राधा अष्टमी सनातन हिंदू धर्म के सबसे पावन तथा लोकप्रिय व्रत–त्योहारों में से एक है, जो प्रेम, भक्ति और आत्म समर्पण का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह पर्व श्रीकृष्ण की अनन्य प्रिया, श्रद्धा और भक्ति की देवी श्री राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। बरसाना, वृंदावन, मथुरा तथा देश–विदेश के कृष्ण भक्त इस दिन को अत्यंत उल्लास, भजन–कीर्तन और विशेष पूजा–अनुष्ठानों के साथ मनाते हैं। तो आइये जानते है इस लेख में श्री राधा अष्टमी पर्व के बारे में विस्तार से:
- श्री राधा जी
- राधा अष्टमी :
- राधा अष्टमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
- श्रीराधा को भक्ति देवी कहा जाता है।
- श्री राधा रानी का प्राकट्य
- राधा अष्टमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- पूजन-विधि, व्रत और रीतियाँ
- पूजा-विधि
- राधा अष्टमी का पौराणिक महत्व
- ब्रज और बरसाना में विशेष महोत्सव
- राधा अष्टमी: भक्ति, प्रेम एवं कल्याण का मंत्र
- राधा अष्टमी: राधे-राधे का माधुर्य
- भगवान नारायण द्वारा श्रीराधा रानी की स्तुति –
- ॥ श्री राधा जी की आरती ॥
- 🙏✨ राधा अष्टमी की शुभकामनाएँ!
श्री राधा जी
श्रीराधा जी, जिन्हें राधारानी भी कहा जाता है, प्रेम और भक्ति की मूर्ति हैं। श्रीराधा जी भगवान श्रीकृष्ण की ह्लादिनी शक्ति मानी जाती हैं और लक्ष्मी जी का अवतार भी कहलाती हैं। उनका जन्म वृषभानु और कीर्ति माता के घर भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी को हुआ, जिसे राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। श्रीराधा जी का स्वरूप करुणा, मधुरता और अनन्य प्रेम का प्रतीक है। वैष्णव परंपरा में उन्हें सर्वोच्च शक्ति और परम भक्ति देवी माना गया है। मान्यता है कि बिना श्री राधा जी नाम के श्री कृष्ण की पूजा अधूरी है। राधाष्टमी पर भक्त व्रत रखते हैं, अभिषेक, कीर्तन और भजन के माध्यम से राधारानी की आराधना करते हैं। उनकी कृपा से भक्त के जीवन में प्रेम, शांति और पारिवारिक सौहार्द की वृद्धि होती है।
राधा अष्टमी :
राधा अष्टमी का पर्व देवी राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस पावन तिथि को श्रीराधाष्टमी एवं श्रीराधा जन्मोत्सव भी कहा जाता है। सम्पूर्ण ब्रजभूमि इस दिन भक्ति और आनंद में डूबी रहती है। विशेष रूप से बरसाना स्थित श्री राधारानी मंदिर, मान मंदिर, तथा वृंदावन के श्री राधावल्लभ मंदिर और सेवाकुंज में यह उत्सव अत्यंत धूमधाम से संपन्न होता है। कल्पभेद के अनुसार, रावल ग्राम स्थित जन्मस्थली पर भी राधाष्टमी का भव्य महोत्सव आयोजित किया जाता है।
श्री राधाष्टमी को वार्षिक रूप से राधारानी का दिव्य प्राकट्य उत्सव माना जाता है, जो सम्पूर्ण भारतवर्ष में अत्यधिक लोकप्रिय है। विशेषकर राधावल्लभ सम्प्रदाय, गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय, निंबार्क सम्प्रदाय, पुष्टिमार्ग, और हरिदासी सम्प्रदाय में यह प्रमुख पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर श्री राधा-कृष्ण मंदिरों में विशाल झांकियाँ, भजन-कीर्तन और महोत्सव का आयोजन होता है।
सनातन हिंदू धर्मग्रंथों में श्री राधारानी को भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति कहा गया है। श्रीकृष्ण के अधिकांश चित्रों और मूर्तियों में राधारानी का सान्निध्य आवश्यक माना गया है, क्योंकि राधा और कृष्ण एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। भक्तजन स्नेहपूर्वक उन्हें ‘श्रीजी’ कहकर संबोधित करते हैं और उनकी आराधना में प्रेम तथा समर्पण का भाव समाहित करते हैं।
