होमपर्यटन और टूरिज़्मआध्यात्मिक यात्राएँश्री राधा जी के प्रसिद्ध मंदिर: बरसाना, वृन्दावन और...

श्री राधा जी के प्रसिद्ध मंदिर: बरसाना, वृन्दावन और रावल धाम की दिव्य यात्रा

जानिए, राधा रानी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर कहाँ-कहाँ हैं?

ब्रज भूमि, उत्तर प्रदेश का वह पवित्र क्षेत्र है जहाँ श्री राधा और श्री कृष्ण की प्रेम-कथा सजीव हो उठती है। यहाँ के 4  प्रमुख तीर्थस्थल—मन्दिर श्री लाड़ली जी महाराज (बरसाना), श्री सेवाकुँज मन्दिर (वृंदावन), श्री राधावल्लभ मंदिर, वृन्दावन तथा राधा रानी का जन्मस्थान रावल गांव—सनातन के लिए आत्मिक अनुभूति के केंद्र हैं। ये स्थल न केवल ऐतिहासिक महत्त्व रखते हैं, बल्कि आज भी भक्तों के हृदय में अटूट भक्ति जागृत करते हैं। तो आइये जानते है श्री राधा जी के प्रसिद्ध मंदिरो के बारे में विस्तार से।

श्री राधा जी के प्रसिद्ध मंदिर

मन्दिर श्री लाड़ली जी महाराज, बरसाना

बरसाना का श्री लाड़ली जी महाराज मंदिर लगभग 5,000 वर्ष पुराना कहा जाता है। इसे सबसे पहले राजा वज्र NABh ने स्थापित किया था, और 1675 ईस्वी में राजा बीर सिंह देव ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर देहाती शिल्पकला और भव्य वास्तुकला का अद्वितीय नमूना है।

इस मंदिर का नाम “लाड़ली जी” इसलिए पड़ा क्योंकि 1602 ईस्वी में नारायण भट्ट ने श्री राधा रानी का स्वरूप ब्रह्मांचल पर्वत पर देखा, और उन्होंने देवी को पुत्री समान प्यार से “लाड़ो”, “लाडाइती” तथा “लाड़ली” कहा। तभी से यह मंदिर लाड़ली जी महाराज के नाम से विख्यात हो गया।

मुख्य उत्सव

  • राधाष्टमी (भाद्र मास) में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
  • विश्वप्रसिद्ध लठमार होली के दौरान करीब 40 दिन तक रंग-अनुराग का अद्भुत उत्सव मनाया जाता है।

मंदिर दर्शन समय

  • ग्रीष्म: सुबह 5:00–1:30, शाम 4:30–9:00
  • शिशिर: सुबह 6:00–1:00, शाम 4:30–8:00
shri Radha ji mandir barsana

श्री सेवाकुँज मन्दिर, वृंदावन

वृंदावन के सेवाकुँज (निकुंज वन) का आध्यात्मिक महत्व इसीलिए है कि यहीं रासलीला के पश्चात् भगवान श्री कृष्ण राधा रानी की सेवा किया करते थे। इसी सेवा-भाव से इसका नाम “सेवाकुँज” पड़ा।

रात्रि में यह मंदिर बंद कर दिया जाता है, क्योंकि आस्था है कि श्री राधा–कृष्ण की दिव्य रासलीला यहीं होती रहती है। सुबह भक्त आते हैं तो फूल-कपड़े, प्रसाद एवं अन्य सामग्री खण्डित प्राप्त होती है, जिससे ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव होता है।

1590 ईस्वी में स्वामी हित हरिवंश ने इस वन का उद्घाटन किया था। मंदिर की दीवारों पर राधासुधनिधि श्लोक अंकित हैं तथा चित्रकला में कृष्ण लीला के दृश्य प्रदर्शित हैं।

मुख्य स्थल

  • ललिता कुंड: श्री कृष्ण ने ललिता देवी को पानी पिलाने के लिए बांसुरी बजाई, जिससे यह कुंड उत्पन्न हुआ।
  • केली कठम trees: इनके तना पर शालिग्राम समान चिन्ह दिखते हैं।

मंदिर दर्शन समय

  • सुबह 8:00–11:00
  • शाम 5:00–7:30
श्री सेवाकुँज मन्दिर वृंदावन

श्री राधावल्लभ मंदिर, वृन्दावन

वृन्दावन स्थित श्री राधावल्लभ मंदिर राधा-कृष्ण भक्ति का अद्भुत केंद्र है। यह मंदिर राधावल्लभ संप्रदाय का प्रमुख स्थान माना जाता है, जिसकी स्थापना श्री हित हरिवंश महाप्रभु जी ने की थी। यहाँ राधारानी की मूर्ति के स्थान पर उनका एक दिव्य श्रृंगार स्वरूप स्थापित है, जो इस बात का प्रतीक है कि राधा जी स्वयं हर समय श्रीकृष्ण के साथ विराजमान रहती हैं।

मंदिर की भव्यता, यहाँ की आरती, और उत्सव भक्तों को प्रेमरस में डुबो देते हैं। विशेषकर राधाष्टमी, झूलन उत्सव और जन्माष्टमी के अवसर पर यह मंदिर भक्तों से खचाखच भर जाता है। कहा जाता है कि जो भी भक्त श्रद्धा से यहाँ दर्शन करता है, उसे राधा-कृष्ण प्रेम का अलौकिक अनुभव प्राप्त होता है।

मंदिर दर्शन समय

  • सुबह 8:00–11:00
  • शाम 5:00–7:30

यहाँ की पुकार है – “राधावल्लभ लाल की जय!”

