो औजारों में देवत्व को देखे, वही श्रम को साधना मान सके। इस विश्वकर्मा जयन्ती पर आपको मिले यही आशीर्वाद।
- विश्वकर्मा जयन्ती का यह पर्व आपके घर-परिवार में सुख-शांति और आपके कार्यक्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ लेकर आए।
विश्वकर्मा पूजा: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
विश्वकर्मा पूजा कब मनाई जाती है?
विश्वकर्मा पूजा हर वर्ष कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है इस वर्ष 2025 में यह पर्व 17 सितंबर को मनाया जाएगा।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व क्या है?
यह पूजा देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के प्रति श्रम, कौशल एवं तकनीक की श्रद्धा का प्रतीक है। इसे कर्मयोग और सृजनशीलता की दिव्यता का उत्सव माना गया है।
पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
- पुण्य काल: सुबह 5:36 से दोपहर 11:44 बजे तक
- महा पुण्य काल: सुबह 5:36 से 7:39 बजे तक
- एकादशी तिथि: रात 12:21 से रात 11:39 बजे तक।
पूजा विधि में क्या-क्या शामिल है?
- स्थान एवं औजारों की सफाई और स्वच्छ वस्त्र धारण
- कुशा एवं गंगाजल से पवित्रीकरण
- विश्वकर्मा जी की प्रतिष्ठा या चित्र/मशाल की स्थापना
- धूप-दीप-अगरबत्ती जलाना, खीरे का भोग अर्पित करना
- विश्वकर्मा गायत्री मंत्र और अन्य श्लोकों का जाप।
कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
- खीरा (विशेष भोग)
- फूल, अक्षत, फल, मिठाई
- धूप, दीप, अगरबत्ती
- गंगाजल, कुशा, तिल।
विश्वकर्मा मंत्र कौन सा जपे?
विश्वकर्मा गायत्री मंत्र:
ॐ विश्वकर्मणे विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि। तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्॥
इसका वैज्ञानिक या व्यावसायिक लाभ क्या है?
पूजा से कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा, कर्मचारियों में एकजुटता, तथा कौशल और व्यवसाय में वृद्धि होती है।
किस ग्रह योग में पूजा और भी फलदायक होती है?
वर्ष 2025 में बुधवार (बुध ग्रह) को होने वाली पूजा, विशेष रूप से शिव योग और परिघ योग से अधिक शुभ फल देती है।
विश्वकर्मा जी की कौन-सी रचनाएं प्रमुख हैं?
वे स्वर्गलोक, पुष्पक विमान, सोने की लंका, द्वारका सहित अनेक दिव्य कृतियां करने वाले देव शिल्पी माने गए हैं।
क्या पूजा केवल सेवादारों या श्रमिकों को करनी चाहिए?
विश्वकर्मा पूजा में सभी श्रमिक, कारीगर, इंजीनियर, तकनीशियन सहित हर वह व्यक्ति शामिल हो सकता है जो श्रम और कौशल के क्षेत्र में कार्यरत है।
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(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। Publicreact.in इसकी पुष्टि नहीं करता है।)





