राधा अष्टमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
राधा अष्टमी उस दिव्य प्रेम का उत्सव है, जो सांसारिक बंधनों से परे, शुद्ध और निष्कलंक है। शास्त्रों में राधा जी को श्रीकृष्ण की ‘आह्लादिनी शक्ति’, भक्ति एवं करुणा की प्रतिमूर्ति कहा गया है। श्री राधा का स्मरण और विचार, साधक को पूर्ण भक्ति की अवस्था की ओर प्रेरित करता है।
श्रीराधा को भक्ति देवी कहा जाता है।
वे परा-भक्ति की मूर्ति हैं, जिनकी कृपा से ही कोई जीव भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति प्राप्त कर सकता है। श्री राधा का नाम जप करने से हृदय में सहज प्रेम का संचार होता है। ‘श्री राधा’ नाम स्वयं सिद्ध मंत्र है, जिसका उच्चारण जीवन से अज्ञान, दुख और क्लेश को दूर करता है।
श्रीमद्भागवत महापुराण और गौड़ीय वैष्णव परंपरा में राधा जी को सर्वोच्च देवी माना गया है। भक्तजन ‘राधे कृष्ण’ का संकीर्तन करते हैं क्योंकि राधा नाम के बिना कृष्ण का नाम अपूर्ण माना जाता है।
श्री राधा रानी का प्राकट्य
जनश्रुतियों तथा पद्मपुराण व अन्य ग्रंथों के अनुसार, बरसाना के राजा वृषभानु और माता कीर्ति की गोद में राधा रानी ने अवतार लिया। जन्म के समय राधा ने अपनी आंखें नहीं खोली थीं और श्रीकृष्ण के दर्शन के उपरांत ही वे खुलीं—यहां से उनका प्रेम सम्बन्ध और आत्म–समर्पण प्रतीकात्मक माना जाता है।

राधा अष्टमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
राधा अष्टमी का पर्व देवी राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में विश्वसनीय भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पावन तिथि श्रीराधाष्टमी एवं श्रीराधा जन्मोत्सव के नाम से भी प्रसिद्ध है। 31 अगस्त 2025 (रविवार) को सम्पूर्ण ब्रजभूमि—विशेष रूप से बरसाना, मान मंदिर, वृंदावन (श्री राधावल्लभ मंदिर और सेवाकुञ्ज), तथा रावल ग्राम (जन्मस्थली) में यह पर्व अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा।
इस बार राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त निम्नानुसार है:
- अष्टमी तिथि आरंभ: 30 अगस्त, रात 10:46 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 1 सितंबर, रात 12:57 बजे
- पूजा (मध्याह्न) मुहूर्त: 31 अगस्त, सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक
पूजन-विधि, व्रत और रीतियाँ
व्रत का संकल्प और नियम
राधा अष्टमी के दिन, श्रद्धालुगण निर्जल या फलाहार व्रत रखते हैं। उद्यापन पारंपरिक रूप से मध्यान्ह समय में किया जाता है, क्योंकि यही माना जाता है कि इसी समय राधारानी का अवतरण हुआ था।
पूजा सामग्री
- राधा-कृष्ण की प्रतिमा या चित्र
- नवीन वस्त्र और श्रृंगार सामग्री
- ताजे फूल, माला व चुनरी
- पंचामृत स्नान (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, चीनी)
- भोग: मिठाई, फल, माखन-मिश्री, सफेद रंग की मिठाईयां
- धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, मेहंदी, तिलक सामग्री
पूजा-विधि
- स्वच्छ होकर पूजन स्थल को साफ करें और चौकी पर राधा-कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
- राधारानी का पंचामृत से अभिषेक करें, सुंदर वस्त्र, सोलह श्रृंगार, माला, फूल, चुनरी आदि अर्पित करें।
- धूप-दीप व नैवेद्य अर्पण करें। भोग में मक्खन, मिश्री, सफेद मिठाई व फल जरूर रखें।
- पूजा के दौरान “ह्रीं राधिकायै नमः”, “राधे कृष्ण” या ‘श्री राधिका मंत्र’ का 108 बार जाप करें।
- पुष्पांजलि अर्पित करें और आरती करें।
- अंत में सभी को प्रसाद बांटें।
- सुबह से लेकर पूजन तक भजन-कीर्तन, राधा-कृष्ण की लीलाओं का स्मरण और पाठ करें।
राधा अष्टमी का पौराणिक महत्व
राधा जी का प्राकट्य वृंदावन के समीप बरसाना नगरी में हुआ था। मान्यता है कि वे वृषभानु जी की पुत्री और कीर्ति माता की संतान थीं। उनके जन्म के समय संपूर्ण ब्रजभूमि आनंद और प्रेम से भर गई थी।
शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा एक ही शक्ति के दो स्वरूप हैं।
श्रीकृष्ण जब पृथ्वी पर प्रकट हुए, तो उनके लीला-विलास को पूर्ण करने हेतु शक्ति स्वरूपा श्रीराधा भी प्रकट हुईं।
राधारानी केवल भक्ति का ही प्रतीक नहीं, बल्कि वे आनंदमयी, प्रेममयी और करुणामयी शक्ति हैं।
भक्तजन मानते हैं कि राधा जी के बिना कृष्ण की आराधना अधूरी है।
ब्रज और बरसाना में विशेष महोत्सव
ब्रज, बरसाना और वृंदावन में राधा अष्टमी के दिन अद्भुत श्रद्धा और भव्यता दिखायी देती है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु विशेष दर्शन, शोभायात्रा, फूल मंडली, गीत-नृत्य और छप्पन भोग के साथ इस दिन को अलग रंग देते हैं। बरसाना के राधा रानी मंदिर में विशेष श्रृंगार और रातभर अभिषेक, भजन कीर्तन होते हैं, जिनमें भाग लेने से अपूर्व आध्यात्मिक आनंद मिलता है।
राधा अष्टमी: भक्ति, प्रेम एवं कल्याण का मंत्र
राधा अष्टमी का संदेश है – निष्कलंक प्रेम, निःस्वार्थ भक्ति, पूर्ण समर्पण और सेवा। राधा रानी का जीवन दर्शाता है कि ईश्वर प्रेम से वश में होते हैं, कर्म और पूजा के सारे बंधन प्रेम और समर्पण से पीछे रह जाते हैं।
माना जाता है, जो व्यक्ति पवित्र मन से इस व्रत व पूजा का पालन करता है, उसके सारे पाप नष्ट होते हैं, जीवन में सौभाग्य, शांति, संतान सुख की प्राप्ति एवं दांपत्य जीवन में प्रेम और मधुरता आती है।
राधा अष्टमी: राधे-राधे का माधुर्य
राधा अष्टमी केवल त्योहार या अनुष्ठान नहीं, यह भक्ति का ज्वार, प्रेम की पराकाष्ठा और शाश्वत सुख का अनुभव है। राधा रानी का आशीर्वाद संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए मंगलदायक है। हर वर्ष बरसाना से लेकर देश-विदेश के कृष्ण–भक्त ‘‘राधे-राधे’’ के मधुर नाम का संकीर्तन कर, जीवन को सार्थक बना लेते हैं।
इस राधा अष्टमी पर संकल्प लें—वास्तविक भक्ति, सेवा, करुणा और प्रेम को जीवन में अपनाएं; निस्वार्थ भाव से समर्पण करें, क्योंकि जहाँ राधा हैं, वहीं कृष्ण स्वयं उपस्थित हैं।
भगवान नारायण द्वारा श्रीराधा रानी की स्तुति –
नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।
रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये॥
॥ श्री राधा जी की आरती ॥
आरती श्री वृषभानुसुता की,मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,विमल विवेकविराग विकासिनि।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,मधुर मनोहर मूरति सोहनि।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,आकर अमित दिव्यगुन गनकी।
आकर्षिणी कृष्ण तन मन की,अति अमूल्य सम्पति समता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
कृष्णात्मिका कृष्ण सहचारिणि,चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।
जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि,आदि अनादि शक्ति विभुता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
🙏✨ राधा अष्टमी की शुभकामनाएँ!
- बरसाने वाली श्री राधा रानी की कृपा से आपका जीवन प्रेम और आनंद से भर जाए।
- राधे-राधे की गूंज से हर हृदय पवित्र हो जाए, यही मेरी प्रार्थना है। 🌹 जय श्री राधे!
- श्रीजी के चरणों की कृपा से आपका जीवन भक्ति और सुख से परिपूर्ण हो। 🌼 राधा अष्टमी मंगलमय हो!
- जग की आराध्या श्री राधारानी आपके जीवन में प्रेम, शांति और समृद्धि लाएँ। 🌸 शुभ राधाष्टमी!
- राधा-कृष्ण का प्रेम आपके जीवन में सदैव मधुरता और भक्ति का संचार करे। 💫 राधा अष्टमी की हार्दिक बधाई!
- राधे-राधे के नाम से सब कष्ट दूर हो जाते हैं। ✨ राधाष्टमी की पावन बधाई!
बरसाने वाली ललिता रानी की कृपा से आपके जीवन में आनंद और सफलता के दीप जलें। 🌼
जैसे श्री राधा जी का प्रेम अनंत है, वैसे ही आपका जीवन भी सुख-शांति से भरा रहे। 🙏
श्री राधा नाम की महिमा से जीवन में प्रेम और भक्ति का अमृत प्रवाहित हो। 🌸 जय श्री राधे!
श्री राधा-कृष्ण की अनंत कृपा आपके जीवन को दिव्यता से आलोकित करे। ✨ राधाष्टमी पर मंगलकामनाएँ!

- जैसे श्री राधा जी का प्रेम श्रीकृष्ण से अविचल, अमर और अनुपम है, वैसे ही आपके जीवन में भी प्रेम, विश्वास और सौहार्द की मधुरता बनी रहे।
- श्री राधारानी की भक्ति आपको हर कठिनाई से उबारकर आपके मार्ग को सरल बनाए, और उनके चरणों की छाया सदा आपके जीवन को संवारती रहे।
- बरसाने वाली श्रीराधा रानी जी आपके जीवन में भक्ति का प्रकाश फैलाएँ, आपके हृदय को पवित्रता और शांति से भर दें।
- श्री जी की कृपा से आपके परिवार में सुख, सौभाग्य और स्वास्थ्य का वास हो।
- इस राधा अष्टमी पर आपके जीवन में अनंत आनंद और सफलता का आगमन हो।
राधा अष्टमी की शुभकामना संदेश और स्टेटस
जैसे राधा जी का प्रेम श्रीकृष्ण से अविचल, अमर और अनुपम है,
वैसे ही आपके जीवन में भी प्रेम, विश्वास और सौहार्द की मधुरता बनी रहे।
राधारानी की भक्ति आपको हर कठिनाई से उबारकर आपके मार्ग को सरल बनाए,
और उनके चरणों की छाया सदा आपके जीवन को संवारती रहे।
बरसाने वाली श्रीराधा रानी आपके जीवन में भक्ति का प्रकाश फैलाएँ,
आपके हृदय को पवित्रता और शांति से भर दें।
श्रीजी की कृपा से आपके परिवार में सुख, सौभाग्य और स्वास्थ्य का वास हो।
इस राधा अष्टमी पर आपके जीवन में अनंत आनंद और सफलता का आगमन हो।
🌺🙏 शुभ राधाष्टमी! 🙏🌺
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