श्री राधावल्लभ जी मंदिर वृन्दावन
श्री राधावल्लभ जी

राधा रानी जन्मस्थान, रावल गांव

मथुरा से लगभग 10 किमी दूर यमुना तट पर स्थित रावल (रावल गांव) में श्री राधा रानी का जन्म हुआ। पौराणिक कथानुसार यमुना मैया को धन्यवाद स्वरूप किर्तन करते-करते किर्ति देवी ने सोचा—“यदि एक संतान हो”—तभी नदी में स्वर्णकमल प्रकट हुआ, जिससे श्यामसुंदर रूपी कन्या उदित हुई।

राधा का दन्नदर्शक रहस्य यह कि वे जन्म के एकादश माह तक अपनी आँखें बंद रखीं। मात्र तभी उनकी दृष्टि खुली जब उन्हें गोकुल में बालक कृष्ण का दर्शन हुआ। रावल गांव में स्थापित लाड़ली–लाला मंदिर में राधा को शिशु रूप में तथा कृष्ण को बाल रूप में विराजमान माना जाता है।

गांव में दो प्राचीन वृक्ष—एक श्वेत (राधा) एवं एक धूसर (कृष्ण)—भी हैं, जिन्हें राधा–कृष्ण के द्विविवाह प्रतीक रूप में संरक्षित किया गया है।

मंदिर दर्शन समय

  • सुबह 6:00–12:00
  • शाम 4:00–9:00
श्री राधा रानी जन्मस्थान मंदिर रावल गांव

ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा का महत्व

ब्रज क्षेत्र की चौरासी कोस परिक्रमा लगभग 252 किमी में फैली 1,300 से अधिक ग्राम, 1,100 झीलों और 36 वन-क्षेत्रों को जोड़ती है। यह यात्रा 16वीं शताब्दी के वैष्णव संतों ने स्थापित की थी और आज भी कार्तिक मास (अक्टूबर–नवंबर) में तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या आकर्षित करती है।

ब्रज में हर जगह “राधे राधे” का अभिवादन सुनने को मिलता है, जो राधा–कृष्ण भक्ति की सर्वोच्चता को दर्शाता है।

ब्रज भूमि के ये तीन मंदिर न केवल ऐतिहासिक धरोहर हैं, बल्कि आज भी लाखों भक्तों के हृदय में दिव्य प्रेम, भक्ति और सेवा की ज्योत जगाए रखते हैं। चाहे आप आशीर्वाद हेतु आएँ, आध्यात्मिक अनुभूति खोजें, या मात्र दिव्यता का आनंद लें—बरसाना, वृंदावन और रावल आपके मन को शांति एवं आनंद से परिपूर्ण कर देंगे।

श्री राधा जी के प्रसिद्ध मंदिर: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

श्री राधा जी के प्रमुख मंदिर कौन-कौन से हैं?

राधा जी के प्रसिद्ध मंदिरों में बरसाना का श्री लाड़ली जी मंदिर, वृन्दावन का श्री राधावल्लभ मंदिर, श्री राधा रमण मंदिर, श्री दामोदर मंदिर, श्री सेवाकुंज मंदिर, और मथुरा के पास रावल गाँव का जन्मस्थान मंदिर प्रमुख हैं।

बरसाना का श्री लाड़ली जी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

 यह मंदिर राधारानी की लीलाभूमि बरसाना में स्थित है। यहाँ राधा जी को “लाड़ली जी” नाम से पूजा जाता है और बरसाना की लठमार होली विशेष रूप से विश्व प्रसिद्ध है।

श्री राधावल्लभ मंदिर, वृन्दावन की विशेषता क्या है?

यहाँ राधारानी की प्रतिमा के स्थान पर उनका दिव्य श्रृंगार स्वरूप स्थापित है, जो यह दर्शाता है कि वे सदैव श्रीकृष्ण के साथ विद्यमान रहती हैं। यह मंदिर राधावल्लभ संप्रदाय का मुख्य केंद्र है।

श्री सेवाकुंज मंदिर को रहस्यमयी क्यों माना जाता है?

मान्यता है कि यहाँ रात्रि में स्वयं राधा-कृष्ण आकर रास रचाते हैं। इसलिए मंदिर संध्या के बाद बंद कर दिया जाता है।

 राधा रानी का जन्मस्थान कहाँ है?

 राधारानी का जन्मस्थान रावल गाँव (मथुरा के निकट) माना जाता है। यहाँ हर वर्ष राधाष्टमी महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

राधा जी के इन मंदिरों तक कैसे पहुँचा जा सकता है?

निकटतम रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है, जहाँ से टैक्सी, ऑटो और बस द्वारा बरसाना, वृन्दावन और रावल गाँव आसानी से पहुँचा जा सकता है।

नोट: हमारे द्वारा उपरोक्त लेख में अगर आपको कोई त्रुटि दिखे या फिर लेख को बेहतर बनाने के आपके कुछ सुझाव है तो कृपया हमें कमेंट या फिर ईमेल के द्वारा बता सकते है हम आपके सुझावों को प्राथिमिकता के साथ उसे अपनाएंगे धन्यवाद !

जय श्री राधे! 🌷 🙏

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें